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रमा एकादशी विशेष

 रमा एकादशी विशेष 〰️〰️🌼🌼🌼〰️〰️ रमा एकादशी कार्तिक माह की है, जिसका महत्व अधिक माना जाता हैं। यह एकादशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी हैं। इस वर्ष में रमा एकादशी व्रत आज 27 अक्टूबर रविवार के दिन स्मार्त (सन्यासी एवं गृहस्थ) एवं 28 अक्टूबर के दिन वैष्णव एवं निम्बार्क सम्प्रदाय द्वारा मनाई जाएगी। कार्तिक माह का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस ग्यारस का महत्व भी अधिक माना जाता हैं। क्यों कहते हैं इसे रमा एकादशी 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हालांकि भगवान विष्णु इस समय शयन कर रहे होते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को ही वे चार मास बाद जागते हैं। लेकिन कृष्ण पक्ष में जितने भी त्यौहार आते हैं उनका संबंध किसी न किसी तरीके से माता लक्ष्मी से भी होता है। दिवाली पर तो विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन तक किया जाता है। इसलिये माता लक्ष्मी की आराधना कार्तिक कृष्ण एकादशी से ही उनके उपवास से आरंभ हो जाती है। माता लक्ष्मी का एक अन्य नाम रमा भी होता है इसलिये इस एकादशी को रमा एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब युद्धिष्ठर ने भगवान श्री कृष्ण से कार्तिक ...

कार्तिक मास में तुलसी की महिमा

  कार्तिक मास में तुलसी की महिमा 〰️〰️🌼〰️🌼🌼〰️🌼〰️〰️ ब्रह्मा जी कहे हैं कि कार्तिक मास में जो भक्त प्रातः काल स्नान करके पवित्र हो कोमल तुलसी दल से भगवान् दामोदर की पूजा करते हैं, वह निश्चय ही मोक्ष पाते हैं। पूर्वकाल में भक्त विष्णुदास भक्तिपूर्वक तुलसी पूजन से शीघ्र ही भगवान् के धाम को चला गया और राजा चोल उसकी तुलना में गौण हो गए। तुलसी से भगवान् की पूजा, पाप का नाश और पुण्य की वृद्धि करने वाली है। अपनी लगाई हुई तुलसी जितना ही अपने मूल का विस्तार करती है, उतने ही सहस्रयुगों तक मनुष्य ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठित रहता है। यदि कोई तुलसी संयुत जल में स्नान करता है तो वह पापमुक्त हो आनन्द का अनुभव करता है। जिसके घर में तुलसी का पौधा विद्यमान है, उसका घर तीर्थ के समान है, वहाँ यमराज के दूत नहीं जाते। जो मनुष्य तुलसी काष्ठ संयुक्त गंध धारण करता है, क्रियामाण पाप उसके शरीर का स्पर्श नहीं करते। जहाँ तुलसी वन की छाया हो वहीं पर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध करना चाहिए। जिसके कान में, मुख में और मस्तक पर तुलसी का पत्ता दिखाई देता है, उसके ऊपर यमराज दृष्टि नहीं डाल सकते।      ...

मिलावट के जहर से ऐसे बचे जानिए आप भी

 मिलावट के जहर से ऐसे बचे जानिए आप भी 1. जीरा (Cumin seeds) जीरे की परख करने के ल‍िए थोड़ा सा जीरा हाथ में लीजि‍ए और दोनों हथेल‍ियों के बीच रगड़‍िए। अगर हथेली में रंग छूटे तो समझ जाइए क‍ि जीरा म‍िलावटी है क्‍योंक‍ि जीरा रंग नही छोड़ता। 2. हींग (Hing) हींग की गुणवत्‍ता जांचने के ल‍िए उसे पानी में घोल‍िए। अगर घोल दूध‍िया रंग का हो जाए तो समझ‍िए क‍ि हींग असली है। दूसरा तरीका है हींग का एक टुकड़ा जीभ पर रखें अगर हींग असली होगी तो कड़वापन या चरपराहट का अहसास होगा। 3. लाल मि‍र्च पाउडर (Red chilli powder) लाल म‍िर्च पाउडर में सबसे ज्‍यादा म‍िलावट की जाती है। इसकी जांच करने के ल‍िए पाउडर को पानी में डालिए, अगर रंग पानी में घुले और बुरादा जैसा तैरने लगे तो मान ल‍ीज‍िए की म‍िर्च पाउडर नकली है। 4. सौंफ और धन‍िया (Fennel & Coriander) इन द‍िनों मार्केट में ऐसी सौंफ और धन‍िया म‍िलता है जिस पर हरे रंग की पॉल‍िश होती है ये नकली पदार्थ होते हैं, इसकी जांच करने के ल‍िए धन‍िए में आयोडीन म‍िलाएं, अगर रंग काला हो जाए तो समझ जाइए क‍ि धन‍िया नकली है। 5. काली म‍िर्च (Black pepper) काली म‍िर्च पपीते के...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...