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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नाग पंचमी - विशेष

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नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 25 जुलाई विशेष 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 25 जुलाई, शनिवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।  पूजन विधि 〰️〰️〰️〰️ नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे।  शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं। इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चा

अलसी कई रोगों में लाभकारी है।

अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन उसके चमत्कारिक फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं-- --अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है, अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं | --अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है  *ब्लड शुगर*  ••••••••••••••••••••••••••••• --अगर आपको ब्लड शुगर, डायाबिटिस, मिठी पेशाब की तकलीफ है तो आपके लिऐ अलसी किसी वरदान से कम नहीं है.  --सुबह खाली पेट 2 चमच अलसी लेकर 2 ग्लास पानी में उबालें | जब आधा पानी बचे तब छानकर पिऐं |  *थाईराईड*   •••••••••••••••••••••••••••• --सुबह खाली पेट 2 चमच अलसी लेकर 2 ग्लास पानी में उबालें | जब आधा पानी बचे तब छान कर पिऐं | यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढिया काम करती है.   *हार्ट ब्लोकेज*  ••••••••••••••••••••••••••••• --3 महीना अलसी का काढा उपर बताई गई विधी के अनुसार करने से आप को ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पडती. *लकवा, पैरालिसीस

जानिए किस राशि वाले जातक कौन सा पेड़ लगाए

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*किस राशि में कौन- सा पौधा शुभ रहेगा आइए जाने* *१.मेष राशि:-* मेष राशि वाले को अपने राशि स्वामी मंगल के पेड़ लाल चंदन, अनार, नीबू, तुलसी और खैर का पेड़ लगाना चाहिए। *२.वृष राशि:-* इस राशि वालों को अपने राशि स्वामी शुक्र के अनुसार गुलर (ऊमर), चमेली, नीबू और पलास के पेड़ लगाने चाहिए। *३.मिथुन राशि:-* इस राशि का स्वामी बुध होता है। अपामार्ग, आम, कटहल, अंगूर, बेल और गुलाव के पौधे लगाना चाहिए। *४.कर्क राशि:-* कर्क राशि का स्वामी चन्दमा है, पलाश, सफ़ेद गुलाव, चांदनी, मोगरा और गेंदा के पेड़ लगाने चाहिए। *५:-सिंह राशि:-* राशि का स्वामी सूर्य है, अपामार्ग, लाल गुलाव, लाल गेंदा और लाल चन्दन का पेड़ लगाना चाहिए। *६:-कन्या राशि:-* इस राशि का स्वामी बुध होता है।अपामार्ग, आम, कटहल, अंगूर, बेल और गुलाव के पौधे लगाना चाहिए। *७:-तुला राशि:-* इस राशि वालों को अपने राशि स्वामी शुक्र के अनुसार गुलर (ऊमर), चमेली, नीबू और पलास के पेड़ लगाने चाहिए। *८:-वृश्चिक राशि:-* इस राशि वाले को अपने राशि स्वामी मंगल के पेड़ लाल चंदन, अनार, नीबू, तुलसी और खैर का पेड़ लगाना चाहिए। *९:-धनु राशि:-* इस राशि वालों का गुरु स्वामी हो

शनिवार व्रत महात्मय, विधि एवं कथा

शनिवार व्रत महात्मय, विधि एवं कथा  〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ आज के योग में शनिदेव को कौन नही जानता शनिदेव आद्यात्म के कारक गलतियों की सजा देने के लिये मुख्य रूप से जाने जाते है। शनि-ग्रह की शांति तथा सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत अवश्य करना चाहिए । विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से शनिजनित संपूर्ण दोष, रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं, धन का लाभ होता है। स्वास्थ्य, सुख तथा बुद्धि की वृद्धि होती है । विश्व के समस्त उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह वस्तु, समस्त तेल, काले रंग की वस्तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृत्यु, पुलिस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, सट्टा, लॉटरी, चोर भय तथा क्रूर कार्यों का स्वामी शनिदेव है ।  शनिजनित कष्ट निवारण के लिए शनिवार का व्रत करना परम लाभप्रद है । शनिवार के व्रत को प्रत्येक स्त्री-पुरुष कर सकता है । वैसे यह व्रत किसी भी शनिवार से आरंभ किया जा सकता है। श्रावण मास के श्रेष्ठ शनिवार से व्रत प्रारंभ किया जाए तो विशेष लाभप्रद रहता है । व्रती मनुष्य नदी आदि के जल में स्नान कर, ऋषि-पितृ अर्पण करे, सुंदर कलश जल से भरकर लावे, शमी अ

