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इन चार परिस्थितियों में भागना उचित है

 चाणक्य नीति: जब हो जाए

ऐसी 4 बातें तो तुरंत भाग जाना चाहिए -

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जीवन में कभी-कभी ऐसे हालात निर्मित हो

जाते हैं, जब यदि हम त्वरित निर्णय न लें तो किसी भयंकर

परेशानी में फंस सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने चार ऐसे हालात बताए हैं, जब व्यक्ति को तुरंत भाग निकलना चाहिए। 

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यहां जानिए ऐसे चार हालात कौन-

कौन से हैं और वहां से भागना क्यों चाहिए…

आचार्य चाणक्य कहते हैं-

उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।

असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।।

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हालात- 1

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी स्थान पर

दंगा या उपद्रव हो जाता है तो उस स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि हम दंगा

क्षेत्र में खड़े रहेंगे तो उपद्रवियों की हिंसा का शिकार हो सकते हैं।

साथ ही, शासन-प्रसाशन द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ की

जाने वाली कार्यवाही में भी फंस सकते हैं।

अत: ऐसे स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए।

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हालात- 2

इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि यदि हमारे राज्य पर किसी दूसरे

राजा ने आक्रमण कर दिया है और हमारी सेना की हार

तय हो गई है तो ऐसे राज्य से भाग जाना चाहिए। अन्यथा शेष पूरा

जीवन दूसरे राजा के अधीन रहना पड़ेगा या हमारे प्राणों का

संकट भी खड़ा हो सकता है।

यह बात चाणक्य के दौर के अनुसार लिखी गई है, जब राजा-

महाराजाओं का दौर था। उस काल में एक राजा दूसरे राज्य पर कभी

भी आक्रमण कर दिया करता था। तब हारने वाले राज्य के आम लोगों

को भी जीतने वाले राजा के अधीन रहना पड़ता

था।

आज के दौर में ये बात इस प्रकार देखी जा सकती है कि

यदि हमारा कोई शत्रु है और वह हम पर पूरे बल के साथ एकाएक हमला कर

देता है तो हमें उस स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए। शत्रु जब

भी वार करेगा तो वह पूरी तैयारी और पूरे बल

के साथ ही वार करेगा, ऐसे में हमें सबसे पहले अपने प्राणों

की रक्षा करनी चाहिए। प्राण रहेंगे तो शत्रुओं से बाद में

भी निपटा जा सकता है।

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हालात-3

यदि हमारे क्षेत्र में अकाल पड़ गया हो और खाने-पीने, रहने के

संसाधन समाप्त हो गए हों तो ऐसे स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि हम

अकाल वाले स्थान पर रहेंगे तो निश्चित ही प्राणों का संकट खड़ा हो

जाएगा। खान-पीने की चीजों के बिना अधिक दिन

जीवित रह पाना असंभव है। अत: अकाल वाले स्थान को छोड़कर

किसी उपयुक्त पर चले जाना चाहिए।

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हालात-4

चाणक्य कहते हैं यदि हमारे पास कोई नीच व्यक्ति आ जाए तो उस

स्थान से किसी भी प्रकार भाग निकलना चाहिए।

नीच व्यक्ति की संगत किसी भी

पल परेशानियों को बढ़ा सकती है। जिस प्रकार कोयले की

खान में जाने वाले व्यक्ति के कपड़ों पर दाग लग जाते हैं, ठीक

उसी प्रकार नीच व्यक्ति की संगत

हमारी प्रतिष्ठा पर दाग लगा सकती है। अत: ऐसे लोगों से

दूर ही रहना चाहिए।

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आचार्य चाणक्य का परिचय -

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प्राचीन समय में आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में

अर्थशास्त्र के आचार्य थे। चाणक्य की राजनीति में

गहरी पकड़ थी। इनके पिता का नाम आचार्य

चणीक था, इसी वजह से इन्हें चणी पुत्र

चाणक्य भी कहा जाता है। संभवत: पहली बार

कूटनीति का प्रयोग आचार्य चाणक्य द्वारा ही किया गया

था। जब इन्होंने अपनी कूटनीति के बल पर सम्राट

सिकंदर को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इसके अतिरिक्त

कूटनीति से ही इन्होंने चंद्रगुप्त जैसे सामान्य बालक को

अखंड भारत का सम्राट भी बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा श्रेष्ठ

जीवन के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ रचा गया है। इसमें

दी गई नीतियों का पालन करने पर जीवन में

सफलताएं प्राप्त होती हैं |


शुभप्रभात जय श्री राधेकृष्णा । जय जय श्री राम । हर हर महादेव । जय श्री महाँकाल । जय मां भारती।आपका दिन मंगलमय हो..........................

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