स्वप्न फल ज्योतिष (Swapan Phal Jyotish) : स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर सपने महत्वपूर्ण संकेत को दर्शाते है, प्रत्येक स्वप्न का विशेष फल होता है। स्वप्न हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं। स्वप्न और ज्योतिष एक दुसरे के सहयोगी हैं क्यूंकि ज्योतिषी हमारे स्वप्न का आंकलन कर हमारे भविष्य का स्पष्ट आंकलन कर सकते हैं। हमारी ग्रह स्थितियां ही हमें स्वप्न द्वारा सटीक भविष्य बताती हैं इसलिए हम स्वप्न को काबू नहीं कर सकते। परन्तु अगर स्वप्न में भविष्य के लिए कुछ नकारत्मक दीखता है तो किसी विशेषज्ञ के माध्यम से उसके फल को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। आध्यात्मिकता के पथ पर चलने वाले व्यक्तियों को भविष्य में घटित होने वाली कई घटनायें पहले से ही दिख जाती हैं। स्वप्न का फल कितने समय में मिलेगा यह निर्धारित करता है कि स्वप्न रात्रि के किस पहर में देखा गया है। रात्रि में प्रथम पहर के स्वप्न का फल १ वर्ष में मिल जाता है। दुसरे पहर का फल ६ माह, तीसरे पहर का फल ३ माह में और चौथे पहर में देखे गए स्वप्न का फल १ माार में ही प्राप्त हो जाता है। सूर्य अस्त के...
शास्त्रोंमें कुंभमहापर्व जिस समय और जिन स्थानोंमें कहे गए हैं उनका विवरण निम्नलिखित लेखमें है। इन स्थानों और इन समयोंके अतिरिक्त वृंदावनमें_कुंभ_माननेवाले_व्यक्तिकी_चेष्टा- अप्रामाणिक, अशास्त्रीय और कपोल कल्पित है। कुम्भपर्व— पृथ्वीपर कुम्भपर्व हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक इन चार तीर्थस्थानोंमें मनाये जाते हैं। ये चारों ही एकसे बढ़कर एक परम पवित्र तीर्थ हैं। इन चारों तीर्थोमें प्रत्येक लगभग बारह वर्षके बाद कुम्भपर्व होता है— *गङ्गाद्वारे प्रयागे च धारागोदावरीतटे।* *कुम्भाख्येयस्तु योगोऽयं प्रोच्यते शङ्करादिभिः॥* *अर्थ—* गङ्गाद्वार (हरिद्वार), प्रयाग, धारानगरी (उज्जैन) और गोदावरी (नासिक) में शङ्करादि देवगणोंने *'कुम्भयोग'* कहा है। *मुख्य_बारह_कुम्भपर्व—* सागर मंथनके समय जब अमृतका कलश लेकर भगवान् धन्वंतरि निकले तो देवताओंके इशारे पर उनके हाथोंसे अमृतकलश छीनकर इंद्रपुत्र जयंत आकाशमें उड़ गया, उसके बाद दैत्यगुरु शुक्राचार्यके आदेशानुसार दैत्योंने अमृतका कलश जयंतसे छीन लिया।तत्पश्चातक अमृतकुंभपर अपना- अपना अधिकार जमानेके लिए देवों और दानवोंमें 12 दिन तक अविराम यु...