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रामायण जी की चमत्कारिक चौपाइयां

(((( सफलता के मंत्र ))))
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श्रीरामायण जी की चोपाई के माध्यम से जीवन के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए जा रहे है जिनके जाप से शत्-प्रतिशत सफलता मिलती है...
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आप से अनुरोध है इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करें प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे !!
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रक्षा के लिए....
मामभिरक्षक रघुकुल नायक !
घृत वर चाप रुचिर कर सायक !!
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विपत्ति दूर करने के लिए....
राजिव नयन धरे धनु सायक !
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक !!
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सहायता के लिए....
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ !
एहि अवसर सहाय सोई होऊ !!
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सब काम बनाने के लिए....
वंदौ बाल रुप सोई रामू !!
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू !!
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वश मे करने के लिए....
सुमिर पवन सुत पावन नामू !!
अपने वश कर राखे राम !!
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संकट से बचने के लिए....
दीन दयालु विरद संभारी !!
हरहु नाथ मम संकट भारी !!
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विघ्न विनाश के लिए....
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही !!
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि !
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रोग विनाश के लिए....
राम कृपा नाशहि सव रोगा !
जो यहि भाँति बनहि संयोगा !!
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ज्वार ताप दूर करने के लिए....
दैहिक दैविक भोतिक तापा !
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा !!
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दुःख नाश के लिए....
राम भक्ति मणि उर बस जाके !
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके !
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खोई चीज पाने के लिए....
गई बहोरि गरीब नेवाजू !
सरल सबल साहिब रघुराजू !!
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अनुराग बढाने के लिए....
सीता राम चरण रत मोरे !
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे !!
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घर मे सुख लाने के लिए....
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि !
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं !!
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सुधार करने के लिए....
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती !
जासु कृपा नहि कृपा अघाती !!
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विद्या पाने के लिए....
गुरू गृह पढन गए रघुराई !
अल्प काल विधा सब आई !!
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सरस्वती निवास के लिए....
जेहि पर कृपा करहि जन जानी !
कवि उर अजिर नचावहि बानी !
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निर्मल बुध्दि के लिए....
ताके युग पदं कमल मनाऊँ !!
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ !!
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मोह नाश के लिए....
होय विवेक मोह भ्रम भागा !
तब रघुनाथ चरण अनुरागा !!
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प्रेम बढाने के लिए....
सब नर करहिं परस्पर प्रीती !
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती !!
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प्रीती बढाने के लिए....
बैर न कर काह सन कोई !
जासन बैर प्रीति कर सोई !!
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सुख प्रप्ति के लिए....
अनुजन संयुत भोजन करही !
देखि सकल जननी सुख भरहीं !!
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भाई का प्रेम पाने के लिए....
सेवाहि सानुकूल सब भाई !
राम चरण रति अति अधिकाई !!
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बैर दूर करने के लिए....
बैर न कर काहू सन कोई !
राम प्रताप विषमता खोई !!
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मेल कराने के लिए....
गरल सुधा रिपु करही मिलाई !
गोपद सिंधु अनल सितलाई !!
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शत्रु नाश के लिए....
जाके सुमिरन ते रिपु नासा !
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा !!
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रोजगार पाने के लिए....
विश्व भरण पोषण करि जोई !
ताकर नाम भरत अस होई !!
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इच्छा पूरी करने के लिए....
राम सदा सेवक रूचि राखी !
वेद पुराण साधु सुर साखी !!
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पाप विनाश के लिए....
पापी जाकर नाम सुमिरहीं !
अति अपार भव भवसागर तरहीं !!
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अल्प मृत्यु न होने के लिए....
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा !
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा !!
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दरिद्रता दूर के लिए....
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना !
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना !!
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प्रभु दर्शन पाने के लिए....
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा !
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा !!
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शोक दूर करने के लिए....
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी !
आए जन्म फल होहिं विशोकी !!
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क्षमा माँगने के लिए....
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता !
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता
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 ((((((( जय बिहारी जी की🙏)))))))
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