रविवार, 10 मार्च 2019

रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी

🌹🌹🌹🌹*रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी*🚩

रुद्राक्ष एक फल के अंदर निकलने वाला बीज है जिसका पेड़ पहाड़ी क्षत्रों में पाया जाता है
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव ने कठोर तपस्या के बाद अपने नेत्र खोले तो  उनकी आँखों से कुछ आंसू पृथ्वी पर आ गिरे जिनसे रुद्राक्ष के पेड़ की उत्त्पत्ति हुई |

रुद्राक्ष = रूद्र + अक्ष , इन दो शब्दों से मिलकर बना यह शब्द ‘ रुद्राक्ष ‘ भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है |  जिसमें रूद्र-  भगवान शिव का ही नाम है और अक्ष का अर्थ आंसू से है | इस प्रकार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओ से हुई
रुद्राक्ष  को धारण करने वाले  व्यक्ति भगवान शिव को प्रिय होते है।

 *रुद्राक्ष कहां पाऐ जाते है*🚩

रुद्राक्ष का पेड़ भारत में हिमालय क्षेत्र में और असम व उत्तरांचल के जंगलो में पाए जाते है
 इसके साथ -साथ नेपाल , मलेशिया और इंडोनेशिया में काफी मात्रा में पायें जाते है
नेपाल और इंडोनेशिया से रुद्राक्ष सबसे अधिक मात्रा मे निर्यात भारत में होता है |

*रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है*🚩

रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है यह सुनिश्चित कर पाना कठिन है  विशेषज्ञों के अनुसार रुद्राक्ष 14 मुखी , 21 मुखी और शिव महापुराण अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी तक होते है
 किन्तु रुद्राक्ष 21 मुखी तक ही देखने को मिलते है
इनमें से एक मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होते है और बहुत ही कम मात्रा में होते है
पांच मुखी रुद्राक्ष सबसे अधिक होते है और आसानी से उपलब्ध हो जाते है।

*रुद्राक्ष धारण करने का महत्व*🚩

*धार्मिक महत्व*🚩

 रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय होते है अतः इन्हें धारण करने वाले मनुष्य पर हमेशा भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है | रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा दूर रहती है | भय आदि से मुक्ति मिलती है | रुद्राक्ष के मुख के आधार पर इसके धार्मिक महत्व को और स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।

*वैज्ञानिक महत्व* 🚩

रुद्राक्ष को शरीर पर धारण करने के धार्मिक महत्व के साथ -साथ इसके वैज्ञानिक कारण भी है
रुद्राक्ष के रोम छिद्रों से एक अलग प्रकार का स्पदंन होता है जो मानव ह्रदय पर सकारात्मक प्रभाव दिखाता है
रुद्राक्ष के धारण करने से ह्रदय रक्त चाप सामान्य रहता है
 इसके अतिरिक्त मानव मस्तिस्क पर भी रुद्राक्ष से निकलने वाली विशेष तरंगे सकारात्मक प्रभाव दिखाती है
रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति तनाव ,चिंता और अवसाद आदि से मुक्त रहता है।

*रुद्राक्ष धारण करने की विधि*🚩

रुद्राक्ष को अधिकतर व्यक्ति इसे बिना किसी पूजन के धारण कर लेते है इस प्रकार रुद्राक्ष धारण करने से उन्हें सिर्फ वैज्ञानिक लाभ प्राप्त होते है रुद्राक्ष को धारण करने की एक विधि होती है आप उसके अनुसार ही रुद्राक्ष धारण करें

रुद्राक्ष के धारण करने से पहले आप इसे 7 दिन तक सरसों के तेल में डुबो कर रखे  रुद्राक्ष को आप  श्रावन मास में किसी भी सोमवार के दिन या आप पूरे श्रावन मास में किसी भी दिन धारण कर सकते है  , शिवरात्रि या किसी भी पूर्णिमा के दिन धारण कर सकते है |

इन पवित्र दिनों में आप रुद्राक्ष  को  पंचामृत *(दूध , शहद , दही , तुलसी  और गंगाजल)*
 से स्नान कराने के पश्चात् गंगाजल से स्नान कराये और   हवन की भभूती से तिलक करने के पश्चात्
*“ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात ”*
 मंत्र का जाप करते हुए गले में  धारण करना चाहिए
यदि हवन की भभूति उपलब्ध नहीं हो तो कुमकुम से तिलक कर सकते है

