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घर में कुत्ता पालें या नहीं?

 घर में कुत्ता पालना चाहिये या नहीं? ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ घर में कुत्ता नहीं रखना चाहिये। कुत्तेका पालन करनेवाला नरकों में जाता है। महाभारत में आया है कि जब पाँचों पाण्डव और द्रौपदी संन्यास लेकर उत्तर की ओर चले तो चलते-चलते भीमसेन आदि सभी गिर गये। अन्त में जब युधिष्ठिर भी लड़खड़ा गये, तब इन्द्रकी आज्ञा से मातिल रथ लेकर वहाँ आया और युधिष्ठिर से कहा कि आप इसी शरीर से स्वर्ग पधारिए। युधिष्ठिर ने देखा कि एक कुत्ता उनके पास खड़ा है। उन्होंने कहा कि यह कुत्ता मेरी शरण में आया है, अतः यह भी मेरे साथ स्वर्ग में चलेगा। इन्द्रने युधिष्ठिरसे कहा‒ स्वर्गे लोके श्ववतां नास्ति धिष्ण्यमिष्टापूर्तं क्रोधवशा हरन्ति । ततो विचार्य क्रियतां धर्मराज त्यज श्वानं नात्र नृशंसमस्ति ॥                                                            (महाभारत, महाप्र॰ ३ । १०) "धर्मराज ! कुत्ता रखने वालोंके लिये स्वर्गलोक में स्थान नहीं है। उनके यज्ञ करने और कुआँ, बावड़ी आदि बनवानेका जो पुण्य होता है, उसे क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं। इसलिये सोच-विचारकर काम करो और इस कुत्तेको छोड़ दो। ऐसा करने में कोई निर्दयता नहीं

वसंत पंचमी पर पूजन विधि

 बसंत पंचमी की तिथि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसमे हमारी परम्परा, भौगौलिक परिवर्तन , सामाजिक कार्य तथा आध्यात्मिक पक्ष सभी का सम्मिश्रण है, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है वास्तव में भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है इसलिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है। बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है यह माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव है इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा उपासना कर उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है इसी लिए विद्यार्थ

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र

  ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ::- यदि आपके ऊपर ऋण वा कर्ज का बोझ अधिक बढ़ गया है और आप उस कर्ज को चाह कर भी नहीं उतार पा रहे है तब यदि आप ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का नियमित पाठ करते है तो निश्चित ही धीरे धीरे आपका ऋण उतर जाएगा। जैसा की आप जानते है मंगल का सम्बन्ध हनुमानजी से है और हनुमानजी सर्वबाधामुक्ति प्रदाता है यह श्लोक भी हनुमान जी की ही आराधना के रूप में प्रतिष्ठित है। *कैसे आरम्भ करे ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ* इस पाठ को प्रारम्भ करने के लिए सर्वप्रथम आपको किसी शुभ तिथि का चयन भारतीय पञ्चाङ्गानुसार कर लेना चाहिए। यह पाठ मंगलवार को ही शुरू करना चाहिए अन्य दिन को नही। इस पाठ को करने से पूर्व लाल वस्त्र बिछाकर मंगल यन्त्र व महावीर हनुमान जी को स्थापित करना चाहिए , सिंदूर व चमेली के तेल का चोला अर्पित कर अपने बाये हाथ की तरफ देशी घी का दीप व दाहिने हाथ की तरफ तिल के तेल का दीप स्थापित करना चाहिए। इसके बाद हनुमान जी को गुड़, चने व बेसन का भोग लगाना चाहिए। मंगल देव (मंगल यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित कर) व हनुमान जी के सामने ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ, लाल वस्त्र धारण कर के हीआरम्भ करना चाहिए। यह पाठ अ