श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रम्

 सावन का पवित्र शुरू हो गया है, इस बार मलमास होने के कारण सावन दो महीने का होगा. भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए लोग रुद्राभिषेक करते हैं तरह तरह के अनुष्ठान करते हैं, कांवरिया लोग कांवड़ ले जाते हैं.

जो लोग ऊपर वर्णित काम करने में अस्मर्थ है उनके लिए एक ऐसा उपाय बता रहे हैं, नीचे लिखा गया स्तोत्र का केवल पाठ कर लिया तो पूरा पुण्य मिलता है.


 श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं 



प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरम् । 

तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम् ॥ १॥


 पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामाङ्गनाशनम् ।

 सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा ॥ २॥


 नवमं तु हरं देवं दशमं पार्वतीपतिम् ।

 रुद्रमेकादशं प्रोक्तं द्वादशं शिवमुच्यते ॥ ३॥


फलश्रुति

एतद्वादशनामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।

 गोघ्नश्चैव कृतघ्नश्च भ्रूणहा गुरुतल्पगः ॥ ४॥

 स्त्रीबालघातकश्चैव सुरापो वृषलीपतिः ।

सर्वं नाशयते पापं शिवलोकं स गच्छति ॥ ५॥

 शुद्धस्फटिकसङ्काशं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरम् ।

 इन्दुमण्डलमध्यस्थं वन्दे देवं सदाशिवम् ॥ ६॥ 


॥ इति श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं समाप्तम् ॥

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