शनिवार, 1 अप्रैल 2023

सर्वरोग निवारक श्रीहनुमद्वडवानलस्तोत्रम्

 श्रीहनुमद्वडवानलस्तोत्रम् 

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सर्वरोगनिवारक, धन प्रदायक, सर्वशत्रु शमनकर्ता, राजभय निवारक, तंत्र-मंत्र-यंत्र भय निवारक, भूत-प्रेत-शाकिनी-डाकिनी आदि से रक्षा देने वाला, नवग्रह पीड़ा शांत करने वाला, अनेकों लाभ देने वाला विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र।।


★ इस स्तोत्र के पाठ से पहले और बाद में एक-एक बार श्रीरामरक्षा स्तोत्र या हनुमान कवच का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए, सूक्ष्म जगत के आक्रमण से सुरक्षा हेतु यह आवश्यक है। 


बाकी हनुमान जी की पूजा सम्बन्धी विधि-निषेध का पालन करते हुए इसका पाठ करें। सर्वविध लाभ होगा। 


★ यदि किसी आवेश का अनुभव करें तो 15 मिनट ""सीताराम"" जप करें। 


श्रीगणेशाय नमः ।

ॐ अस्य श्रीहनुमद्वडवानलस्तोत्रमन्त्रस्य

श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीवडवानलहनुमान् देवता,

(श्रीहनुमान् वडवानल देवता)

ह्रां बीजं, ह्रीं शक्तिः, सौं कीलकं, मम समस्तविघ्नदोषनिवारणार्थे,

सर्वशत्रुक्षयार्थे, सकलराजकुलसंमोहनार्थे,

मम समस्तरोगप्रशमनार्थे, आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्ध्यर्थे,

समस्तपापक्षयार्थे, श्रीसीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थे

हनुमद्वडवानलस्तोत्रजपे विनियोगः (सङ्कल्पः) ॥


अथ ध्यानम् ।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥


ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते प्रकटपराक्रम

सकलदिङ्मण्डलयशोवितानधवलीकृतजगत्त्रितय वज्रदेह

रुद्रावतार लङ्कापुरीदहन उमा-अमल-मन्त्र (उमा-अर्गल-मन्त्र)

उदधिबन्धन दशशिरःकृतान्तक सीताश्वसन वायुपुत्र

अञ्जनीगर्भसम्भूत श्रीरामलक्ष्मणानन्दकर कपिसैन्यप्राकार

सुग्रीवसाह्यरण पर्वतोत्पाटन कुमारब्रह्मचारिन् गभीरनाद

सर्वपापग्रहवारण सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वंसन

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीरवीराय सर्वदुःखनिवारणाय

ग्रहमण्डलसर्वभूतमण्डलसर्वपिशाचमण्डलोच्चाटन

भूतज्वरएकाहिकज्वरद्व्याहिकज्वरत्र्याहिकज्वरचातुर्थिकज्वर-

सन्तापज्वरविषमज्वरतापज्वरमाहेश्वरवैष्णवज्वरान् छिन्धि छिन्धि

यक्षब्रह्मराक्षसभूतप्रेतपिशाचान् उच्चाटय उच्चाटय (स्वाहा) ।


ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि एहि

ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते

श्रवणचक्षुर्भूतानां शाकिनीडाकिनीनां विषमदुष्टानां

सर्वविषं हर हर आकाशभुवनं भेदय भेदय

छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय

ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय (स्वाहा) ।


ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महाहनुमते सर्वग्रहोच्चाटन

परबलं क्षोभय क्षोभय सकलबन्धनमोक्षणं कुरु कुरु

शिरःशूलगुल्मशूलसर्वशूलान्निर्मूलय निर्मूलय

नागपाशानन्तवासुकितक्षककर्कोटककालियान्

यक्षकुलजलगतबिलगतरात्रिञ्चरदिवाचर सर्वान्निर्विषं

(यक्षकुलजगत् रात्रिञ्चर दिवाचर सर्पान्निर्विषं)

कुरु कुरु स्वाहा ॥


राजभयचोरभयपरमन्त्रपरयन्त्रपरतन्त्रपरविद्याश्छेदय छेदय

स्वमन्त्रस्वयन्त्रस्वतन्त्रस्वविद्याः प्रकटय प्रकटय

सर्वारिष्टान्नाशय नाशय सर्वशत्रून्नाशय नाशय

असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥


॥ इति श्रीविभीषणकृतं हनुमद्वडवानलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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