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भगवान धन्वंतरि

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 धन्वन्तरि हिन्दू धर्म में विष्णु अंश अवतार देवता हैं। वे आयुर्वेद प्रवर्तक हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी,चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती महालक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था।  इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था। इन्‍हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। भगवान धन्वन्तरि को आयुर्वेद के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता के रूप में जाना जाता है। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं।  आदिकाल के ग्रंथों में 'रामायण'-'महाभारत