बुधवार, 22 मार्च 2023

सनातन संस्कृति और जल

 विश्वजल दिवस विशेष

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पानी से जुड़ी बुरी आदतें आपके लिए बन सकती हैं जहर

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पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पीया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पीया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पीया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है।


आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है,भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए……


1. भक्तस्यादौ जलं पीतमग्निसादं कृशा अङ्गताम!!


खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है।*


2. अन्ते करोति स्थूल्त्वमूध्र्वएचामाशयात कफम!


खाना खाने के बाद पानी पीने से शरीर में भारीपन और आमाशय के ऊपरी भाग में कफ की बढ़ोतरी होती है। सरल शब्दों में कहा जाए तो खाने के तुरंत बाद अधिक मात्रा में पानी पीने से मोटापा बढ़ता है व कफ संबंधी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं।


3. प्रयातिपित्तश्लेष्मत्वम्ज्वरितस्य विशेषत:!!


आयुर्वेद के अनुसार बुखार से पीड़ित व्यक्ति प्यास लगने पर ज्यादा मात्रा में पानी पीने से बेहोशी, बदहजमी, अंगों में भारीपन, मितली, सांस व जुकाम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।


4. आमविष्टबध्यो :कोश्नम निष्पिपासोह्यप्यप: पिबेत!


आमदोष के कारण होने वाली समस्याओं जैसे अजीर्ण और कब्ज जैसी स्थितियों में प्यास न लगने पर भी गुनगुना) पानी पीते रहना चाहिए।


5. मध्येमध्यान्ग्तामसाम्यं धातूनाम जरणम सुखम!!


खाने के बीच में थोड़ी मात्रा में पानी पीना शरीर के लिए अच्छा होता है। आयुर्वेद के अनुसार खाने के बीच में पानी पीने से शरीर की धातुओं में समानता आती है और खाना बेहतर ढंग से पचता है।


6. अतियोगेसलिलं तृषय्तोपि प्रयोजितम!


प्यास लगने पर एकदम ज्यादा मात्रा में पानी पीना भी शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। ऐसा करने से पित्त और कफ दोष से संबंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।


7. यावत्य: क्लेदयन्त्यन्नमतिक्लेदोह्य ग्निनाशन:!!


पानी उतना ही पीना चाहिए जो अन्न का पाचन करने में जरूरी हो, दरअसल अधिक पानी पीने से भी डायजेशन धीमा हो जाता है। इसलिए खाने की मात्रा के अनुसार ही पानी पीना शरीर के लिए उचित रहता है।


8. बिबद्ध : कफ वाताभ्याममुक्तामाशाया बंधन:!


*पच्यत* क्षिप्रमाहार:कोष्णतोयद्रवी कृत:!!

कफ और वायु के कारण जो भोजन नहीं पचा है उसे शरीर से बाहर कर देता है। गुनगुना पानी उसे आसानी से पचा देता है।


(सभी सन्दर्भ सूत्र अष्टांग संग्रह अध्याय 6 के 41-42,33-34 एवं 36-37 से लिए गए हैं)


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सोमवार, 20 मार्च 2023

Investment opportunities in India

 निवेश के बारे में जानें


निवेश विकल्प अवलोकन


निवेश वित्तीय योजना का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह आपके पैसे को बढ़ाने और भविष्य के लिए संपत्ति बनाने का एक तरीका है। बाजार में कई निवेश विकल्प उपलब्ध हैं, और सही विकल्प चुनना एक कठिन काम हो सकता है। यहां, हम विभिन्न निवेश विकल्पों पर चर्चा करेंगे जो आपको एक सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।


स्टॉक्स:


स्टॉक या शेयर सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक हैं। जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं। एक शेयरधारक के रूप में, आप कंपनी के एक हिस्से के मालिक हैं और आपको कुछ मामलों पर वोट देने का अधिकार है। शेयर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम भी अधिक होता है। बाजार की स्थितियों और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर शेयरों के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसलिए, स्टॉक में निवेश करने से पहले पूरी तरह से शोध करना आवश्यक है।


बांड:


बांड कंपनियों, सरकारों या नगर पालिकाओं द्वारा जारी किए गए ऋण साधन हैं। जब आप एक बांड खरीदते हैं, तो आप जारीकर्ता को एक विशिष्ट अवधि के लिए धन उधार देते हैं। जारीकर्ता आपको बांड पर ब्याज देता है, और अवधि के अंत में, मूल राशि आपको वापस कर दी जाती है। बांड को शेयरों की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है और यह आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान कर सकता है। हालांकि, बांड पर रिटर्न शेयरों की तुलना में कम है और मुद्रास्फीति आपके निवेश की क्रय शक्ति को कम कर सकती है।


म्यूचुअल फंड्स:


