शुभ और अशुभ शकुन
कुछ शुभ और अशुभ शकुन एक रोचक प्रस्तुति!!!!! प्रभुश्रीराम की बरात जब अयोध्या से प्रस्थान करती है उस समय क्या क्या शुभ शकुन होते हैं? *मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार। जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार॥ भावार्थ:-सभी मंगलमय, कल्याणमय और मनोवांछित फल देने वाले शकुन मानो सच्चे होने के लिए एक ही साथ हो गए॥ *बनइ न बरनत बनी बराता। होहिं सगुन सुंदर सुभदाता॥ चारा चाषु बाम दिसि लेई। मनहुँ सकल मंगल कहि देई॥ भावार्थ:-बारात ऐसी बनी है कि उसका वर्णन करते नहीं बनता। सुंदर शुभदायक शकुन हो रहे हैं। नीलकंठ पक्षी बाईं ओर चारा ले रहा है, मानो सम्पूर्ण मंगलों की सूचना दे रहा हो॥। *दाहिन काग सुखेत सुहावा। नकुल दरसु सब काहूँ पावा॥ सानुकूल बह त्रिबिध बयारी। सघट सबाल आव बर नारी॥ भावार्थ:-दाहिनी ओर कौआ सुंदर खेत में शोभा पा रहा है। नेवले का दर्शन भी सब किसी ने पाया। तीनों प्रकार की (शीतल, मंद, सुगंधित) हवा अनुकूल दिशा में चल रही है। श्रेष्ठ (सुहागिनी) स्त्रियाँ भरे हुए घड़े और गोद में बालक लिए आ रही हैं॥ *लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा। सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा॥ मृगमाला फिरि दाहिनि आई। मंगल ग