एकादशी निर्णय
🔯#एकादशी_व्रत_निर्णय:🔯🚩 श्रीराम! एकादशी व्रत वैसे तो मानव मात्र के लिए है, किन्तु वैष्णवों का यह सबसे महत्वपूर्ण है, सबसे प्रधान है , अनिवार्य है। कई बार अनेक श्रद्धालुओं नें जिज्ञासा व्यक्त की है, अतः एकादशी व्रत के विषय में जगद्गुरु श्री रामानन्दाचार्यजी द्वारा प्रणीत "#श्रीवैष्णवमताब्जभाष्कर" के माध्यम से निर्णय प्रस्तुत है:--- *श्री हरि को प्रिय एकादशी आदि व्रतों को बेध रहित तिथियों में ही करना चाहिए। * *यदि वह एकादशी अरुणोदय काल में दशमी से युक्त हो तो उसे छोंड़कर बाद वाली द्वादशी में व्रतोपवस करना चाहिए-- #विद्धादशम्या_यदि_सारुणोदये_स_द्वादशीं_तूपवसेत्_विहाय_ताम्।। *एकादशी दो प्रकार की होती है-- *१ शुद्धा एकादशी--जो एकादशी सूर्योदयकाल से पूर्व न्यूनतम ४ घटी हो वह शुद्धा कहलाती है। *२ दशमी विद्धा (युक्ता) एकादशी। सुद्धा से अन्य एकादशी विद्धा कहलाती है। *बेध भी दो प्रकार का होता है-- • १ अरुणोदय काल में दशमी का प्रवेश होने से एक बेध। • २ सूर्योदय काल में दशमी का प्रवेश होने पर दूसरा बेध। #वेधोपि_बोध्यो_द्विविधोरुणोदये_सूर्योदये_वा_दशमी_प्रवेषतः