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श्री राधाष्टमी

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह 25 अगस्त को मनाया जाएगा. राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊँची पहाडी़ पर पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं। इस दिन रात-दिन बरसाना में बहुत रौनक रहती है. विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. धार्मिक गीतों तथा कीर्तन के साथ उत्सव का आरम्भ होता है। राधाष्टमी की कथा  〰️〰️〰️〰️〰️〰️ राधाष्टमी कथा, राधा जी के जन्म से संबंधित है. राधाजी, वृषभानु गोप की पुत्री थी.  राधाजी की माता का नाम कीर्ति था. पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की पुत्री बताया गया है. इस ग्रंथ के अनुसार जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे तब भूमि कन्या के रुप में इन्हें राधाजी मिली थी. राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया। इसके साथ ही यह कथा भी मिलती है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लेते समय अपने परिवार के अन्य सदस्यों से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा था, तब विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी. ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी, श्रीकृष्ण क

श्रीराधास्तोत्र - गणेश कृत

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 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *॥ श्रीराधास्तोत्रं गणेशकृतम् ॥* श्रीगणेश उवाच । *तव पूजा जगन्मातर्लोकशिक्षाकरी शुभे।* *ब्रह्मस्वरूपा भवती कृष्णवक्षःस्थलस्थिता ॥ १॥* *यत्पादपद्ममतुतलं ध्यायन्ते ते सुदुर्लभम् ।* *सुरा ब्रह्मेशशेषाद्या मुनीन्द्राः सनकादयः ॥ २॥* *जिवन्मुक्ताश्च भक्ताश्च सिद्धेन्द्राः कपिलादयः ।* *तस्य प्राणाधिदेवि त्वं प्रिया प्राणाधिका परा ॥ ३॥* *वामाङ्गनिर्मिता राधा दक्षिणाङ्गश्च माधवः ।* *महालक्ष्मीर्जगन्माता तव वामाङ्गनिर्मिता ॥ ४॥* *वसोः सर्वनिवासस्य प्रसूस्त्वं परमेश्वरी ।* *वेदानां जगतामेव मूलप्रकृतिरीश्वरी ॥ ५॥* *सर्वाः प्राकृतिका मातः सृष्ट्यां च त्वद्विभूतयः ।* *विश्वानि कार्यरूपाणि त्वं च कारणरूपिणी ॥ ६॥* *प्रलये ब्रह्मणः पाते तन्निमेषो हरेरपि ।* *आदौ राधां समुच्चार्य पश्चात् कृष्णं परात्परम् ॥ ७॥* *स एव पण्डितो योगी गोलोकं याति लीलया ।* *व्यतिक्रमे महापी ब्रह्महत्यां लभेद् ध्रुवम् ॥ ८॥* *जगतां भवती माता परमात्मा पिता हरिः ।* *पितुरेव गुरुर्माता पूज्या वन्द्या परत्परा ॥ ९॥* *भजते देवमन्यं वा कृष्णं वा सर्वकारणम् ।* *पुण्यक्षेत्रे महामूढो यदि निन्दा राधीकाम् ॥ १०॥* *व

शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है

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 जानिए शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है? 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ 👉  शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। 👉  शिवलिंग पर दही अर्पित करने से हमें जीवन में हर्ष और उल्लास की प्राप्ति होती है। 👉 शिवलिंग पर शहद चडाने से रूप और सौंदर्य प्राप्त होता है , वाणी में मिठास रहती है, समाज में लोकप्रियता बढ़ती है। 👉 शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज की प्राप्ति होती है। 👉  शिवलिंग पर शकर चढ़ाने से सुख - समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 👉  शिवलिंग पर ईत्र चढ़ाने से धर्म की प्राप्ति होती हैं। 👉  शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से धन धान्य की वृद्धि होती है, जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। 👉  शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से समाज में यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। 👉  शिवलिंग पर केशर अर्पित करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है , विवाह में आने वाली समस्त अड़चने दूर होती है, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है विवाह के योग शीघ्र बनते है । 👉 शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे समस्त पाप समस्त बुराइयां दूर होती हैं। 👉  शिवलिंग पर आँवला अथवा आँवले का ऱस

इन वस्तुओं को कभी भी जमीन पर न रखें

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 इन वस्तुओं को कभी भी जमीन पर न रखें |ॐ| ये चीजें पृथ्वीपर कभीन रखें मुक्तां शुक्तिं हरेरर्चां,शिवलिंगं शिवां तथा शंखं प्रदीपं यन्त्रं च,माणिक्यं हीरकं तथा॥ यज्ञसूत्रं च पुष्पं च,पुस्तकं तुलसीदलम्! जपमालां पुष्पमालां,कर्पूरं च सुवर्णकम्॥ गोरोचनं च चन्दनं च,शालग्रामजलं तथा! एतान् वोढुमशक्ताहं,क्लिष्टा च भगवन् शृणु॥ इक्कीस वस्तुओंको सीधे पृथ्वीपर रखना वर्जित होताहै।ये वस्तुयें पृथ्वीकी ऊर्जाको खत्म करती है! "मोती,शुक्ति(सीपी)शालीग्राम,शिवलिंग,देवी मूर्ति,शंख,दीपक,यन्त्र,माणिक्य,हीरा,यज्ञसूत्र(यज्ञोपवीत)फूल,पुष्पमाला,जपमाला,पुस्तक,तुलसीदल,कर्पूर,स्वर्ण,गोरोचन,चंदन,शालग्राम के स्नान कराया पानी । राधे राधे