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॥ शिखा बन्धनस्य आवश्यकता॥

 #शिखाविचार *॥ शिखा बन्धनस्य आवश्यकता॥*   *स्नाने दाने जपे होमे सन्ध्यायां देवतार्चने ।*   *शिखाग्रन्थिं सदा कुर्यादित्येतन्मनुरब्रवीत् ॥*   मनुसंहिता स्नान, दान, जप, होम और देव पूजन में सर्वदा शिखा बाँधना चाहिए ।  *॥शिखाबन्धन - विधिः ॥*  *शिखीवच्छिखया भाव्यं ब्रह्मावर्तनिबद्धया ।*   *प्रदक्षिणं द्विरावर्त्य पाशान्तः सम्प्रवेशनात् ॥*   *प्रथमं द्विगुणं कृत्वा ब्रह्मावर्त मितीरितम् ।*  गायत्रीजपनं निबन्धने ॥  कुर्याच्छिखायाश्च इति कौथुमि: शिखा को दुगना करके प्रदक्षिण क्रम घुमाकर उसमें ब्रह्मग्रन्थि लगा दे। मयूर के शिखा के समान शिखा होनी चाहिये। पहले दुगना किया हुआ को ब्रह्मग्रन्थि कहा गया है। गायत्री मन्त्रका जप करते हुए शिखा को बाँधना चाहिये ।   *विप्रादिकानां खलु मुष्टिमेय-*   *केशाः शिखा स्यादधिका न तेन।*   *द्विधा त्रिधा वापि विभज्य बन्धो*   *ह्यल्पास्ततोऽल्पापि न लम्बितानि ॥*   ब्राह्मणों कि शिखा मुष्टि में आने योग्य होनी चाहिये। दुगना या तिगुना करके बाँधना चा...