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किसे प्रणाम ना करें?

 ★★★प्रणाम निषेध ★★★ १_दूरस्थं जलमध्यस्थं धावन्तं धनगर्वितम् ।  क्रोधवन्तं मदोन्मत्तं नमस्कारोsपि वर्जयेत् ॥        दूरस्थित, जलके बीच, दौड़ते हुए, धनोन्मत्त, क्रोधयुक्त, नशे से पागल व्यक्ति को प्रणाम नहीं करना चाहिए ॥  २_ समित्पुष्पकुशाग्न्यम्बुमृदन्नाक्षतपाणिकः ।  जपं होमं च कुर्वाणो नाभिवाद्यो द्विजो भवेत् ॥         अर्थात् पूजाकी तैयारी करते हुए तथा पूजादि नित्यकर्म करते समय ब्राह्मण को प्रणाम करने का निषेध है । निवृत्ति के पश्चात् प्रणाम करना चाहिए ॥ ३_अपने समवर्ण ज्ञाति एवं बान्धवों तथा ससुराल पक्ष के ज्ञानवृद्ध तथा वयोवृद्ध द्वारा प्रणाम स्वीकार नहीं करना चाहिए, इससे अपनी हानि होती  है ।  [ज्ञाति = पिता का परिवार,  बान्धव = मातृपक्ष (ननिहाल)] ४- स्त्रियों के लिये साष्टाङ्ग प्रणाम वर्जित है  । वे बैठकर ही प्रणाम करें । [ जैसा कि हम जानते हैं -- जानुभ्यां च तथा पद्भ्यां पाणिभ्यामुरसा धिया ।  शिरसा वचसा दृष्ट्या प्रणामोsष्टाङ्ग ईरितः ॥         जानु, पैर, हाथ, वक्ष, शिर, ...

जाने -अनजाने में किये हुये पाप का प्रायश्चित कैसे कर सकते हैं?

  जाने -अनजाने में किये हुये पाप का प्रायश्चित कैसे कर सकते हैं? हम सभी से जाने - अनजाने में बहुत पाप हो जाते है जिसके बारे में कभी कभी हमे पता भी नहीं चलता के हमसे क्या पाप हो गया है। तो हम किस प्रकार उस पाप का प्रायश्चित कर सकते है । बहुत सुन्दर प्रश्न है ,यदि हमसे अनजाने में कोई पाप हो जाए तो क्या उस पाप से मुक्ती का कोई उपाय है। श्रीमद्भागवत जी के षष्ठम स्कन्ध में , महाराज परीक्षित जी ,श्री शुकदेव जी से ऐसा प्रश्न कर लिए। बोले भगवन - आपने पञ्चम स्कन्ध में जो नरको का वर्णन किया ,उसको सुनकर तो गुरुवर रोंगटे खड़े जाते हैं। प्रभूवर मैं आपसे ये पूछ रहा हूँ की यदि कुछ पाप हमसे अनजाने में हो जाते हैं ,जैसे चींटी मर गयी,हम लोग स्वास लेते हैं तो कितने जीव श्वासों के माध्यम से मर जाते हैं। भोजन बनाते समय लकड़ी जलाते हैं ,उस लकड़ी में भी कितने जीव मर जाते हैं । और ऐसे कई पाप हैं जो अनजाने हो जाते हैं । तो उस पाप से मुक्ती का क्या उपाय है भगवन । आचार्य शुकदेव जी ने कहा राजन ऐसे पाप से मुक्ती के लिए रोज प्रतिदिन पाँच प्रकार के यज्ञ करने चाहिए । -महाराज परीक्षित जी ने कहा, भगवन एक यज्ञ यदि कभी ...