संदेश

मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सनातन संस्कृति और जल

  विश्वजल दिवस विशेष 〰〰🌼〰🌼〰〰 पानी से जुड़ी बुरी आदतें आपके लिए बन सकती हैं जहर 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पीया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पीया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पीया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है,भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए…… 1. भक्तस्यादौ जलं पीतमग्निसादं कृशा अङ्गताम!! खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है।* 2. अन्ते करोति स्थूल्त्वमूध्र्वएचामाशयात कफम! खाना खाने के बाद पानी पीने से शर

Investment opportunities in India

 निवेश के बारे में जानें निवेश विकल्प अवलोकन निवेश वित्तीय योजना का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह आपके पैसे को बढ़ाने और भविष्य के लिए संपत्ति बनाने का एक तरीका है। बाजार में कई निवेश विकल्प उपलब्ध हैं, और सही विकल्प चुनना एक कठिन काम हो सकता है। यहां, हम विभिन्न निवेश विकल्पों पर चर्चा करेंगे जो आपको एक सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। स्टॉक्स: स्टॉक या शेयर सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक हैं। जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं। एक शेयरधारक के रूप में, आप कंपनी के एक हिस्से के मालिक हैं और आपको कुछ मामलों पर वोट देने का अधिकार है। शेयर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम भी अधिक होता है। बाजार की स्थितियों और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर शेयरों के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसलिए, स्टॉक में निवेश करने से पहले पूरी तरह से शोध करना आवश्यक है। बांड: बांड कंपनियों, सरकारों या नगर पालिकाओं द्वारा जारी किए गए ऋण साधन हैं। जब आप एक बांड खरीदते हैं, तो आप जारीकर्ता को एक विशिष्ट अवधि के लिए धन उधार देते हैं। जारीकर्ता आपको बांड पर ब्याज देता

माँ लक्ष्मी की कृपा हेतु उपाय

चित्र
 अगर पानी है महालक्ष्मी की कृपा तो पढ़ें ये स्तोत्र शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा जरूर करें। इस दिन लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा और व्रत रखने का विधान है। हिन्दूधर्म में देवी लक्ष्मी धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवराज इन्द्र ने महालक्ष्मी कृपा प्रार्थना स्तोत्र की रचना की थी। इस स्त्रोत का पाठ करने से धन- वैभव, सौभाग्य, आरोग्य, ऐश्वर्य, शील, विद्या, विनय, ओज की प्राप्ति होती है। लोग महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए महालक्ष्मी कृपा प्रार्थना स्तोत्र का जाप करते हैं.... श्री लक्ष्मी स्तोत्र: नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 1॥ नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि न

होलाष्टक विचार

चित्र
🔥🔥🔥 होलाष्टक विचार 🔥🔥🔥 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ विपाशेरावती तीरे                 शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे। विवाहादि शुभे नेष्टं-             होलिकाप्राग्दिनाष्टकम् ।। होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक  दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।  होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते है यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है होलाष्टक फिर आठ दिनों तक रहता है इस वर्ष होलाष्ट आठ की जगह नौ दिन तक रहेगा इसमें सभी शुभ मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है यह दुलहंडी पर रंग खेलकर खत्म होता है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर 2 डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। इससे पूर्व इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है  फिर हर दिन इसमे गोबर के उपल , लकड़ी घास और जलने में सहायक चीजे डालकर इसे बड़ा किया जाता है। पौराणिक कथाओ एवं शास्त्रों में बताया गया है की होलाष्टक के दिन ही कामदेव ने शिव तपस्या को भंग किया था इस कारण शिव जी अत्यंत क्र