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वास्तुशास्त्र में दिशाओं का महत्व

 * ग्रहों का घर के वास्तु पर कितना असर, किस हिस्से में कौन सी चीज रखना शुभ* {वास्तुशास्त्र में दिशाओं का महत्व} =========================== ✍🏻किसी भी वास्तु में नौ ग्रहों का आधिपत्य होता है एवं वास्तु में इनका स्थान निश्चित कोण पर होता है। इसी प्रकार प्रत्येक दिशा के देवता भी अलग-अलग होते हैं। घर में इनके संतुलित होने पर सुख-समृद्धि रहती है वहीं इनके स्वभाव के विपरीत निर्माण करने पर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जिससे अनेकों प्रकार की परेशानियों का जीवन में सामना करना पड़ सकता है ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से सभी नौ ग्रहों का घर के वास्तु पर कैसा असर होता है। *सूर्य ग्रह:-* पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य ग्रह एवं देवता इंद्र है। सूर्य स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और तेजस्व प्रदान करने वाला ग्रह है यदि घर की पूर्व दिशा दोषमुक्त रहे तो उस भवन का स्वामी और उसमें रहने वाले सदस्य महत्वकांक्षी, सत्वगुणों से युक्त और उनके चेहरे पर तेज होता है। ऐसे में भवन स्वामी को खूब मान-सम्मान मिलता है। इसलिए वास्तु में पूर्व दिशा को खुला छोड़ने की सलाह दी जाती है ताकि अंनत गुणधर्म व

भगवान नृसिंह

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  भगवान नृसिंह प्राकट्य दिवस विशेष 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर असुरों का अंत कर धर्म कि रक्षा की थी। तभी से भगवान नृसिंह की जयंती संपूर्ण भारत वर्ष में धूम धाम से मनाई जाती है। नृसिंह मंत्र  〰️〰️〰️ ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥ (हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।) श्री नृसिंह स्तवः 〰️〰️〰️〰️〰️ प्रहलाद ह्रदयाहलादं भक्ता विधाविदारण। शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥ नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने। हिरन्यकशिपोर्ब‍क्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥ इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह। बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