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*ब्राह्मण के दश प्रकार*

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 🔥 *ब्राह्मण के दश प्रकार* 🔥 * जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः  - अत्रि स्मृति १३८ ब्राह्मण वंश में जन्म लेने वाला जन्म से ही ब्राह्मण है।  भले ही वो नीच कार्य भी क्यों न करें वह अंत तक ब्राह्मण ही रहेगा। महर्षि अत्रि ने ब्राह्मणो का कर्म अनुसार विभाग किया है। देवो मुनिर्द्विजो राजा वैश्यः शूद्रो निषादकः ॥ पशुम्लेच्छोपि चंडालो विप्रा दशविधाः स्मृताः॥  - अत्रि स्मृति ३७१ देव, मुनि, द्विज, राजा, वैश्य, शूद्र, निषाद, पशु, म्लेच्छ, चांडाल यह दश प्रकार के ब्राह्मण कहे हैं ॥ ३७१ ॥ १.देव ब्राह्मण -  ब्राह्मणोचित श्रोत स्मार्त कर्म करने वाला हो  २. मुनि ब्राह्मण - शाक पत्ते फल आहार कर वन में रहने वाला ३. द्विज ब्राह्मण - वेदांत,सांख्य,योग आदि अध्ययन व ज्ञान पिपासु ४. क्षत्रिय ब्राह्मण - युद्ध कुशल हो ५. वैश्य ब्राह्मण - व्यवसाय गोपालन आदि ६. शुद्र ब्राह्मण - लवण,लाख,घी,दूध,मांस आदि बेचने वाला ७. निषाद ब्राह्मण - चोर, तस्कर, मांसाहारी,व्यसनी हो ८. पशु ब्राह्मण - शास्त्र विहीन हो किन्तु मिथ्याभिमान हो ९. म्लेच्छ ब्राह्मण - बावड़ी,कूप,बाग,तालाब को बंद करने वाला १०. चांडाल ब्राह्मण - अकर्मी, क्रियाहीन,

नवरात्रि में कन्या पूजन विधि

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 नवरात्रि पर्व कन्या पूजन विधान विशेष 〰🌼〰🌼〰🌼〰🌼〰🌼〰 नवरात्र पर्व  के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं। कन्या पूजन के लिए निर्दिष्ट दिन 〰🌼〰🌼〰🌼〰🌼〰 कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है। इस वर्ष इन तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति इसलिए है क्योंकि 23 तारीख से सप्तमी उपरांत अष्टमी और 24 तारीख को अष्टमी और नवमी तिथि लग रही है। यही स्थिति दशमी तिथि को लेकर भी है क्योंकि 25 तारीख को नवमी उपरांत दशमी लग रही है। इसलिए उलझन यह है कि किस दिन कौन सी तिथि मान्य होगी?  इस विषय में हमारे शास्त्र और धर्मग्रंथ का प्रमाण यथोचित दिया जा रहा है? शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिन सूर्योदय के समय आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि हो उस दिन श्