सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लहसुन के विषय में रोचक जानकारी

लहसुन की उत्तपत्ति के विषय में बताया गया है कि समुद्र मंथन के समय एक राक्षस कुलीन धोखे से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और जब अमृत बंटने लगा तो उसे भी दिया गया किन्तु उसी समय भगवान सूर्य ने उस राक्षस को देख लिया और तुरन्त श्री हरि नारायण से बताया , भगवान विष्णु ने तत्काल चक्र सुदर्शन से उसका गला  काट दिया किन्तु अमृत उसके गले से उतरकर उदरस्थ हो चुका था , दो भागों में होकर भी वह राहु और केतु के नाम से जीवित बच गया सर का भाग राहु और शेष भाग केतु के नाम से प्रतिष्ठित हुआ , और नॉग्रहों में गणना हुई। किन्तु गला कटने से अमृत और खून की जो बूंदे धरती पर गिरीं उसी से धरती पर लहसन और प्याज की उत्तपत्ति हुई। लहसुन प्याज का भोग इसीलिए भगवान को नहीं लगाया जाता किन्तु लहसुन में बहुत ही औषधीय गुण भी हैं।

लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषद्यि की तरह मन गया है। इसमें विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में लहसुन का किसी भी तरह से इस्तेमाल शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

दूध हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे पीने से कई तरह की बीमारियां दूर होती है और हड्डियां मजबूत बनती है। लेकिन अगर हम दूध में लहसुन मिलाकर पीते है तो इसके फायदे कई गुना तक बढ़ जाते हैं।

आजकल लोगों के जीने का उपाय पहले की अपेक्षा बहुत बदल गया है। आज के समय में खान-पान में लापरवाही के कारण कमजोरी के साथ-साथ स्वास्थ्य सम्बन्धी व भी कई सारी समस्याएँ आने लगती है, आज हम आपको दूध के साथ लहसुन के सेवन से होने वाले

लहसुन वाला दूध बनाने की विधि

इसके लिए आपको एक गिलास दूध में थोड़ा सा पानी और लहसुन पीसकर डाल देना है और रात को खाने के बाद सोने से पहले इस दूध को पीना है। इसे पीने से कौन-कौन से रोग ठीक होते हैं आइए जानते हैं।

दूध और लहसुन के 10 फायदे

सियाटिका का दर्द : 4 लहसुन की कलियाँ और 200 ml दूध, सबसे पहले लहसुन को काट कर दूध में डाल दें। दूध को कुछ मिनट तक उबालें। उबालने के बाद इसे मीठा करने के लिए थोडा शहद मिला लें | इस दूध का रोजाना सेवन करें जब तक दर्द खत्म न हो जाये |

कोलेस्ट्रॉल : दूध और लहसुन का मिश्रण आपकी हृदय धमनियों की रूकावट यानि उसमें जमे हुए कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में मदद करता है और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या दूर होती है।

कब्ज : आयुर्वेद के अनुसार यह प्राकृतिक पेय  दूध और लहसुन का मिश्रण आंतों को सक्रिय कर कब्ज की समस्या को दूर करता है और गुदा मार्ग को भी नर्म बनाता है।

अपच : दूध और लहसुन का यह मिश्रण पाचक रसों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है जिससे एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं में लाभ होता है।

जोड़ों का दर्द : इस दूध में शोथरोधी तत्व होते हैं, जिसके कारण यह जोड़ों के दर्द में विशेष रूप से फायदेमंद साबित होता है। अगर आपके घुटनों में दर्द की समस्या रहती है तो इसके लिए नियमित रूप से 1 गिलास दूध में 3-4 लहसून की कलियां डालकर उबाल कर पिए। इसे पीने से दर्द को राहत मिलती है।

माइग्रेन : माइग्रेन के मरीजों के लिए दूध और लहसुन का यह सम्म‍िश्रण बेहद लाभदायक है। यह सामान्य सिरदर्द से भी निजात दिलाने में मददगार है।

मुंहासों : मुंहासों की समस्या होने पर लहसुन वाला दूध पीना बहुत फायदेमंद होता है। रोज एक गिलास लहसुन वाला दूध पीने से मुंहासे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