प्रेतबाधा से बचने के उपाय

#प्रश्न-- प्रेत बाधा को दूर करने का उपाय?  #उत्तर-प्रेतबाधाको दूर करनेके अनेक उपाय हैं; जैसे- (१) शुद्ध पवित्र होकर, सामने धूप जलाकर पवित्र आसनपर बैठ जाय और हाथमें जलका लोटा लेकर 'नारायणकवच (श्रीमद्भागवत, स्कन्ध ६, अध्याय ८ में आये) का पूरा पाठ करके लोटेपर फूँक मारे ।  इस तरह कम-से-कम इक्कीस पाठ करे और प्रत्येक पाठके अन्तमें लोटेपर फूँक मारता रहे । फिर उस जलको प्रेतबाधावाले व्यक्तिको पिला दे और कुछ जल उसके शरीरपर छिड़क दे। (२) गीताप्रेससे प्रकाशित 'रामरक्षास्तोत्र' को उसमें दी हुई विधिसे सिद्ध कर ले। फिर रामरक्षास्तोत्रका पाठ करते प्रेतबाधावाले व्यक्तिको मोरपंखोंसे झाड़ा दे। (३) शुद्ध-पवित्र होकर 'हनुमानचालीसा' के सात, इक्कीस या एक सौ आठ बार पाठ करके जलको अभिमन्त्रित करे। फिर उस जलको प्रेतबाधावाले व्यक्तिको पिला दे। (४) गीताके 'स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्तया (११ । ३६)-इस श्लोकके एक सौ आठ पाठोंसे अभिमन्त्रित जलको भूतबाधावाले व्यक्तिको पिला दे। (५) प्रेतबाधावाले व्यक्तिको भागवतका सप्ताह- पारायण सुनाना चाहिये। (६) प्रेतसे उसका नाम आदि पूछकर किसी शुद्ध- पवित्र ब्राह्म

अनंत चतुर्दशी की कथा

अनंत चतुर्दशी की कथा एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। उस समय यज्ञ मंडप का निर्माण सुंदर तो था ही, अद्भुत भी था वह यज्ञ मंडप इतना मनोरम था कि जल व थल की भिन्नता प्रतीत ही नहीं होती थी। जल में स्थल तथा स्थल में जल की भांति प्रतीत होती थी। बहुत सावधानी करने पर भी बहुत से व्यक्ति उस अद्भुत मंडप में धोखा खा चुके थे। एक बार कहीं से टहलते-टहलते दुर्योधन भी उस यज्ञ-मंडप में आ गया और एक तालाब को स्थल समझ उसमें गिर गया। तब वहाँ लोगों ने उसका काफी उपहास किया। इससे दुर्योधन चिढ़ गया। यह बात उसके हृदय में बाण समान लगी। उसके मन में द्वेष उत्पन्न हो गया और उसने पांडवों से बदला लेने की ठान ली। उसके मस्तिष्क में उस अपमान का बदला लेने के लिए विचार उपजने लगे। उसने बदला लेने के लिए पांडवों को द्यूत-क्रीड़ा में हरा कर उस अपमान का बदला लेने की सोची। उसने पांडवों को जुए में पराजित कर दिया।  पराजित होने पर प्रतिज्ञानुसार पांडवों को बारह वर्ष के लिए वनवास भोगना पड़ा। वन में रहते हुए पांडव अनेक कष्ट सहते रहे। एक दिन भगवान कृष्ण जब मिलने आए, तब युधिष्ठिर ने उनसे अपना दुख कहा और दुख दूर करने का उपाय प

विभिन्न कामों के लिए सावन के सोमवार को करें उपाय

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सावन का पहला सोमवार ★★★★★★★★★★★★★★★★★ भगवान शिव बहुत भोले हैं, यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा पानी भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। सावन में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय करते हैं। कुछ ऐसे ही छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है। ये उपाय इतने सरल हैं कि इन्हें बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। हर समस्या के समाधान के लिए शिवपुराण में एक अलग उपाय बताया गया है। सावन में ये उपाय विधि-विधान पूर्वक करने से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो सकती है। ये उपाय इस प्रकार हैं- ★★★★★★★★★★★★★★★★★★ शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार हैं- 1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है। 2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। 3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। 4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है। यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए। ★★★★★★★★★★★★★★★★★★ शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फ

चतुर्मास विशेष

🍃 * चातुर्मास किसे कहते हैं ?????* 🍃 🌼🌼🌿🌼🌼🌿🌼🌼🌿🌼🌼🌿🌼🌼 व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिन्दू धर्म में 'चातुर्मास' कहा गया है। ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है।  जिन दिनों में भगवान् विष्णुजी शयन करते हैं उन चार महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं, देवशयनी एकादशी से हरिप्रबोधनी एकादशी तक चातुर्मास हैं, इन चार महीनों की अवधि में विभिन्न धार्मिक कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है, क्योंकि इन दिनों में किसी भी जीव की ओर से किया गया कोई भी पुण्यकर्म खाली नहीं जाता।  वैसे तो चातुर्मास का व्रत देवशयनी एकादशी से शुरु होता है, परंतु जैन धर्म में चतुर्दशी से प्रारंभ माना जाता है, द्वादशी, पूर्णिमा से भी यह व्रत शुरु किया जा सकता है,  भगवान् को पीले वस्त्रों से श्रृंगार करे तथा सफेद रंग की शैय्या पर सफेद रंग के ही वस्त्र द्