इसके अतिरिक्त आप जब भी शिव मंदिर जाते है रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराये और प्रत्येक मास में कम से कम  2 सोमवार को इसे पंचामृत और गंगाजल से स्नान अवश्य कराये | और प्रतिदिन पूजा करते समय धूप -दीप दिखाए।

 *रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को क्या सावधानियां रखनी चाहिए*🚩

रुद्राक्ष को साक्षात् भगवान शिव का ही रूद्र रूप माना जाता है अतः इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सैदव पवित्र रहना चाहिए | मांस -मदिरा से बिलकुल दूर रहें | रुद्राक्ष पहनकर किसी भी शवयात्रा या शमशान में न जाये | घर पर कभी  श्यावड या सूतक के दिनों का आभाष होने पर इसे निकालकर पूजा स्थल पर रख दे और बाद में गंगाजल से पवित्र करने के पश्चात् ही धारण करें।

 *रुद्राक्ष के प्रकार और रुद्राक्ष धारण करने के लाभ*

*आज के समय में आपको एक से 14 मुखी तक ही रुद्राक्ष मिल पाएंगे जिनकों धारण करने के लाभ इस प्रकार है*

*एक मुखी रुद्राक्ष*🚩

एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् भगवान शिव का ही रूप माना गया है
इसकी उत्पत्ति बहुत कम होती है
अतः इसे प्राप्त कर पाना बहुत ही दुर्लभ है
 एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य जनित दोषों को समाप्त करता है
इसे धारण करने से नेत्र संबधी रोग , ह्रदय रोग , पेट रोग और हड्डी के रोगों से मुक्ति मिलती है इस धारण करने से सांसारिक , मानसिक ,शारीरिक और देवीय कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ -साथ आत्म मनोबल में वृद्धि होती है
राशि अनुसार कर्क , सिंह और मेष राशि के व्यक्ति इसे धारण करें तो उनके लिए यह अधिक उत्तम होता है
असली एक मुखी रुद्राक्ष को प्राप्त कर पाना बहुत ही मुश्किल है अतः किसी विशेषज्ञ द्वारा असली एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान करने के पश्चात ही इसे धारण करना चाहिए
ऑनलाइन और ऊँची कीमत पर मिलने वाले रुदाक्ष को उनकी कीमत के आधार पर उनके असली व नकली होने की पहचान कदापि न करें।

*दो मुखी रुद्राक्ष*🚩

दो मुखी रुद्राक्ष को शिव शक्ति का स्वरुप माना जाता है
मष्तिष्क , ह्रदय , फेफड़ों  और नेत्र रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ  प्राप्त होता है
इसे धारण करने से भगवान अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते है
इसे धारण करने से पति – पत्नी के बीच प्रेम भाव बढ़ता है
 गो हत्या के पाप का दोष इस रुद्राक्ष के धारण करने और इसकी नित्य पूजा करने से समाप्त हो जाता है
युवक- युवतियों के विवाह में यदि  विलम्ब हो रहा हो तो  इस रुद्राक्ष के धारण करने से शीघ्र शुभ परिणाम मिलते है
कर्क राशी वालो के लिए यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी है।

*तीन मुखी रुद्राक्ष*🚩

तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि देव का स्वरुप माना गया है इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है
नीरस बन चुके जीवन में फिर से  नई  उमंग जगाने के साथ -साथ  तीन मुखी रुद्राक्ष पेट से संबधित होने वाली सभी बिमारियों के लिए भी बहुत लाभदायक है।

*चार मुखी रुद्राक्ष*🚩

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से संतान प्राप्ति होते है
यह रुद्राक्ष बुद्धि को तीव्र करता है शरीर के रोगों को भी दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला विकसित होती है
वेदों और धार्मिक ग्रंथो के अध्यन में भी सफलता प्राप्त होती है शिवमहापुराण  के अनुसार इस रुद्राक्ष को लम्बे समय तक धारण करने से और भगवान शिव के बीज मंत्रो का पाठ करने से जीव हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है ।

