शयन विधान
💐 *शयन विधान*💐 सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना। 🌻सोने की मुद्राऐं: उल्टा सोये भोगी, सीधा सोये योगी, बाऐं सोये निरोगी, दांऐं सोये रोगी। 🌻शास्त्रीय विधान भी है। आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती हैं, बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखे बिगडती है। सोते समय कितने गायत्री मंन्त्र /नवकार मंन्त्र गिने जाए :- "सूतां सात, उठता आठ”सोते वक्त सात भय को दूर करने के लिए सात मंन्त्र गिनें और उठते वक्त आठ कर्मो को दूर करने के लिए आठ मंन्त्र गिनें। "सात भय:-" इहलोक,परलोक,आदान, अकस्मात ,वेदना,मरण , अश्लोक (भय) 🌻दिशा घ्यान:- *दक्षिणदिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं । यम और दुष्टदेवों का निवास है ।कान में हवा भरती है । मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश,मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है। ✌यह बात वैज्ञानिकों ने एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की है। *1:- पूर्व ( E ) दिशा में मस्तक रखकर सोने