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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जूठन विचार

उच्छिष्टभोजन- भगवान् ने गीताजी में कहा हैं --->  उच्छिष्टमपि_चामेध्यं_भोजनं_तामसप्रियम् ॥ १७/१० ॥ जो भोजन उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है, वह भोजन तामस पुरुषों को प्रिय होते हैं । *महाभारत* में भी जगह-जगह आहार के सम्बन्ध में कठोर नियमों का उल्लेख हैं। ----> शूद्रस्य_तु_कुलं_हन्ति_वैश्यस्य_पशुबान्धवम्।क्षत्रियस्य_श्रियं_हन्ति_ब्राह्मणस्य_सुवर्चसम्।।तथोच्छिष्टमथान्योन्यं_संप्राशेन्नात्र_संशयः।।महा०अ०१३६/२३-२६।। अर्थात् शूद्र का शूद्र के साथ एक पात्र में भोजन करने से उसका कुलक्षय, वैश्य का वैश्य के साथ एक पात्र में भोजन करने से उसके पशु और बान्धव का, क्षत्रिय का क्षत्रिय के साथ एक पात्र में भोजन करने से श्री का नाश एवं ब्राह्मण का ब्राह्मण के साथ एक पात्र में भोजन करने से उनका तेज का नाश होता हैं। अतएव एक दूसरे का जूठा खाना यानी कई लोगों का का एक पात्र में भोजन करना अत्यन्त अवाञ्छनीय हैं। आजकल तो एक-दूसरे का जूठा खाने में लोग गौरव समझतें हैं। यही नहीं परंतु ब्राह्मण पति-पत्नी  को भी परस्पर जूठा खाने में कहा हैं कि - "स्त्रिया सह भोजनेऽपि न दोष इत्याह->  *(एकयानसमार...

सत्यवान और सावित्री की कथा

सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा  〰️〰️🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸〰️〰️ महाभारत एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे अनेकों पौराणिक, धार्मिक कथा-कहानियों का संग्रह है। ऐसी ही एक कहानी है सावित्री और सत्यवान की, जिसका सर्वप्रथम वर्णन महाभारत के वनपर्व में मिलता है।   जब वन में गए युधिष्ठर, मार्कण्डेय मुनि से पूछते है की क्या कोई अन्य नारी भी द्रोपदी की जैसे पतिव्रता हुई है जो पैदा तो राजकुल में हुई है पर पतिव्रत धर्म निभाने के लिए जंगल-जंगल भटक रही है। तब मार्कण्डेय मुनि, युधिष्ठर को कहते है की पहले भी सावित्री नाम की एक नारी इससे भी कठिन पतिव्रत धर्म का पालन कर चुकी है और मुनि, युधिष्ठर को यह कथा सुनाते है। मद्रदेश के अश्वपतिनाम का एक बड़ा ही धार्मिक राजा था। जिसकी पुत्री का नाम सावित्री था। सावित्री जब विवाह योग्य हो गई। तब महाराज उसके विवाह के लिए बहुत चिंतित थे। उन्होंने सावित्री से कहा बेटी अब तू विवाह के योग्य हो गयी है। इसलिए स्वयं ही अपने योग्य वर चुनकर उससे विवाह कर लें।  धर्मशास्त्र में ऐसी आज्ञा है कि विवाह योग्य हो जाने पर जो पिता कन्यादान नहीं करता, वह पिता निंदनीय है। ऋतुकाल में जो स...

कर्ण की मृत्यु का रहस्य

*जानिये महाबली सूर्यपुत्र कर्ण की मृत्यु का रहस्य* 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰 *दुशाशन को जब भीम मार उसका रक्त पिया और द्रौपदी के केश उसके खून से धुलवाए तो दुर्योधन की आँखों में खून उतर आया उसने आव देखा न ताव, कर्ण को अर्जुन को ख़त्म करने का आदेश दे दिया और तब कर्ण सेनाओ को चीरते हुए अर्जुन के सामने कूद पड़ा और दोनों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया।* *युद्ध इतना भयंकर था की कृष्ण ने कई बार अर्जुन को सावधान करना पड़ा था क्योंकि अर्जुन कर्ण की वीरता देख हक्का बक्का रह जाता था, अर्जुन के रथ पे हनुमान की ध्वजा लगी थी जिससे वो युद्ध में बच्चा रहा था। लेकिन इस युद्ध में हनुमान जी भी बेहद मुश्किल से अर्जुन का रथ नष्ट होने से बचा पाये, स्वयं वासुदेव श्री कृष्ण भी कर्ण के युद्ध कौशल की प्रशंसा कीये बिना न रह सके थे।* *विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने का दावा करने वाले अर्जुन को ऐसा लग रहा था जैसे अर्जुन सामने है और वो खुद एक आम धनुर्धर है। शाम होते होते अर्जुन को हालत पतली हो गई और तब अर्जुन पर कर्ण ने ब्रह्मा अश्त्र चलना चाहा था जिससे उसी पल अर्जुन की मौत हो सकती थी पर तब श्रीकृष्ण ने अपने चक्र...

