पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य 

पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ?
तो यह पिशाच है हनुमानजी
तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ?
जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो
भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने
महाभारत के अनुसार
और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे
तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था
वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी
कपि ध्वज कहा गया है या नहीं
और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे
तब गीता भगवान् ने सुना दी
तो हनुमानजी ने कहा
महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली
भगवान् ने कहा
कहाँ पर बैठकर सुनी
तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर
तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर
कहा - जा पिशाच हो जा
हनुमानजी ने कहा
लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है
आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया
भगवान् ने कहा - तूने भूल की
ऊपर बैठकर गीता सुनी
अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा
तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा
तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में
उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

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