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जन्माष्टमी विशेष

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा एवं विधि 〰️〰️🌸〰️〰️🌸🌸〰️〰️🌸〰️〰️ जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 1.  इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है। 2.  इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें। 3.  उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें। 4. मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स

रक्षाबंधन विशेष

* वैदिक रक्षासूत्र *  〰〰🌸〰〰 रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है। प्रतिवर्षश्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस दिनबहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में भी उसका बड़ा महत्व है । * कैसे बनायें वैदिक राखी ?* 〰〰〰〰〰〰〰 वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें। (1) दूर्वा (2) अक्षत (साबूत चावल) (3) केसर या हल्दी (4) शुद्ध चंदन (5) सरसों के साबूत दाने इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं। * वैदिक राखी का महत्त्व * 〰〰〰〰〰〰〰 वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं । *(1) दूर्वा* 〰〰 जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में ल

शिवलिंग पर कभी न चढ़ाएं यह सात चीजे

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 * शिवलिंग पर कभी न चढ़ाएं यह सात चीजे ...!!!*  💥✳ *भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न होते हैं,इसलिए उन्हें लोग भोले बाबा भी कहते हैं .* लेकिन हमेशा शांत स्वरूप में रहने वाले भोले बाबा को जब गुस्सा आता है तो धरती डोलने लगती है .इसलिए यदि आप शिव जी को नाराज नहीं करना चाहते हैं तो इन सात चीजों को शिवलिंग पर कभी न चढ़ाएं . यदि आपने इनका पालन कर लिया तो भगवान शिव कभी भी आपसे नाराज नहीं होंगे. *1 शंख जल:* भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव की नहीं. *2 तुलसी पत्ता:* जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंशसे तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती. *3 तिल:* यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाना चाहिए. *4 खंडित चावल:* भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में किया है. टूटा हुआ यानी खंडित चावल अपूर्ण और अशुद्ध होत