सावित्री व्रत कथा

वट सावित्रि अमावस्या व्रत 22 मई विशेष 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ वट सावित्रि व्रत का महत्व एवं कथा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं। भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार वट सावित्री अमावस्या की पूजा और व्रत इस वर्ष 22 मई को मनाया जाएगा।  वट सावित्री व्रत समय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष गणना के अनुसार, इस वर्ष यह पर्व 22 मई दिन शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र और शोभन योग में पड़ रहा है, जो ज्योतिषीय गणना के अनुसार उत्तम योग है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 मई दिन गुरुवार को रात्रि 09 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है, जो 22 मई को रात्रि 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि प्रारम्भ👉 मई 21, 2020 क...

जप के प्रकार

जप के प्रकार और कौन से जप से क्या होता है..? 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ जप के अनेक प्रकार हैं। उन सबको समझ लें तो एक जपयोग में ही सब साधन आ जाते हैं। परमार्थ साधन के कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और राजयोग ये चार बड़े विभाग हैं। जपयोग में इन चारों का अंतर्भाव हो जाता है। जप के कुछ मुख्य प्रकार ये हैं- 1. नित्य जप, 2. नैमित्तिक जप, 3. काम्य जप, 4. निषिद्ध जप, 5. प्रायश्चित जप, 6. अचल जप, 7. चल जप, 8. वाचिक जप, 9. उपांशु जप, 10. भ्रमर जप, 11. मानस जप, 12. अखंड जप, 13. अजपा जप और 14. प्रदक्षिणा जप इत्यादि।  1. नित्य जप 〰️〰️〰️〰️ प्रात:-सायं गुरु मंत्र का जो नित्य-नियमित जप किया जाता है, वह नित्य जप है। यह जप जपयोगी को नित्य ही करना चाहिए। आपातकाल में, यात्रा में अथवा बीमारी की अवस्‍था में, जब स्नान भी नहीं कर सकते, तब भी हाथ, पैर और मुंह धोकर कम से कम कुछ जप तो अवश्य कर ही लेना चाहिए, जैसे झाड़ना, बुहारना, बर्तन मलना और कपड़े धोना रोज का ही काम है, वैसे ही नित्य कर्म भी नित्य ही होना चाहिए। उससे नित्य दोष दूर होते हैं, जप का अभ्यास बढ़ता है, आनंद बढ़ता जाता है और चित्त शुद्ध होता...

शनि देव

राजा को भी क्षण में रंक कर देने वाले शनिदेव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी!!!!!!! ▪️शनिदेव सूर्यदेव और छाया के पुत्र हैं । सूर्य समस्त ग्रहों के राजाहैं तो उनके पुत्र युवराज शनिदेव न्यायाधीश हैं । ▪️शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को हुआ था इसीलिए शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या (शनिचरी अमावस्या) शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है । ▪️शनिका रंग काला, अवस्था वृद्ध, आकृति दीर्घ, लिंग नपुंसक है । ▪️शनि के चार हाथों में बाण, वर, शूल और धनुष है । उनका वाहनगिद्ध है । ▪️शनि का गोत्र कश्यप व जाति शूद्र है ।  ▪️वे सौराष्ट्र के अधिपति हैं । ▪️शनिदेव को मन्द, शनैश्चर, सूर्यसूनु, सूर्यज, अर्कपुत्र, नील, भास्करी, असित, पंगु, क्रूरलोचन, छायात्मज आदि नामों से जाना जाता है । शनिदेवका वार शनिवार, धातु लोहा, रत्न नीलम, उपरत्नजमुनिया या लाजावर्त, जड़ी बिछुआ, बिच्छोलमूल (हत्था जोड़ी)  व समिधा शमी  है ।  ▪️शनि का आधिपत्य मकर और कुम्भ राशि तथा पुष्य, अनुराधा एवं उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर है ।  ▪️शनि वायुतत्त्व प्रधान ग्रह है । ▪️अंकज्योतिष के अनुसार प्रत्येक महीने...