 *पांच मुखी रुद्राक्ष*🚩

पंच मुखी रुद्राक्ष को सर्वगुण संपन्न कहा गया है
यह भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है   इसे सभी रुद्राक्षो में सबसे अधिक शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है |इसका अधिपति गृह बृहस्पति है  इसलिए बृहस्पति गृह के प्रतिकूल होने के कारण आने वाली समस्याएं  इस रुद्राक्ष के धारण करने से स्वतः दूर हो जाती है पांच मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से जीवन में सुख -शांति और प्रसद्धि प्राप्त होती है
पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के नाम से विख्यात है पंचमुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का निवास माना गया है |

पंचमुखी रुद्राक्ष के धारण करने से रक्तचाप और मधुमेह सामान्य रहता है
पेट के रोगों में भी यह रुद्राक्ष लाभ पहुंचाता है
मन में आने वाले गलत विचारो को नियंत्रित कर मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है
 राशि के अनुसार मेष , कर्क , सिंह , वृश्चिक , धनु और मीन राशी वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है।

*छह मुखी रुद्राक्ष*🚩

छह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना गया है
 शिव महापुराण अनुसार इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने और नियमित पूजा करने से ब्रह्म हत्या के पाप से सभी मुक्ति मिल सकती है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि का विकास होने के साथ -साथ  नेतृत्व करने की क्षमता भी विकसित होती है  शरीर में आने वाले रोगों को भी दूर कर स्वस्थ जीवन प्रदान करता है
इस रुद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप जीवन में आने वाले सभी कष्ट स्वतः ही दूर होने लगते है | इस रुद्राक्ष के प्रधान देव शुक्र देव को माना गया है।

*सात मुखी रुद्राक्ष*🚩


सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्त्व करता है
माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर हमेशा बनी रहती है
 घर में धन की वृद्धि होती है
सात मुखी रुद्राक्ष पर शनिदेव का प्रभाव माना गया है | इसलिए इसको धारण करने पर शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा बनाये रखते है
 सप्तमुखी होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर में सप्धातुओं की रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है
जो व्यक्ति मानसिक बीमारी या जोड़ो के दर्द से परेशान है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए |

*आठ मुखी रुद्राक्ष*🚩


आठ मुखी रुद्राक्ष भैरो देव जी का स्वरुप माना गया  है
और इसके प्रधान देव श्री गणेश जी है | इसे धारण करने से अष्टदेवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
इसे धारण करने से इन्द्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति जागृत होती है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि , ज्ञान, धन और यश की प्राप्ति होती है
इस रुद्राक्ष के धारण करने से और विधिवत पूजन करने से  पर स्त्री भोग के पाप से मुक्ति मिलती है यह रुद्राक्ष जीवन की हर मुश्किलों को दूर कर रिद्धि -सिद्धि प्रदान करता है
आठ मुखी रुद्राक्ष राहू गृह से सम्बंधित है
अगर आपकी कुंडली में राहू दोष होने के कारण कठिनाइयाँ आ रही है तो इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें।

*नौ मुखी रुद्राक्ष*🚩

नौ मुखी रुद्राक्ष को माँ भगवती की नौ शक्तियों  का प्रतीक माना गया है
इसके साथ -साथ कपिलमुनि और भैरोदेव की भी कृपा इस रुद्राक्ष पर है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है
 इस रुद्राक्ष का प्रधान गृह केतु है अतः यह  केतु गृह के कारण जीवन में आने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से कीर्ति , मान -सम्मान में वृद्धि होती है और मन को शांति मिलती है
माँ नवदुर्गा का स्वरुप होने के कारण यह रक्षा कवच का कार्य करता है
जो माँ दुर्गा की पूजा करते है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिये।

*दस मुखी रुद्राक्ष*🚩

इस रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है
इस रुद्राक्ष के धारण करने से उपरी बाधाएं , भूत-प्रेत  जैसी नकारात्मक शक्तियां शरीर से दूर रहती है
तंत्र – मंत्र और साधनाएं करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए
पेट के रोगों में , गठिया ,दमा और नेत्र रोगों में यह रुद्राक्ष विशेष लाभ पहुंचाता है।

*ग्यारह मुखी रुद्राक्ष*🚩

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के 11 रुद्रों का प्रतीक माना गया है
भगवान शिव के 11वे अवतार हनुमान जी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने पर बनी रहती है व्यापार में उन्नत्ति प्राप्त करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए इस रुद्राक्ष के धारण करने पर अकाल मृत्यु का भय नही रहता धार्मिक अनुष्ठान , यज्ञ -हवन आदि धार्मिक कार्यों में यह रुद्राक्ष सफलता प्रदान करता है

