भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार श्री नरसिंह भगवान के प्रकटोत्सव की शुभमंगलकामनाएं :-
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हिन्दू पंचांग के अनुसार नृसिंह प्रकटोत्सव वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है... अग्नि पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था..... जिस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के प्रकटोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है...
हिरण्याक्ष की मृत्यु का बदला लेने के लिए राक्षसराज हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था... वरदान प्राप्त करते ही अहंकारवश वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा और उन्हें तरह-तरह के यातनाएं और कष्ट देने लगा.... जिससे प्रजा अत्यंत दुखी रहती थी... इन्हीं दिनों हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया... राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी बचपन से ही श्रीहरि विष्णु भक्ति से प्रह्लाद को गहरा लगाव था...
हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए कई असफल प्रयास किए, परन्तु वह सफल नहीं हो सका.... एक बार उसने अपनी बहन होलिका की सहायता से उसे अग्नि में जलाने के प्रयास किया, परन्तु प्रहलाद पर भगवान विष्णु की असीम कृपा होने के कारण उसे मायूसी ही हाथ लगी.... अंततः एक दिन उसने प्रहलाद को तलवार से मारने का प्रयास किया, तब भगवान विष्णु अवतार नृसिंह खम्भे से प्रकट हुए.. और हिरण्यकशिपु को अपने जांघों पर लेते हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की....।
श्री नरसिंह भगवान के 10 विग्रह
1-उग्र नरसिंह
2-क्रोध नरसिंह
3-मलोल नरसिंह
4-ज्वल नरसिंह
5-वराह नरसिंह
6-भार्गव नरसिंह
7-करन्ज नरसिंह
8-योग नरसिंह
9-लक्ष्मी नरसिंह
10-छत्रावतार नरसिंह/पावन नरसिंह/पमुलेत्रि नरसिंह
भगवान नरसिंह मंत्र :-
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है...।
"ओम नमो नारायणाय"
जय नरसिंह देव
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हिन्दू पंचांग के अनुसार नृसिंह प्रकटोत्सव वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है... अग्नि पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था..... जिस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के प्रकटोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है...
हिरण्याक्ष की मृत्यु का बदला लेने के लिए राक्षसराज हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था... वरदान प्राप्त करते ही अहंकारवश वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा और उन्हें तरह-तरह के यातनाएं और कष्ट देने लगा.... जिससे प्रजा अत्यंत दुखी रहती थी... इन्हीं दिनों हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया... राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी बचपन से ही श्रीहरि विष्णु भक्ति से प्रह्लाद को गहरा लगाव था...
हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए कई असफल प्रयास किए, परन्तु वह सफल नहीं हो सका.... एक बार उसने अपनी बहन होलिका की सहायता से उसे अग्नि में जलाने के प्रयास किया, परन्तु प्रहलाद पर भगवान विष्णु की असीम कृपा होने के कारण उसे मायूसी ही हाथ लगी.... अंततः एक दिन उसने प्रहलाद को तलवार से मारने का प्रयास किया, तब भगवान विष्णु अवतार नृसिंह खम्भे से प्रकट हुए.. और हिरण्यकशिपु को अपने जांघों पर लेते हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की....।
श्री नरसिंह भगवान के 10 विग्रह
1-उग्र नरसिंह
2-क्रोध नरसिंह
3-मलोल नरसिंह
4-ज्वल नरसिंह
5-वराह नरसिंह
6-भार्गव नरसिंह
7-करन्ज नरसिंह
8-योग नरसिंह
9-लक्ष्मी नरसिंह
10-छत्रावतार नरसिंह/पावन नरसिंह/पमुलेत्रि नरसिंह
भगवान नरसिंह मंत्र :-
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है...।
"ओम नमो नारायणाय"
जय नरसिंह देव
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