सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अलसी कई रोगों में लाभकारी है।

अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन उसके चमत्कारिक फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं--

--अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है, अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं |

--अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है

 *ब्लड शुगर* 
•••••••••••••••••••••••••••••
--अगर आपको ब्लड शुगर, डायाबिटिस, मिठी पेशाब की तकलीफ है तो आपके लिऐ अलसी किसी वरदान से कम नहीं है. 

--सुबह खाली पेट 2 चमच अलसी लेकर 2 ग्लास पानी में उबालें | जब आधा पानी बचे तब छानकर पिऐं |

 *थाईराईड*  
••••••••••••••••••••••••••••
--सुबह खाली पेट 2 चमच अलसी लेकर 2 ग्लास पानी में उबालें | जब आधा पानी बचे तब छान कर पिऐं | यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढिया काम करती है. 

 *हार्ट ब्लोकेज* 
•••••••••••••••••••••••••••••
--3 महीना अलसी का काढा उपर बताई गई विधी के अनुसार करने से आप को ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पडती.

*लकवा, पैरालिसीस* 
••••••••••••••••••••••••••••
--पेरालिसीस होने पर उपर बताई गई विधी से काढा पीने से लकवा ठीक हो जाता है. 

-- *बालों का गिरना* 
••••••••••••••••••••••••••••
--अलसी को आधा चमच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरना बंद हो जाता है. 

 *जोडों का दर्द* 
•••••••••••••••••••••••••••••
अलसी का काढा पीने से जोडों का दर्द दूर होता है | साईटिका, नस का दबना वगैरा में फायदाकारक है |

 *अतिरिक्त वजन* 
•••••••••••••••••••••••••••••
--अलसी का काढा पीने से शरीर का अतिरिक्त मेद दूर होता है | नित़्य इस का सेवन करें व् निरोगी रहें |

*कैंसर* 
••••••••••••••••••••••••••••••
--किसी भी प्रकार के कैंसर में अलसी का काढा सुबह शाम दो बार पिऐं जिससे असाधारण लाभ निश्चित है |

*पेट की समस्या*
•••••••••••••••••••••••••••••
--जिन लोगों को बार बार पेट के जुडे रोग होते हैं उनके लिऐ अलसी रामबाण ईलाज है | अलसी कब्ज, पेट का दर्द, चुक्क वगैरा में फायदाकारक है |

*बालों का सफेद होना* 
•••••••••••••••••••••••••••••
3 महीने अलसी का काढा पिया तो सफेद बाल भी धीरे धीरे काले होने लगते हैं |

*सुस्ति, आलस, कमजोरी* 
•••••••••••••••••••••••••••••
--अलसी का काढा पीने से सुस्ति, थकान, कमजोरी दूर होती है. 

*किसी भी प्रकार की गांठ* 
••••••••••••••••••••••••••••••
--सुबह शाम दो समय अलसी का काढा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है.

*श्वास -- दमा कफ, ऐलर्जी*
•••••••••••••••••••••••••••••
--अलसी का काठा रोज सुबह शाम 2 बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलजीँ के रोग ठीक हो जाते हैं |

 *ह्दय की कमजोरी* 
•••••••••••••••••••••••••••••
--ह्दय से जुडी किसी भी समस़्या में अलसी का काढा रामबाण इलाज है |

*कैसे बनाऐं काढा*

👉 2 चमच अलसी + 3 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें. जब अाधा पानी बचे तब छान कर पिऐं |
नोट- कोई भी प्रयोग किसी योग्य व्यक्ति की सलाह लेकर ही करें।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...