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भोजन के बाद कतई न करें ये काम

व्यायामं च व्यवायं च धावनं पानमेव च।युद्धं गीतं च पाठं च मुहुर्तं भुक्तवाँस्त्यजेत्।। भोजन के पश्चात एक मुहुर्तभर ( लगभग पौन घंटा) व्यायाम, मैथुन, दौड़ना, जलपान, मल्लयुद्ध  ,गाना और पढना आदि कर्म नही करना चाहिए । भोजनोपरान्त लगभग एक घण्टे की समयावधि मे किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक श्रम पाचन प्रक्रिया में बाधा डालता है ।

पुत्रदा एकादशी

*पुत्रदा एकादशी व्रत कथा*   युधिष्ठिर ने पूछा : मधुसूदन ! श्रावण के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है ? कृपया मेरे सामने उसका वर्णन कीजिये । भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! प्राचीन काल की बात है । द्वापर युग के प्रारम्भ का समय था । माहिष्मतीपुर में राजा महीजित अपने राज्य का पालन करते थे किन्तु उन्हें कोई पुत्र नहीं था, इसलिए वह राज्य उन्हें सुखदायक नहीं प्रतीत होता था । अपनी अवस्था अधिक देख राजा को बड़ी चिन्ता हुई । उन्होंने प्रजावर्ग में बैठकर इस प्रकार कहा: ‘प्रजाजनो ! इस जन्म में मुझसे कोई पातक नहीं हुआ है । मैंने अपने खजाने में अन्याय से कमाया हुआ धन नहीं जमा किया है । ब्राह्मणों और देवताओं का धन भी मैंने कभी नहीं लिया है । पुत्रवत् प्रजा का पालन किया है । धर्म से पृथ्वी पर अधिकार जमाया है । दुष्टों को, चाहे वे बन्धु और पुत्रों के समान ही क्यों न रहे हों, दण्ड दिया है । शिष्ट पुरुषों का सदा सम्मान किया है और किसीको द्वेष का पात्र नहीं समझा है । फिर क्या कारण है, जो मेरे घर में आज तक पुत्र उत्पन्न नहीं हुआ? आप लोग इसका विचार करें ।’ राजा के ये वचन सुनकर प्रजा और पु...

यक्ष - युधिष्ठिर संवाद

कुल सौ प्रश्न किए थे यक्ष ने युधिष्ठिर से, लेकिन क्या आप इन प्रश्नों के जवाब जानते हैं? यह तब की बात है जब पाण्डव अपने तेरह वर्ष के अज्ञातवास पर थे, और इस दौरान वे घने जंगलों में वास कर रहे थे। सभी भाई पेड़ की छाया में बैठकर विश्राम कर रहे थे कि अचानक हैरान और परेशान एक मुनि उनके पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक हिरण उनके हाथों से यज्ञ की लकड़ी लेकर भाग गया, उन्हें वह वापस चाहिए। पांचों भाइयों ने मुनि की सहायता करने हेतु उस हिरण की खोज आरंभ कर दी। खोज करते हुए वे सभी काफी आगे निकल गए, गर्मी का समय था तो वे काफी थक भी गए। अब उन्हें इस तपती गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी चाहिए था, लेकिन दूर-दूर तक उन्हें कोई जलाशय ना दिखा। अंतत: पानी खोजने का काम सबसे छोटे भाई सहदेव को सौंपा गया। कुछ दूर चलने पर सहदेव को एक जलाशय दिखाई दिया। वह वहां पहुंचा और उसने देखा कि जलाशय में बेहद ठंडा पानी है, पानी साथ ले जाने की बजाय सबसे पहले अपनी प्यास बुझाने के लिए सहदेव पानी पीने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा तो एक आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ अदृश्य यक्ष की थी जो चाहता था कि सहदेव पहले उसके प्रश्नों का ...