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देवीपार्वती के 108 नाम और इनका अर्थ

                             देवीपार्वती के 108 नाम और इनका अर्थ 〰️〰️🔸〰️〰️🔸🔸〰️〰️🔸〰️〰️ देवी पार्वती विभिन्न नामों से जानी जाता है और उनमें से हर एक नाम का एक निश्चित अर्थ और महत्व है। देवी पार्वती से 108 नाम जुड़े हुए है । भक्त बालिकाओं के नाम के लिए इस नाम का उपयोग करते है।  1 . आद्य - इस नाम का मतलब प्रारंभिक वास्तविकता है। 2 . आर्या - यह देवी का नाम है 3 . अभव्या - यह भय का प्रतीक है। 4 . अएंदरी - भगवान इंद्र की शक्ति। 5 . अग्निज्वाला - यह आग का प्रतीक है। 6 . अहंकारा - यह गौरव का प्रतिक है । 7 . अमेया - नाम उपाय से परे का प्रतीक है। 8 . अनंता - यह अनंत का एक प्रतीक है। 9 . अनंता - अनंत 10 अनेकशस्त्रहस्ता - इसका मतलब है कई हतियारो को रखने वाला । 11 . अनेकास्त्रधारिणी - इसका मतलब है कई हतियारो को रखने वाला । 12 . अनेकावारना - कई रंगों का व्यक्ति । 13 . अपर्णा – एक व्यक्ति जो उपवास के दौरान कुछ नहि कहता है यह उसका प्रतिक है । 14 . अप्रौधा – जो व्यक्ति उम्र नहि करता यह उसका प्रतिक है । 15 . बहुला - विभिन्...

श्रीजगन्नाथ जी की आँखे बड़ी क्यों है...?

                                श्रीजगन्नाथ जी की आँखे बड़ी क्यों है?  इसके मूल में भगवान् के प्रगाढ़ प्रेम को प्रकट करने वाली एक अद्भुत गाथा है। एक बार द्वारिका में रुक्मणी आदि रानियों ने माता रोहिणी से प्रार्थना की कि वे श्रीकृष्ण व गोपियों की बचपन वाली प्रेम लीलाएँ सुनना चाहतीं हैं। पहले तो माता रोहिणी ने अपने पुत्र की अंतरंग लीलाओं को सुनाने से मना कर दिया। किन्तु रानियों के बार-बार आग्रह करने पर मैया मान गईं और उन्होंने सुभद्रा जी को महल के बाहर पहरे पर खड़ा कर दिया और महल का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया ताकि कोई अनधिकारी जन विशुद्ध प्रेम के उन परम गोपनीय प्रसंगों को सुन न सके। बहुत देर तक भीतर कथा प्रसंग चलते रहे और सुभद्रा जी बाहर पहरे पर सतर्क होकर खड़ी रहीं। इतने में द्वारिका के राज दरबार का कार्य निपटाकर श्रीकृष्ण और बलराम जी वहाँ आ पहुँचे। उन्होंने महल के भीतर जाना चाहा लेकिन सुभद्रा जी ने माता रोहिणी की आज्ञा बताकर उनको भीतर प्रवेश न करने दिया। वे दोनों भी सुभद्रा जी के पास बाहर ही बैठ गए और महल क...