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शिवलिंग के प्रकार एवं महत्त्व

         शिवलिंग के प्रकार एवं महत्त्व     🔱 मिश्री(चीनी) से बने शिव लिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं। 🔱 सोंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वशीकरण और अभिचार कर्म के लिये किया जाता हैं। 🔱 फूलों से बने शिव लिंग कि पूजा से भूमि-भवन कि प्राप्ति होती हैं। 🔱 जौं, गेहुं, चावल तीनो का एक समान भाग में मिश्रण कर आटे के बने शिवलिंग कि पूजा से परिवार में सुख समृद्धि एवं संतान का लाभ होकर रोग से रक्षा होती हैं। 🔱 किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसकी पूजा करने से फलवाटिका में अधिक उत्तम फल होता हैं। 🔱 यज्ञ कि भस्म से बने शिव लिंग कि पूजा से अभीष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं। 🔱 यदि बाँस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है। 🔱 दही को कपडे में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे जो शिवलिंग बनता हैं उसका पूजन करने से समस्त सुख एवं धन कि प्राप्ति होती हैं। 🔱 गुड़ से बने शिवलिंग में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती हैं। 🔱 आंवले से बने शि...

श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रम्

 सावन का पवित्र शुरू हो गया है, इस बार मलमास होने के कारण सावन दो महीने का होगा. भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए लोग रुद्राभिषेक करते हैं तरह तरह के अनुष्ठान करते हैं, कांवरिया लोग कांवड़ ले जाते हैं. जो लोग ऊपर वर्णित काम करने में अस्मर्थ है उनके लिए एक ऐसा उपाय बता रहे हैं, नीचे लिखा गया स्तोत्र का केवल पाठ कर लिया तो पूरा पुण्य मिलता है.   श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं   प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरम् ।  तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम् ॥ १॥  पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामाङ्गनाशनम् ।  सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा ॥ २॥  नवमं तु हरं देवं दशमं पार्वतीपतिम् ।  रुद्रमेकादशं प्रोक्तं द्वादशं शिवमुच्यते ॥ ३॥ फलश्रुति एतद्वादशनामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।  गोघ्नश्चैव कृतघ्नश्च भ्रूणहा गुरुतल्पगः ॥ ४॥  स्त्रीबालघातकश्चैव सुरापो वृषलीपतिः । सर्वं नाशयते पापं शिवलोकं स गच्छति ॥ ५॥  शुद्धस्फटिकसङ्काशं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरम् ।  इन्दुमण्डलमध्यस्थं वन्दे देवं सदाशिवम् ॥ ६॥  ॥ इति श्रीरुद्रद्वादशन...