*ब्राह्मण के दश प्रकार*

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* जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः 

- अत्रि स्मृति १३८

ब्राह्मण वंश में जन्म लेने वाला जन्म से ही ब्राह्मण है। 


भले ही वो नीच कार्य भी क्यों न करें वह अंत तक ब्राह्मण ही रहेगा। महर्षि अत्रि ने ब्राह्मणो का कर्म अनुसार विभाग किया है।


देवो मुनिर्द्विजो राजा वैश्यः शूद्रो निषादकः ॥

पशुम्लेच्छोपि चंडालो विप्रा दशविधाः स्मृताः॥ 

- अत्रि स्मृति ३७१

देव, मुनि, द्विज, राजा, वैश्य, शूद्र, निषाद, पशु, म्लेच्छ, चांडाल यह दश प्रकार के ब्राह्मण कहे हैं ॥ ३७१ ॥


१.देव ब्राह्मण -  ब्राह्मणोचित श्रोत स्मार्त कर्म करने वाला हो 

२. मुनि ब्राह्मण - शाक पत्ते फल आहार कर वन में रहने वाला

३. द्विज ब्राह्मण - वेदांत,सांख्य,योग आदि अध्ययन व ज्ञान पिपासु

४. क्षत्रिय ब्राह्मण - युद्ध कुशल हो

५. वैश्य ब्राह्मण - व्यवसाय गोपालन आदि

६. शुद्र ब्राह्मण - लवण,लाख,घी,दूध,मांस आदि बेचने वाला

७. निषाद ब्राह्मण - चोर, तस्कर, मांसाहारी,व्यसनी हो

८. पशु ब्राह्मण - शास्त्र विहीन हो किन्तु मिथ्याभिमान हो

९. म्लेच्छ ब्राह्मण - बावड़ी,कूप,बाग,तालाब को बंद करने वाला

१०. चांडाल ब्राह्मण - अकर्मी, क्रियाहीन, कर्मसंकर,वर्णसंकर

(अत्रिस्मृति ३७२-३८१ के आधार पर।) *


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