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किस देवता को कौन से फूल चढ़ाए?

किस देवता को कौन से फूल चढ़ाए?????? हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक कर्म-कांडों में फूलों का विशेष महत्व है। देव पूजा विधियों में कई तरह के फूल-पत्तों को चढ़ाना बड़ी ही शुभ माना गया है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना पुष्प के अधूरे ही माने जाते हैं। कुछ विशेष फूल देवताओं को चढ़ाना निषेध होता है। किंतु शास्त्रों में ऐसे भी फूल बताए गए हैं, जिनको चढ़ाने से हर देवशक्ति की कृपा मिलती है यह बहुत शुभ, देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं और हर तरह का सुख-सौभाग्य बरसाते हैं। कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, इसके बारे में यहां संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। इन फूलों को चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है। हमारे जीवन में फूलों का काफी महत्व है। फूल ईश्वर की वह रचना है, जिसकी खुशबू से हमारे घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इसकी खुशबू मन को शांति देती है। वैसे तो भगवान भक्ति के भूखे हैं, लेकिन हमारे देश में भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनपर उनके प्रिय फूलों को चढ़ाने की मान्यता भी है। कहा जाता है कि भगवान के पसंदीदा रंगों के आधार मानकर उनपर उन्हीं रंगों ...

पूजा पाठ में आवश्यक सावधानी

पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में रखा जाये तो उसी पूजा पाठ का हम अत्यधिक फल प्राप्त कर सकते हैं.वे नियम कुछ इस प्रकार हैं????? 1 सूर्य, गणेश,दुर्गा,शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं. इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है। 2 गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। 3 दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। 4 सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए। 5 तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोडना चाहिए. जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं। 6 रविवार,एकादशी,द्वादशी ,संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। 7 दूर्वा( एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए। 8 केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए। ९ कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं। 10 बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं। .11 तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं। 12 हाथों में रख कर हाथों से फूल नहीं च...

मृतसञ्जीवन स्तोत्र

मृतसञ्जीवन स्तोत्र : ★★★★★★★★ ये स्तोत्र महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित है। इस स्तोत्र को कवच रूप में पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र में महेश्वर से सभी प्रकार से रक्षा करने की प्रार्थना की जाती है। ।। श्री मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् ।। एवमारध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमेश्वरं। मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा ॥१॥ गौरीपति मृत्युञ्जयेश्र्वर भगवान् शंकर की विधिपूर्वक आराधना करने के पश्र्चात भक्तको सदा मृतसञ्जीवन नामक कवचका सुस्पष्ट पाठ करना चाहिये। सारात् सारतरं पुण्यं गुह्याद्गुह्यतरं शुभं।  महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकं ॥ २॥ महादेव भगवान् शङ्कर का यह मृतसञ्जीवन नामक कवच का तत्त्वका भी तत्त्व है, पुण्यप्रद है गुह्य और मङ्गल प्रदान करनेवाला है। समाहितमना भूत्वा शृणुष्व कवचं शुभं। शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा ॥३॥ [आचार्य शिष्य को उपदेश करते हैं कि – हे वत्स! ] अपने मनको एकाग्र करके इस मृतसञ्जीवन कवच को सुनो। यह परम कल्याणकारी दिव्य कवच है। इसकी गोपनीयता सदा बनाये रखना। वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवितः।  मृत्युञ्जयो महादेवः प्राच्यां मां पातु सर्वदा ॥४॥ जरा स...

नक्षत्र से रोग विचार तथा उपाय

नक्षत्र से रोग विचार तथा उपाय 🔸🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔸 हमारे ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के अनुसार रोगों का वर्णन किया गया है। व्यक्ति के कुंडली में नक्षत्र अनुसार रोगों का विवरण निम्नानुसार है। आपके कुंडली में नक्षत्र के अनुसार परिणाम आप देख सकते है। अश्विनी नक्षत्र👉 जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि से कष्ट. उपाय : दान पुण्य, दिन दुखियों की सेवा से लाभ होता है। भरणी नक्षत्र👉 जातक को शीत के कारण कम्पन, ज्वर, देह पीड़ा से कष्ट, देह में दुर्बलता, आलस्य व कार्य क्षमता का अभाव। उपाय : गरीबोंकी सेवा करे लाभ होगा। कृतिका नक्षत्र👉 जातक आँखों सम्बंधित बीमारी, चक्कर आना, जलन, निद्रा भंग, गठिया घुटने का दर्द, ह्रदय रोग, घुस्सा आदि। उपाय : मन्त्र जप, हवन से लाभ। रोहिणी नक्षत्र👉 ज्वर, सिर या बगल में दर्द, चित्य में अधीरता। उपाय : चिर चिटे की जड़ भुजा में बांधने से मन को शांति मिलती है। मृगशिरा नक्षत्र👉 जातक को जुकाम, खांसी, नजला, से कष्ट। उपाय : पूर्णिमा का व्रत करे लाभ होगा। आद्रा नक्षत्र👉 जातक को अनिद्रा, सिर में चक्कर आना, अधासीरी का दर्द, पैर, पीठ में पीड़ा। उपाय : भगवान ...