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जानिए किस कामना के लिए किस चीज से अभिषेक करें..

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रुद्राभिषेक किससे करें?.... . 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 *श्लोक* 〰️〰️〰️ *जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै* *दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।* *मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।* *पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।* *बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।* *जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।* *घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।* *तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।* *प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।* *केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।* *शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।* *श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!* *सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!* *पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।* *जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।* *पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।* *महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।* *कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।*    *अर्थात* 〰️〰️〰️ *जल से रुद्राभिषेक करने पर* —               वृष्टि होती है। *कुशा जल से अभिषेक करने पर —*        रोग, दुःख से छुटका

समस्त पापों के नाश हेतु श्री रुद्र द्वादश नाम स्तोत्र

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 * श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं * 〰️〰️〰️🌸🕉️🌸〰️〰️〰️ प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरं । तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम् ॥ १॥ पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामाङ्गनाशनं । सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा ॥ २॥ नवमं तु हरं देवं दशमं पार्वतीपतिं । रुद्रमेकादशं प्रोक्तं द्वादशं शिवमुच्यते ॥ ३॥ एतद्वादशनामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः । गोघ्नश्चैव कृतघ्नश्च भ्रूणहा गुरुतल्पगः ॥ ४॥ स्त्रीबालघातकश्चैव सुरापो वृषलीपतिः । सर्वं नाशयते पापं शिवलोकं स गच्छति ॥ ५॥ शुद्धस्फटिकसङ्काशं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरं । इन्दुमण्डलमध्यस्थं वन्दे देवं सदाशिवम् ॥ ६॥ ॥श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ 〰️〰️〰️🌸🕉️🌸〰️〰️〰️

किस माह में कौन सा खाद्यपदार्थ त्याज्य है

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  किस माह में कौन सा खाद्यपदार्थ त्याज्य है । " लवणं  वर्जयेन्माघे   फाल्गुने  च   गुडं  पुनः।    तैलं राजिं  तथा  चैत्रे  वर्ज्यं  च मधु  माधवे ।।    पानकं ज्येष्ठ मासे तु आषाढे चाथ  जीरकम् ।   श्रावणे   वर्जयेत्  क्षीरं  दधि  भाद्रपदे  तथा ।।   घृतमाश्वयुजे   तद्वदूर्जे   वर्ज्यं च   माक्षिकम् ।   धान्यकं मार्गशीर्षे तु  पौषे  वर्ज्या च  शर्करा ।। "                   माघ में नमक वर्जित है और फाल्गुन में गुड नहीं खाना चाहिए -- चैत्र में तेल और पीली सरसों या राई -- बैशाख में मधु वर्जित है -- ज्येष्ठ मास में पानक ( एक प्रकार का पेय पदार्थ या पान ( ताम्बुल ) -- आषाढ में जीरा -- श्रावण में दूध और भाद्रपद में दही निषिद्ध है -- इसी प्रकार आश्विन में घी और कार्तिक में मधु का निषेध है -- मार्गशीर्ष में धनियाँ और पौष में शक्कर वर्जित है ।                                      इन महीनों में इन वस्तुओं को खाने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पडता है ।                   🚩 हर हर महादेव 🚩