*बारह मुखी रुद्राक्ष*🚩

बारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान महाविष्णु का स्वरुप माना गया है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से असाध्य से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते है इस रुद्राक्ष के धारण करने से ह्रदय , मष्तिस्क और उदर रोगों में लाभ प्राप्त होता है  गोवध और रत्नों की चोरी करने जैसे महापापों में इस रुद्राक्ष द्वारा मुक्ति प्राप्त होती है | यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओ से आपको बचाता है

*तेरह  मुखी रुद्राक्ष*🚩

तेरह मुखी रुद्राक्ष को स्वर्ग के राजा इन्द्रदेव का स्वरुप माना गया है
इसके साथ -साथ इसे धारण करने पर कामदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है इस धारण करने से वशीकरण और किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण भी आता है
जिनके जीवन में प्रेम और ग्रहस्थ सुख की कमी हो उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए
सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बनाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है

*चौदह मुखी रुद्राक्ष*🚩

चौदह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् हनुमान जी का स्वरुप माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए
भूत – प्रेत और उपरी बाधाएं इस रुद्राक्ष के धारण करने स्वतः अपना स्थान छोड़ देती है
यह रुद्राक्ष व्यक्ति को उर्जावान और निरोगी बनाता है इस रुद्राक्ष के धारण करने से साधना में सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है

 *रुद्राक्ष की पहचान*🚩

यदि आप किसी मंदिर या मठ से रुद्राक्ष की माला खरीदते हैं तो आप को किसी ज्योतिषाचार्य से जांच कराने की जरूरत नहीं, आप खुद कर सकते हैं असली रुद्राक्ष की पहचान
 आजकल किसी भी शहर के बाजार में रुद्राक्ष आसानी से मिल जाता है,
लेकिन उसकी पहचान करना ग्राहकों के लिए थोड़ा कठिन काम होता है
 ज्यादातर लोग रुद्राक्ष खरीदने के बाद या तो किसी ज्योतिषाचार्य की शरण  लेते हैं या फिर घर के बुजुर्गों से असली, नकली के बारे में पूछते हैं
लेकिन आप स्वयं बिना किसी से पूछे असली और नकली रुद्राक्ष में भेद कर सकते हैं वह भी किसी लैब या ज्योतिषाचार्य की मदद लिए बगैर

कई लोग लाभ के लालच में कैमिकल का इस्तेमाल कर इसका रंग रूप असली रूद्राक्ष जैसा कर देते है व इसके ऊपर धारिया बना कर मंहगे भाव में बेच देते है। कई बार दो रुद्राक्षों को बड़ी सफाई से जोड़ कर बेचा जाता है। आपने देखा होगा कि कई रूद्राक्षों पर गणेश, सर्प, शिवलिंग की आकृति बना कर भी लाभ कमाया जाता है।

रूद्राक्ष का उपयोग केवल धारण करने में ही नहीं होता है अपितु हम रूद्राक्ष के माध्यम से किसी भी प्रकार के रोग कुछ ही समय में पूर्णरूप से मुक्ति प्राप्त कर सकते है
ज्योतिष के आधार पर किसी भी ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।  रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिवपुराण, रूद्रपुराण, लिंगपुराण श्रीमद्भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है
जो आदमी अध्यात्मिक विश्वास में रुद्राक्ष खरीदता है अगर उसे ऐसा रुद्राक्ष मिल जाये तो उसे कोई लाभ नही बल्कि उसके अध्यात्मिक मन के साथ धोखा होता है। आप ने कभी भी कोई रुद्राक्ष लेना तो विश्वसनीय स्थान से ही खरीदे
परन्तु आप भी अपने ढंग से जान सकते है असली और नकली रुद्राक्ष कैसे होते है

 *कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान*🚩

1.रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा
इसके अलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली

2. रुद्राक्ष सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है

3. प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं
असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है
बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है
 रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है
काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं,
ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है

4.   रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा

5. नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी
जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते
हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं

6. यदि रुद्राक्ष को 2 ताम्बे के सिक्को के बीच रखा जाये फिर सिक्के को ऊपर से दबाने पर यदि यह नाचने लगे तो वह असली होता है
क्योंकी रुद्राक्ष मे चुंबकत्व होता है

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