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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चंद्रग्रहण के दौरान सावधानियां

🌕🌖चन्द्र ग्रहण🌘🌑 💐💐💐💐💐💐💐 कल 27-28 जुलाई 2018 आषाढ़ पूर्णिमा ( गुरु पूर्णिमा ) के दिन खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा और बड़ा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा।  यह एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है।  खग्रास चंद्रग्रहण... यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।  ग्रहण कब से कब तक.... ग्रहण 27 जुलाई की मध्यरात्रि से प्रारंभ

धरती कर ये लोग मृतक समान हैं

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*धरती पर मृतक के समान हैं ये चौदह प्रकार के लोग* 🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸 गोस्वामी तुलसीदास कृत महाकाव्य श्रीरामचरितमानस के लंकाकांड में बालि पुत्र अंगद रावण की सभा में रावण को सीख देते हुए बताते हैं कि कौन-से ऐसे 14 दुर्गुण है जिसके होने से मनुष्य मृतक के समान माना जाता है। हो सकता है कि आप भी इन 14 प्रकार के लोगों में से कोई एक हों। आओ जानते हैं कि इस चौपाई में ऐसे कौन-से 14 दुर्गुण बताए गए हैं जिसमें से एक भी व्यक्ति के भीतर होने पर वह मृतक के समान माना जाता है। *कौल कामबस कृपिन बिमूढ़ा।* *अति दरिद्र अजसी अति बूढ़ा॥* *सदा रोगबस संतत क्रोधी।* *बिष्नु बिमुख श्रुति संत बिरोधी॥* *तनु पोषक निंदक अघ खानी* *जीवत सव सम चौदह प्रानी॥*  🌞 *पहला मृतक व्यक्ति वाममार्गी ( #कौल_याने_तांत्रिक)👉* इसे उस दौर में कौल कहा जाता था। कौल मार्ग अर्थात तांत्रिकों का मार्ग। कापालिक संप्रदाय के लोग भी इससे जुड़े हैं। जादू, तंत्र, मंत्र और टोने टोटको में विश्वास करने वाले भी कौल हो सकते हैं। हालांकि इसके अर्थ को और भी विस्तृत किया जा सकता है। आजकल वामपंथी विचारधारा के लोग जो कर रहे हैं वह कौल ही है।

भगवान शिव ने मातापार्वती को बताए थे जीवन के ये पांच रहस्य, आप भी जानिए!!!!!

भगवान शिव ने मातापार्वती को बताए थे जीवन के ये पांच रहस्य, आप भी जानिए!!!!! भगवान शिव ने देवी पार्वती को समय-समय पर कई ज्ञान की बातें बताई हैं। जिनमें मनुष्य के सामाजिक जीवन से लेकर पारिवारिक और वैवाहिक जीवन की बातें शामिल हैं। भगवान शिव ने देवी पार्वती को 5 ऐसी बातें बताई थीं जो हर मनुष्य के लिए उपयोगी हैं, जिन्हें जानकर उनका पालन हर किसी को करना ही चाहिए- 1. क्या है सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप देवी पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उन्हें मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म और अधर्म मानी जाने वाली बात के बारे में बताया है। भगवान शंकर कहते है- श्लोक- नास्ति सत्यात् परो नानृतात् पातकं परम्।। अर्थात- मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या उसका साथ देना। इसलिए हर किसी को अपने मन, अपनी बातें और अपने कामों से हमेशा उन्हीं को शामिल करना चाहिए, जिनमें सच्चाई हो, क्योंकि इससे बड़ा कोई धर्म है ही नहीं। असत्य कहना या किसी भी तरह से झूठ का साथ देना मनुष्य की बर्बादी का कारण बन सकता है। 2. काम करने के साथ इस एक और बात का रखें

देवशयनी एकादशी

सोमवार दिनांक 23/07/2018, आषाढ़ शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी -                           "देवशयनी एकादशी"                                  माहात्म्य            आषाढ़ शुक्ल एकादशी को  देवशयनी एकादशी के नाम से जानते हैं। इसे पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है। गृहस्थ आश्रम में रहने वालों के लिए चातुर्मास्य नियम इसी दिन से प्रारम्भ हो जाते हैं। सन्यासियों का चातुर्मास्य गुरु पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है। देवशयनी एकादशी नाम से पता चलता है कि इस दिन से श्री हरि शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में श्री हरि पाताल के राजा बलि के यहाँ चार मास निवास करते हैं। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी, देवउठनी एकादशी, जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, के दिन पाताल लोक से अपने लोक लौटते हैं। इसी दिन चातुर्मास्य नियम भी समाप्त हो जाते हैं।           चातुर्मास्य शब्द सुनते ही उन सभी साधु-सन्तों का ध्यान आ जाता है, जो चार मास एक ही स्थान पर रहते हुए लोगों को धर्म सम्बन्धी ज्ञान उपलब्ध कराकर सत्य पर आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। चातुर्मास्य आषाढ़ शुक्ल एकादशी (इसे दे

अठारह पुराण उनके नाम और उनका संक्षिप्त परिचय

:- 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ पुराण शब्द का अर्थ है प्राचीन कथा। पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है। पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवा-देवताओं, राजाओ, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथायें भी उल्लेख करी गयी हैं जिस से पौराणिक काल के सभी पहलूओं का चित्रण मिलता है। महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। ब्रह्मा विष्णु तथा महेश्वर उन पुराणों के मुख्य देव हैं। त्रिमूर्ति के प्रत्येक भगवान स्वरूप को छः पुराण समर्पित किये गये हैं। इन 18 पुराणों के अतिरिक्त 16 उप-पुराण भी हैं किन्तु विषय को सीमित रखने के लिये केवल मुख्य पुराणों का संक्षिप्त परिचय ही दिया गया है। मुख्य पुराणों का वर्णन इस प्रकार है