म्युचुअल फंड कई निवेशकों से स्टॉक, बॉन्ड या अन्य संपत्तियों में निवेश करने के लिए एकत्र किए गए धन का एक पूल है। जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप फंड का एक हिस्सा खरीदते हैं। फंड का प्रबंधन एक पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा किया जाता है जो विविधीकरण प्रदान करने और जोखिम प्रबंधन के लिए विभिन्न संपत्तियों में पैसा निवेश करता है। म्युचुअल फंड अच्छा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन वे फीस और खर्च के साथ भी आते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले फंड के प्रॉस्पेक्टस को पढ़ना और फीस को समझना जरूरी है।


एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ):


ईटीएफ म्युचुअल फंड के समान हैं, लेकिन वे एक्सचेंज पर शेयरों की तरह व्यापार करते हैं। जब आप ईटीएफ खरीदते हैं, तो आप फंड के एक हिस्से के मालिक होते हैं, और शेयर का मूल्य फंड द्वारा धारित अंतर्निहित परिसंपत्तियों पर आधारित होता है। ईटीएफ म्युचुअल फंड की तुलना में विविधीकरण, कम शुल्क और अधिक लचीलापन प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, ईटीएफ भी जोखिम के साथ आते हैं, और शेयरों के मूल्य में बाजार की स्थितियों के आधार पर उतार-चढ़ाव हो सकता है।


रियल एस्टेट:


रियल एस्टेट एक और लोकप्रिय निवेश विकल्प है। आप संपत्ति खरीदकर या रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) में निवेश करके रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं। जब आप एक संपत्ति खरीदते हैं, तो आप किराये की आय अर्जित कर सकते हैं और संपत्ति के मूल्य में वृद्धि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, रियल एस्टेट निवेश महंगा हो सकता है और इसके लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए आरईआईटी एक अधिक सुलभ तरीका है। आरईआईटी ऐसी कंपनियां हैं जो आय-सृजन करने वाली संपत्तियों का स्वामित्व और संचालन करती हैं। जब आप आरईआईटी में निवेश करते हैं, तो आप कंपनी के एक हिस्से के मालिक होते हैं, और आप किराये की आय का एक हिस्सा अर्जित करते हैं और संपत्तियों के मूल्य में वृद्धि करते हैं।


क्रिप्टोकरेंसी:


क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या वर्चुअल टोकन हैं जो लेनदेन को सुरक्षित करने और नई इकाइयों के निर्माण को नियंत्रित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करते हैं। बिटकॉइन, एथेरियम और लिटकोइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने हाल के वर्षों में लोकप्रियता हासिल की है। क्रिप्टोकरेंसी उच्च रिटर्न प्रदान कर सकती हैं, लेकिन वे उच्च जोखिम के साथ भी आती हैं। क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में बाजार की स्थितियों और नियामक परिवर्तनों के आधार पर उतार-चढ़ाव हो सकता है। निवेश करने से पहले क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है।


माल:


जिंस कच्चे माल या प्राथमिक कृषि उत्पाद हैं जिनका बाजारों में कारोबार होता है। सोना, चांदी, तेल और गेहूं जैसी वस्तुएं आपके पोर्टफोलियो को विविधीकरण प्रदान कर सकती हैं। जब आप वस्तुओं में निवेश करते हैं, तो आप कीमतों में उतार-चढ़ाव और मुद्रास्फीति की हेजिंग से लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, वस्तुएं अस्थिर हो सकती हैं, और आपूर्ति और मांग कारकों के आधार पर उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है।


जमा प्रमाणपत्र (सीडी):


डिपॉजिट सर्टिफिकेट या सीडी बैंकों या क्रेडिट यूनियनों द्वारा दी जाने वाली फिक्स्ड टर्म डिपॉजिट हैं। जब आप एक सीडी में निवेश करते हैं, तो आप एक विशिष्ट अवधि के लिए अपना पैसा खाते में रखने के लिए सहमत होते हैं। अवधि जितनी लंबी होगी, ब्याज दर उतनी ही अधिक होगी। सीडी को कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है क्योंकि उन्हें एफडीआईसी या एनसीयूए द्वारा एक निश्चित राशि तक बीमाकृत किया जाता है। हालांकि, सीडी अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में कम रिटर्न प्रदान करते हैं, और यदि आप अवधि समाप्त होने से पहले अपना पैसा वापस ले लेते हैं, तो आपको दंड का सामना करना पड़ सकता है।


वार्षिकियां बीमा कंपनियों द्वारा पेश किए जाने वाले वित्तीय उत्पाद हैं जो एकमुश्त या आवधिक भुगतान के बदले आय का एक नियमित प्रवाह प्रदान करते हैं। वार्षिकियां तय या परिवर्तनीय हो सकती हैं, और अनुबंध की शर्तों के आधार पर रिटर्न भिन्न हो सकते हैं। वार्षिकियां सेवानिवृत्ति आय और कर लाभ प्रदान कर सकती हैं, लेकिन वे शुल्क और व्यय के साथ भी आती हैं। निवेश करने से पहले वार्षिकी से जुड़े नियमों और शुल्क को समझना महत्वपूर्ण है।


पीयर-टू-पीयर लेंडिंग:


