गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

पापनाशक स्तोत्र

*जानकि त्वाम् नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥*

*दारिद्र्यरणसन्हर्त्री भक्तानामिष्टदायिनीम् ॥*

*विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम ॥*

*भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ॥*

*पौलस्त्यैश्वर्यसन्हर्त्री भक्ताभीष्टाम् सरस्वतीम् ॥*

*पतिव्रताधुरीणां त्वाम् नमामि जनकात्मजां ॥*

*अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम ॥*

*आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहं ॥*

*प्रसादाभिमुखीम् लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभां ॥*

*नमामि चन्द्रभगिनीम् सीताम् सर्वाङ्गसुन्दरीम् ॥*

*नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरं ॥*

*पद्मालयां पद्महस्तां विष्णु वक्षः स्थलालयां ॥*

*नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननां ॥*

*आल्हादरूपिणीम् सिद्धिं शिवाम् शिवकरीं सतीम् ॥*

*नमामि विश्वजननीम् रामचन्द्रेष्टवल्लभां ॥*

*सीतां सर्वानवद्यान्गीम् भजामि सततं हृदा ॥*
(स्कन्द पुराण ४६/५०-५७)

*जो मनुष्य वायुपुत्र हनुमान द्वारा वर्णित श्री राम और सीताजी के इन पाप नाशक स्तोत्रों का प्रतिदिन पाठ करता है , वह सदा मनोवांछित महान एश्वर्य का उपभोग करता है*।

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