अपरा एकादशी

*💥एकादशी व्रत कथा💥*    *🚩🚩अपरा एकादशी🚩🚩* युधिष्ठिर ने पूछा : जनार्दन ! ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूँ । उसे बताने की कृपा कीजिये । भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आपने सम्पूर्ण लोकों के हित के लिए बहुत उत्तम बात पूछी है । राजेन्द्र ! ज्येष्ठ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार वैशाख ) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘अपरा’ है । यह बहुत पुण्य प्रदान करनेवाली और बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है । ब्रह्महत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करनेवाला, गर्भस्थ बालक को मारनेवाला, परनिन्दक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुष भी ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से निश्चय ही पापरहित हो जाता है । जो झूठी गवाही देता है, माप तौल में धोखा देता है, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता है और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है… ये सब नरक में निवास करनेवाले प्राणी हैं । परन्तु ‘अपरा एकादशी’ के सवेन से ये भी पापरहित हो जाते हैं । यदि कोई क्षत्रिय अपने क्षात्रधर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है तो वह क्षत्रियोचित धर्म से भ्रष्ट होने के का...

कामेश्वर महादेव

कामेश्वर धाम, जहां कामदेव को किया था शिव ने भस्म जहां शिव ने कामदेव को किया था भस्म वह जगह है कामेश्वर धाम। यह उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था। यहां स्थित एक आम का पेड़ सदियों से इस बात का गवाह हैं। यह पेड़ आधा जला और आधा हरा हैं। माना जाता है कि कामदेव ने इस आम के पेड़ के पीछे छिपकर भगवान शिव पर बाण चलाया था। कथा के अनुसार सती के आत्मदाह करने पर भगवान शिव क्रोधित हो गए। भगवान शिव ने अपने तांडव से पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। जब देवताओं ने सृष्टि की यह हालात देखी तो भगवान शंकर को समझाकर उन्हें शान्ति के लिए माता गंगा के तमसा के इस पवित्र तट पर समाधि के लिए भेजा। भगवान शंकर ने यहां आकर तपस्या में लीन हो गए। लेकिन इसी बीच महाबली राक्षस तारकासुर ने अपने तप से भगवान ब्रह्मा को खुश कर वरदान मांगा। वरदान में उन्होंने अपनी मौत भगवान शिव के पुत्र के द्धारा होनी मांगी। वरदान के प्राप्त होने पर वह राक्षस पूरी सृष्टि में आंतक मचाने लगा। सब चिंतित हो गए और देवताओं ने भगवान शिव को जगाने के लिए कामदेव को जिम्मेदारी दी। का...

धनप्राप्ति के संकेत

धन प्राप्ति से जुड़े गुप्त संकेत 1- अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है। 2- यदि कोई सपने में देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है। 3- लेन-देन के समय यदि पैसा आपके हाथ से छूट जाए, तो समझना चाहिए कि धन लाभ होने वाला है। 4- जो व्यक्ति सपने में मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, उसके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है। 5- जिसे स्वप्न में कुम्हार घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, उसे बहुत धन लाभ होता है। 6- दीपावली के दिन यदि कोई किन्नर संज-संवर कर दिखाई दे, तो अवश्य ही धन लाभ होता है। ये धन लाभ अप्रत्याशित रूप से होता है। 7- सोकर उठते ही सुबह-सुबह कोई भिखारी मांगने आ जाए, तो समझना चाहिए कि आपके द्वारा दिया गया पैसा (उधार) बिना मांगे ही मिलने वाला है। इसलिए भिखारी को अपने द्वार से कभी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। 8- यदि कोई सपने में स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है। 9- यदि कोई स...

