सरल हवन विधि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मित्रो, नवरात्र के अंत मे पूर्ण सिद्धि हेतु हवन की परंपरा रही है अतः यहां पर हम सरल, संक्षिप्त हवन की विधि प्रस्तुत कर रहे हैं। इसे अपनाकर लाभ लें। आवश्यक सामग्री :- 1. दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा. पंचमेवा, लोंग, कालीमिर्च, गूगल, लोबान, अगर-तगर, चंदन चूरा, काले तिल, जौ, अक्षत (साबुत चावल) , बूरा/गुड़ की शक्कर, घी, पीली सरसों, 2. घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं ) 3. कपूर आग जलाने के लिए . 4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए , ★ हवनकुंड हो तो बढ़िया . ★ हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं . फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे ईंट , यमुना रेती रखें उसपर पात्र रखें. ★ लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें. हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं. ★ सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करे
मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत । सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद (10) संकट के समय - मधुसूदन (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर संकट के समय - रघुनंदन (15) गमन करत