सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पापमोचनी एकादशी विशेष

 पापमोचिनी एकादशी 28 मार्च विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼🌼〰️〰️🌼〰️〰️ हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हिन्दू धर्म में कहा गया है कि संसार में उत्पन्न होने वाला कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है जिससे जाने अनजाने पाप नहीं हुआ हो। पाप एक प्रकार की ग़लती है जिसके लिए हमें दंड भोगना होता है। ईश्वरीय विधान के अनुसार पाप के दंड से बचा जा सकता हैं अगर पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखें। पौराणिक संदर्भ 〰️〰️🌼〰️〰️ पुराणों के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी पाप मोचिनी कहलाती है अर्थात पाप को नष्ट करने वाली। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इसे अर्जुन से कहा है। कथा के अनुसार भगवान अर्जुन से कहते हैं, राजा मान्धाता ने एक समय में लोमश ऋषि से जब पूछा कि प्रभु यह बताएं कि मनुष्य जो जाने अनजाने पाप कर्म करता है उससे कैसे मुक्त हो सकता है। इस वर्ष पाप मोचिनी एकादशी का व्रत 7 अप्रैल को स्मार्त एवं वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े भक्तो द्वारा एवं 8 अप्रैल के दिन निम्बार्क सम्प्रदाय से जुड़े भक्तो द्वारा किया जाए...

इन चार परिस्थितियों में भागना उचित है

 चाणक्य नीति: जब हो जाए ऐसी 4 बातें तो तुरंत भाग जाना चाहिए - . जीवन में कभी-कभी ऐसे हालात निर्मित हो जाते हैं, जब यदि हम त्वरित निर्णय न लें तो किसी भयंकर परेशानी में फंस सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने चार ऐसे हालात बताए हैं, जब व्यक्ति को तुरंत भाग निकलना चाहिए।  . यहां जानिए ऐसे चार हालात कौन- कौन से हैं और वहां से भागना क्यों चाहिए… आचार्य चाणक्य कहते हैं- उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे। असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।। . हालात- 1 इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी स्थान पर दंगा या उपद्रव हो जाता है तो उस स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि हम दंगा क्षेत्र में खड़े रहेंगे तो उपद्रवियों की हिंसा का शिकार हो सकते हैं। साथ ही, शासन-प्रसाशन द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ की जाने वाली कार्यवाही में भी फंस सकते हैं। अत: ऐसे स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए। . हालात- 2 इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि यदि हमारे राज्य पर किसी दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया है और हमारी सेना की हार तय हो गई है तो ऐसे राज्य से भाग जाना चाहिए। अन्यथा शेष पूरा जीवन दूसरे राजा के अधीन रहना पड़...

आमलकी एकादशी विशेष

युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा : श्रीकृष्ण ! मुझे फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम और माहात्म्य बताने की कृपा कीजिये।"* 🙏🏻 *भगवान श्रीकृष्ण बोले: महाभाग धर्मनन्दन ! फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘आमलकी’ है। इसका पवित्र व्रत विष्णुलोक की प्राप्ति करानेवाला है। राजा मान्धाता ने भी महात्मा वशिष्ठजी से इसी प्रकार का प्रश्न पूछा था, जिसके जवाब में वशिष्ठजी ने कहा था* 🙏🏻 *'महाभाग ! भगवान विष्णु के थूकने पर उनके मुख से चन्द्रमा के समान कान्तिमान एक बिन्दु प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा। उसी से आमलक (आँवले) का महान वृक्ष उत्पन्न हुआ, जो सभी वृक्षों का आदिभूत कहलाता है। इसी समय प्रजा की सृष्टि करने के लिए भगवान ने ब्रह्माजी को उत्पन्न किया और ब्रह्माजी ने देवता, दानव, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस, नाग तथा निर्मल अंतःकरण वाले महर्षियों को जन्म दिया। उनमें से देवता और ॠषि उस स्थान पर आये, जहाँ विष्णुप्रिय आमलक का वृक्ष था। महाभाग ! उसे देख कर देवताओं को बड़ा विस्मय हुआ क्योंकि उस वृक्ष के बारे में वे नहीं जानते थे। उन्हें इस प्रकार विस्मित देख आकाशवाणी हुई: ‘महर्षियो ! य...

गरीबी मिटाने के लिए चौपाइयां

 धन कितना आयेगा पता नहीं पर घर में कभी गरीबी नहीं आयेगी , रामायण की इन आठ चौपाईयों का नित्य पाठ करें!!!!! * जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥ भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥ भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं॥ * रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥ मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥ भावार्थ:-ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं॥ * कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ भावार्थ:-नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं॥ *...

विल्व पत्र चढ़ाने का मंत्र

 *।।बिल्वपत्र चढाने के 108मन्त्र।।*  🍃🍃🔸🍃🍃🔸🍃🍃🔸🍃🍃 त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् । त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥१॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः । तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥२॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् । सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥३॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् । नागकुण्डलसंयुक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥४॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् । चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥५॥ त्रिलोचनं दशभुजं दुर्गादेहार्धधारिणम् । विभूत्यभ्यर्चितं देवं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥६॥ त्रिशूलधारिणं देवं नागाभरणसुन्दरम् । चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥७॥ गङ्गाधराम्बिकानाथं फणिकुण्डलमण्डितम् । कालकालं गिरीशं च एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥८॥ शुद्धस्फटिक सङ्काशं शितिकण्ठं कृपानिधिम् । सर्वेश्वरं सदाशान्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥९॥ सच्चिदानन्दरूपं च परानन्दमयं शिवम् । वागीश्वरं चिदाकाशं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥१०॥ शिपिविष्टं सहस्राक्षं कैलासाचलवासिनम् । हिरण्यबाहुं सेनान्यं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥११॥ अरु...

पांच जगह बोला गया असत्य पाप नहीं होता है॥

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 *न नर्मयुक्तं वचनं हिनस्ति,* *न स्त्रीषु राजन्न विवाहकाले।* *प्राणात्यये सर्वधनापहारे,* *पंचानृतान्याहुरपातकानि।।* *(महाभारत, आदि प. - ८२/१६)* 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 *अर्थात 👉 हे राजन्! परिहासयुक्त वचन असत्य होने पर भी हानिकारक नहीं होता, स्त्री के प्रति, विवाह के समय, प्राण-संकट के समय तथा सर्वस्व का अपहरण होते समय विवश होकर असत्य भाषण करना पड़े तो वह दोषकारक नही होता, ये पाँच प्रकार के असत्य पापशून्य कहे गए हैं।* 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

घर में कभी गरीबी नही आएगी रामायण की इन आठ चौपाइयों का नित्य पाठ करे-

 🚩घर में कभी गरीबी नही आएगी रामायण की इन आठ चौपाइयों का नित्य पाठ करे--जय श्री राम🚩अदभुद🍁    जब तें रामु ब्याहि घर आए।         नित नव मंगल मोद बधाए॥🚩      भुवन चारिदस भूधर भारी।           सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥🚩     रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई।           उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥🚩      मनिगन पुर नर नारि सुजाती।           सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥🚩       कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।               जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥🚩      सब बिधि सब पुर लोग सुखारी।                 रामचंद मुख चंदु निहारी॥🚩       मुदित मातु सब सखीं सहेली।            फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥🚩     राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ।            प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥🚩 भ...