पीयर-टू-पीयर लेंडिंग या पी2पी लेंडिंग उधार देने का एक रूप है जो व्यक्तियों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अन्य व्यक्तियों या व्यवसायों को पैसा उधार देने की अनुमति देता है। 

शुक्रवार, 17 मार्च 2023

माँ लक्ष्मी की कृपा हेतु उपाय

 अगर पानी है महालक्ष्मी की कृपा तो पढ़ें ये स्तोत्र


शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा जरूर करें। इस दिन लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा और व्रत रखने का विधान है।



हिन्दूधर्म में देवी लक्ष्मी धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवराज इन्द्र ने महालक्ष्मी कृपा प्रार्थना स्तोत्र की रचना की थी। इस स्त्रोत का पाठ करने से धन- वैभव, सौभाग्य, आरोग्य, ऐश्वर्य, शील, विद्या, विनय, ओज की प्राप्ति होती है। लोग महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए महालक्ष्मी कृपा प्रार्थना स्तोत्र का जाप करते हैं....


श्री लक्ष्मी स्तोत्र:


नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।

शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 1॥


नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 2॥


सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।

सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 3॥


सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 4॥


आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 5॥


स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।

महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 6॥


पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 7॥

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

होलाष्टक विचार

🔥🔥🔥होलाष्टक विचार 🔥🔥🔥
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विपाशेरावती तीरे 
               शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।
विवाहादि शुभे नेष्टं-
            होलिकाप्राग्दिनाष्टकम् ।।

होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक  दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है। 

होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते है यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है होलाष्टक फिर आठ दिनों तक रहता है इस वर्ष होलाष्ट आठ की जगह नौ दिन तक रहेगा इसमें सभी शुभ मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है यह दुलहंडी पर रंग खेलकर खत्म होता है।

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर 2 डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। इससे पूर्व इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है  फिर हर दिन इसमे गोबर के उपल , लकड़ी घास और जलने में सहायक चीजे डालकर इसे बड़ा किया जाता है।

पौराणिक कथाओ एवं शास्त्रों में बताया गया है की होलाष्टक के दिन ही कामदेव ने शिव तपस्या को भंग किया था इस कारण शिव जी अत्यंत क्रोधित हो गये थे उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था हालाकि कामदेव ने देवताओ की इच्छा और उनके अच्छे के लिए शिव को तपस्या से उठाया था।

कामदेव के भस्म होने से समस्त संसार शोक में डूब गया उनकी पत्नी रति ने शिव से विनती की वे उन्हें फिर से पुनर्जीवित कर दे तब भगवान भोलेनाथ से द्वापर में उन्हें फिर से जीवन देने की बात कही।

एक दूसरी कथा के अनुसार राजा हरिण्यकशिपु ने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को भगवद् भक्ति से हटाने और हरिण्यकशिपु को ही भगवान की तरह पूजने के लिये अनेक यातनाएं दी लेकिन जब किसी भी तरकीब से बात नहीं बनी तो होली से ठीक आठ दिन पहले उसने प्रह्लाद को मारने के प्रयास आरंभ कर दिये थे। लगातार आठ दिनों तक जब भगवान अपने भक्त की रक्षा करते रहे तो होलिका के अंत से यह सिलसिला थमा। इसलिये आज भी भक्त इन आठ दिनों को अशुभ मानते हैं। उनका यकीन है कि इन दिनों में शुभ कार्य करने से उनमें विघ्न बाधाएं आने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक मे सभी शुभ कार्य करना वर्जित रहते हैं, क्योकी इन आठ दिवस 8 ग्रह उग्र रहते है। इन आठ दिवसो मे अष्टमी को चन्द्रमा,नवमी को सूर्य,दशमी को शनि,एकादशी को शुक्र,द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मगल, और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। इसलिये इस अवधि में शुभ कार्य करने वर्जित है

होलाष्टक में न करें ये कार्य
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1. विवाह:👉 होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।

2. नामकरण एवं मुंडन संस्कार:👉 
होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।

3. भवन निर्माण:👉 होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।

4. हवन-यज्ञ:👉 होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।

5. नौकरी:👉 होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।

6. भवन, वाहन आदि की खरीदारी:👉 संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।

होलाष्टक में पूजा-अर्चना की के लिए किसी भी प्रकार की मनाही नही होती। होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती आदि करें, इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
परंतु सकाम (किसी कामना से किये जाने वाले यज्ञादि कर्म) किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते।

7.👉 सनातन हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।

होलाष्टक  कब है  ?
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होलाष्टक कल 27 फरवरी को लगेगा और 07 मार्च 2023 तक रहेगा इस आठ दिन के समय में कोई मांगलिक कार्य , गृह प्रवेश करना वर्जित होगा व्यक्ति को नए रोजगार और नया व्यवसाय भी नही शुरू करना चाहिए।
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कुंभ महापर्व

 शास्त्रोंमें कुंभमहापर्व जिस समय और जिन स्थानोंमें कहे गए हैं उनका विवरण निम्नलिखित लेखमें है। इन स्थानों और इन समयोंके अतिरिक्त वृंदावनमें...