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पंच-कन्या

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 *💐 पवित्र कन्याओं का रहस्य 💐* अहल्या द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी तथा।  पंचकन्या: स्मरेतन्नित्यं महापातकनाशम्॥ पुराणानुसार पांच स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा और मंदोदरी।  हिन्दू धर्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं में ज्यादातर प्रसिद्ध पात्र पुरुषों के ही हैं। पुरुषों को ही महायोद्धा, अवतार आदि का दर्जा दिया गया और उन्हीं से जुड़े चमत्कारों का भी वर्णन हुआ। लेकिन उनके जीवन से जुड़ी महिलाएं, जिनके बिना उनका अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना तक मुश्किल था, उन्हें मात्र एक भूमिका में लाकर छोड़ दिया गया।   यही वजह है कि पौराणिक स्त्रियां जैसे मंदोदरी रावण की अर्धांगिनी के तौर पर, तारा को बाली की पत्नी के बतौर, अहिल्या को गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में, कुंती और द्रौपदी को पांडवों की माता और पत्नी के रूप में ही जाना जाता है।   पंचकन्या : हिन्दू धर्म में इन पांचों स्त्रियों को पंचकन्याओं का दर्जा दिया गया है। जिस स्वरूप में हम अपने पौराणिक इतिहास को देखते हैं, उसे विशिष्ट स्वरूप को गढ़ने का श्रेय इन स्त्रियों को देना शायद अतिश्योक्ति नहीं

पुरुषोत्तम मास - विशेष

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 .                             "पुरुषोत्तम मास व्रत"            पुरुषोत्तम व्रत करने वाले को क्या भोजन करना चाहिए और क्या नहीं, क्या वर्ज्य है और क्या अवर्ज्य इसके संबंध में श्रीवाल्मीकि ऋषि ने कहा है :-            पुरुषोत्तम मास में एक समय हविष्यान्न भोजन करना चाहिए। भोजन में गेहूँ, चावल, सफेद धान, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दही, दूध, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत, सामक, मेथी आदि का सेवन करना चाहिए। केवल सावां या केवल जौ पर रहना अधिक हितकर है। माखन-मिस्री पथ्य है। गुड़ नहीं खाना चाहिए, लेकिन ऊख का या ऊख के रस का सेवन करना चाहिए। मांस, शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर की दाल, बकरी, भैंस और भेड़ का दूध ये सब त्याज्य कहा हैं। काशीफल (कुम्हड़ा), मूली, प्याज, लहसुन, गाजर, बैगन, नालिका आदि का सेवन वर्जित है। तिलका तेल, दूषित अन्न, बासी अन्न आदि भी ग्रहण न करें। अभक्ष्य और नशे की चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार पर रहें और संभव हो तो कृच्छ-चांद्रायण व्रत करें। इस मास ब्रह्मचर्य का पालन और पृथ्वी पर शयन करना करे

वैभव-लक्ष्मी व्रत कथा , विधि और महात्म्य

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  श्री वैभव लक्ष्मी व्रत विधि, कथा और महात्मय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ सुख, शांति, वैभव और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत करने का नियम 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 👉 यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करें तो उनका अति उत्तम फल मिलता है, पर घर में यदि सौभाग्यशाली स्त्रियां न हों तो कोई भी स्त्री एवं कुमारिका भी यह व्रत कर सकती है। स्त्री के बदले पुरुष भी यह व्रत करें तो उसे भी उत्तम फल अवश्य मिलता है। खिन्न होकर या बिना भाव से यह व्रत नहीं करना चाहिए।  👉 यह व्रत किसी भी मास के शुल्क पक्ष प्रथम शुक्रवार से आरम्भ किया जाता है। व्रत शुरु करते वक्त 11 या 21 शुक्रवार का  संकल्प करना चाहिये और बताई गई शास्त्रीय विधि अनुसार ही व्रत करना चाहिए। संकल्प के शुक्रवार पूरे होने पर विधिपूर्वक और बताई गई शास्त्रीय रीति के अनुसार उद्यापन करना चाहिए।  👉  माता लक्ष्मी देवी के अनेक स्वरूप हैं। उनमें उनका ‘धनलक्ष्मी’ स्वरूप ही ‘वैभवलक्ष्मी’ है और माता लक्ष्मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है। व्रत करते समय माता लक्ष्मी के विविध स्वरूप यथा श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्

पितृदोष - क्या है, लक्षण, कारण और निवारण

  पित्र दोष का प्रभाव ,कारण और निवारण -  घर में पितृ दोष होगा तो घर के बच्चे की शिक्षा , दिमाग , व्यवहार पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। जिन जातकों को पितृ दोष होता है उनके बहुत से कारण होते है की हमारे अपने पितरों से सम्बन्ध अच्छे नहीं हो पाते , कारण , आपके जीवन में रुकावटें , परेशानियाँ और क्या नहीं होता* पितृ दोष कही न कही अनेको दोषों को उत्पन्न करने वाला होता है जैसे की वंश न बढ़ने का दोष , असफलता मिलने का दोष , बाधा दोष और भी बहुत कुछ । तो पित्र पक्ष में की गयी पूजा और तर्पण अगर विधि विधान और मन लगाकर किया जाए तो अच्छे फल देने वाली सिद्ध होती है । हर कार्य में नाकामी हाथ लगाना , घर में हमेशा कलह रहना , बीमारी घर के सदस्यों को चाहे छोटी हो या बड़ी घेरे रखती है , यह सब लक्षण पितृ दोषघर में है इसको बताते है । और अगर घर में पितृ दोष है तो किसी भी सदस्य को सफलता आसानी से हाथ नहीं लगती । पितृ दोष कुंडली में है अगर , तो कुंडली के अच्छे ग्रह उतना अच्छा फल जितना उन्हें देना चाहिए ।  घर के सभी लोग आपस में झगड़ते है , घर के बच्चों के विवाह देरी से होते है , और काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है