शनि जयंती- वट अमावस्या
शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि भगवान का जन्म माना गया है।
मकर, कुम्भ व मीन राशि इस समय शनि की साढ़ेसाती, कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैया चल रही है, साथ ही जो लोग महादशा/अंतर आदि के साथ गोचर में शनि से परेशान है। आप लोग इस दिन कल ये उपाय कर सकते हैं।
शिवलिंग का 108 नीले फूलों से अर्चन करिए।
◆108 बेल/बिल्व पत्रों से शिवलिंग का अर्चन करें।
◆ॐ नमः शिवाय" का जप करते हुए स्टील के बर्तन से काले तिल मिले हुए जल से अभिषेक करें।
◆शिवलिंग पर तिल के तेल से उरद की दाल व मौली की बाती से बने कम से कम 27 दीपक दीपक पिप्पलाद कृत शनि स्तोत्र अथवा दशरथकृत शनि स्तोत्र बोल बोल का प्रज्वलित करें।
◆दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 108/54/27/9 यथा सम्भव संख्या में करें, अगर 108 संख्या में करेंगे तो अति उत्तम है।
◆ "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जप करें।
◆शनि के वैदिक मंत्र का जप कर सकते हैं।
"नीलांजनम् समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥"
गाधि, कौशिक, पिप्पलाद का जप यथशक्ति करें।
◆रात को पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तैल का दिया प्रज्वलित करें।
◆कहीं आपको कव्वे और कुत्तें दिखें तो उनको उरद की दाल से बने भजिये खिला सकते हैं।
◆उरद की दाल के बड़े सरसों के तेल में पकाकर पीपल के पेड़ के नीचे छोड़ का आ जाएं।
◆शनि चालीस आदि जो भी पाठ करना चाहें वो करें
कल वट सावित्री व्रत भी है आप सबको सुख-सौभाग्य को देने वाले इस पवित्र व्रत की अनेकों शुभकामनाएं। अपनी कुलपरम्परा के अनुसार व्रत को करें।
महादेव और अम्बिका हम सभी को अटल सौभाग्य और सुख समृद्धि प्रदान करें।
ॐ साम्बसदाशिवाय नमः
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