हृदय धमनियों की ब्लॉकेज : दूध और लहसुन का यह मिश्रण हृदय धमनियों की रूकावट यानि उसमें जमे हुए ब्लॉकेज को खत्म कर देता है और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या दूर करता है।

कमर दर्द निवारक : जिन लोगों को कमर दर्द की समस्या है उनके लिए लहसुन वाला दूध फायदेमंद होता है। लहसुन दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।

कैंसर : भविष्य में कैंसर ना हो उसके लिए दूध और लहसुन का यह मिश्रण बहुत फायदेमंद है। यह सामान्य त्वचा विकार भी तुरंत ठीक कर देता है।
       लहसुन और प्याज दोनों में अमृत के गुण हैं , किन्तु राक्षस का जूठा होने से भोग नहीं लगाया जाता। वैसे इसे सात्विक भी नहीं माना जाता , तामसी है फिर भी लाभकारी है। अब उपयोग करें न करें ये विषय आपके स्वविवेक पर निर्भर है।
                 💐💐 जय श्री हरि 💐💐

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

शिव नाम महिमा

भगवान् श्रीकृष्ण कहते है ‘महादेव महादेव’ कहनेवाले के पीछे पीछे मै नामश्रवण के लोभ से अत्यन्त डरता हुआ जाता हूं। जो शिव शब्द का उच्चारण करके प्राणों का त्याग करता है, वह कोटि जन्मों के पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त करता है । शिव शब्द कल्याणवाची है और ‘कल्याण’ शब्द मुक्तिवाचक है, वह मुक्ति भगवन् शंकर से ही प्राप्त होती है, इसलिए वे शिव कहलाते है । धन तथा बान्धवो के नाश हो जानेके कारण शोकसागर मे मग्न हुआ मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण करके सब प्रकार के कल्याणको प्राप्त करता है । शि का अर्थ है पापोंका नाश करनेवाला और व कहते है मुक्ति देनेवाला। भगवान् शंकर मे ये दोनों गुण है इसीलिये वे शिव कहलाते है । शिव यह मङ्गलमय नाम जिसकी वाणी मे रहता है, उसके करोड़ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है । शि का अर्थ है मङ्गल और व कहते है दाता को, इसलिये जो मङ्गलदाता है वही शिव है । भगवान् शिव विश्वभर के मनुष्योंका सदा ‘शं’ कल्याण करते है और ‘कल्याण’ मोक्ष को कहते है । इसीसे वे शंकर कहलाते है । ब्रह्मादि देवता तथा वेद का उपदेश करनेवाले जो कोई भी संसार मे महान कहलाते हैं उन सब के देव अर्थात् उपास्य होने...

श्रीशिव महिम्न: स्तोत्रम्

              __श्रीशिव महिम्न: स्तोत्रम्__ शिव महिम्न: स्तोत्रम शिव भक्तों का एक प्रिय मंत्र है| ४३ क्षन्दो के इस स्तोत्र में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है| स्तोत्र का सृजन एक अनोखे असाधारण परिपेक्ष में किया गया था तथा शिव को प्रसन्न कर के उनसे क्षमा प्राप्ति की गई थी | कथा कुछ इस प्रकार के है … एक समय में चित्ररथ नाम का राजा था| वो परं शिव भक्त था| उसने एक अद्भुत सुंदर बागा का निर्माण करवाया| जिसमे विभिन्न प्रकार के पुष्प लगे थे| प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे | फिर एक दिन … पुष्पदंत नामक के गन्धर्व उस राजा के उद्यान की तरफ से जा रहा था| उद्यान की सुंदरता ने उसे आकृष्ट कर लिया| मोहित पुष्पदंत ने बाग के पुष्पों को चुरा लिया| अगले दिन चित्ररथ को पूजा हेतु पुष्प प्राप्त नहीं हुए | पर ये तो आरम्भ मात्र था … बाग के सौंदर्य से मुग्ध पुष्पदंत प्रत्यक दिन पुष्प की चोरी करने लगा| इस रहश्य को सुलझाने के राजा के प्रत्येक प्रयास विफल रहे| पुष्पदंत अपने दिव्या शक्तियों के कारण अदृश्य बना रहा | और फिर … राजा च...