पूज्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज

*पुरी शंकाराचार्य स्वामी*  निश्चलानंद सरस्वती महाभाग की लिखी पुस्तकों पर हो रही है ऑक्सफोर्ड औऱ कैंब्रिंज यूनीवर्सिटी में भी रिसर्च जानिए इनके बारे मे..  अनन्तश्री विभूषित गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराज श्री गोवर्धनमठ पुरी के वर्तमान १४५वें जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज भारत के एक ऐसे युग पुरुष हैं,जिनसे आधुनिक युग के सर्वोच्च वैधानिक संगठनो संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व बैंक तक ने मार्गदर्शन प्राप्त किया है ! संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिनांक २८ से ३१ अगस्त २००० में न्यूयार्क में आयोजित विश्वशांति शिखर सम्मलेन तथा विश्व बैंक ने वर्ल्ड फेथ्स डेवलपमेंट डायलाॅग– २००० के वाशिंगटन सम्मलेन के अवसर पर लिखित मार्गदर्शन प्राप्त किया था ! श्री गोवर्धन मठ से सम्बंधित स्वस्तिप्रकाशन द्वारा इसे क्रमशः “ विश्वशांति का सनातन सिद्धांत “ तथा “ सुखमय जीवन का सनातन सिद्धांत “ शीर्षक से सन २००० में पुस्तक रूप में प्रकाशित किया ! इसके अलावा विश्व के २०० देश चिन्हित किये गए हैं,जिनके वैज्ञानिको ने कंप्यूटर व् मोबाइल फोन से ले...

कामदेव के रहस्य

कामदेव के तेरह तथ्य !     हिन्दू धर्म में कामदेव, कामसूत्र, कामशास्त्र और चार पुरुषर्थों में से एक काम की बहुत चर्चा होती है। खजुराहो में कामसूत्र से संबंधित कई मूर्तियां हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या काम का अर्थ सेक्स ही होता है? नहीं, काम का अर्थ होता है कार्य, कामना और कामेच्छा से। वह सारे कार्य जिससे जीवन आनंददायक, सुखी, शुभ और सुंदर बनता है काम के अंतर्गत ही आते हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। आपने कामदेव के बारे में सुना या पढ़ा होगा। पौराणिक काल की कई कहानियों में कामदेव का उल्लेख मिलता है। जितनी भी कहानियों में कामदेव के बारे में जहां कहीं भी उल्लेख हुआ है, उन्हें पढ़कर एक बात जो समझ में आती है वह यह कि कि कामदेव का संबंध प्रेम और कामेच्छा से है। लेकिन असल में कामदेव हैं कौन? क्या वह एक काल्पनिक भाव है जो देव और ऋषियों को सताता रहता था या कि वह भी किसी देवता की तरह एक देवता थे?आजो जानते हैं कामदेव के बारे में 13 रहस्य... कामदेव का परिवार :पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं। उनका विवाह रति नाम की देवी से हुआ था, जो प्रेम और आकर्षण ...

कृष्ण और जामवंत की कथा

श्रीकृष्ण और जामवंत का युद्ध 🔸🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔸 पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सत्राजित ने भगवान सूर्य की उपासना की जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी स्यमन्तक नाम की मणि उसे दे दी। एक दिन जब कृष्ण साथियों के साथ चौसर खेल रहे थे तो सत्राजित स्यमन्तक मणि मस्तक पर धारण किए उनसे भेंट करने पहुंचे। उस मणि को देखकर कृष्ण ने सत्राजित से कहा की तुम्हारे पास जो यह अलौकिक मणि है, इनका वास्तविक अधिकारी तो राजा होता है। इसलिए तुम इस मणि को हमारे राजा उग्रसेन को दे दो। यह बात सुन सत्राजित बिना कुछ बोले ही वहाँ से उठ कर चले गए। सत्राजित ने स्यमन्तक मणि को अपने घर के मन्दिर में स्थापित कर दिया। वह मणि रोजाना आठ भार सोना देती थी. जिस स्थान में वह मणि होती थी वहाँ के सारे कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते थे। एक दिन सत्राजित का भाई प्रसेनजित उस मणि को पहन कर घोड़े पर सवार हो आखेट के लिये गया। वन में प्रसेनजित पर एक सिंह ने हमला कर दिया जिसमें वह मारा गया। सिंह अपने साथ मणि भी ले कर चला गया। उस सिंह को रीछराज जामवंत ने मारकर वह मणि प्राप्त कर ली और अपनी गुफा में चला गया। जामवंत ने उस मणि को अपने बालक को दे दिया ज...