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उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से व्रत करने वाले को हजार यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस व्रत का प्रभाव देवताओं को भी दुर्लभ है। उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा... उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा एक बार युधिष्ठिर ने भगवान से पूछा कि हे भगवन आपने हजारों यज्ञ और लाख गौदान को भी एकादशी व्रत के बराबर नहीं बताया, सो यह तिथि सब तिथियों से उत्तम कैसे हुई, बताइए। भगवन् कहने लगे- हे युधिष्ठिर! सतयुग में मुर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ। वह बड़ा बलवान और भयानक था। उस प्रचंड दैत्य ने इंद्र, आदित्य, वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित करके भगा दिया। तब इंद्र सहित सभी देवताओं ने भयभीत होकर भगवान शिव से सारा वृत्तांत कहा और बोले-हे कैलाशपति! मुर दैत्य से भयभीत होकर सब देवता मृत्युलोक में फिर रहे हैं। तब भगवान शिव ने कहा- हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी, भक्तों के दुःखों का नाश करने वाले भगवान विष्णु की शरण में जाओ। वे ही तुम्हारे दुःखों को दूर कर सकते हैं। इंद्र के ऐसे वचन सुनकर भगवान विष्णु कहने लगे कि हे इंद्र! ऐसा मायावी दैत्य कौन है जिसने स...

गणपति अथर्वशीर्ष

        (श्री गणेशाय नम:) ॐ भद्रड् कर्णेभि: शृणुयाम देवा: । भद्रम् पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभि: व्यशेम देवहितं यदायु: ।। ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृध्दश्रवा: । स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: । स्वस्ति नस्तार्क्ष्योऽअरिष्टनेमि: स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।। (अथ अथर्वशीर्षारम्भ: ।) ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्ताऽसि। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम्॥१॥ ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि॥२॥ अव त्वं मां। अव वक्तारं। अव श्रोतारं। अव दातारं। अव धातारं। अवानुचानमव शिष्यं। अव पश्चात्तात्। अव पुरस्तात्। अवोत्तरात्तात्। अव दक्षिणात्तात्। अव चोर्ध्वात्तात। अवाधरात्तात। सर्वतो मां पाहि पाहि समंतात्॥३॥ त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मय:। त्वमानंदमयस्त्वं ब्रह्ममय:। त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि। त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि॥४॥ सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते। सर्वं जगदिदं तत्त्वस्तिष्ठति। सर्वं ...