सरल हवन विधि
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मित्रो, नवरात्र के अंत मे पूर्ण सिद्धि हेतु हवन की परंपरा रही है अतः यहां पर हम सरल, संक्षिप्त हवन की विधि प्रस्तुत कर रहे हैं। इसे अपनाकर लाभ लें।
आवश्यक सामग्री :-
1. दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा. पंचमेवा, लोंग, कालीमिर्च, गूगल, लोबान, अगर-तगर, चंदन चूरा, काले तिल, जौ, अक्षत (साबुत चावल) , बूरा/गुड़ की शक्कर, घी, पीली सरसों,
2. घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )
3. कपूर आग जलाने के लिए .
4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,
★ हवनकुंड हो तो बढ़िया .
★ हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .
फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे ईंट , यमुना रेती रखें उसपर पात्र रखें.
★ लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें. हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
★ सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें
“ ॐ अग्नये स्वाहा “........7 घृत आहुति दें।
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इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।
ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।
ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।
ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।
ॐ भूः स्वाहा ।.........एक घृत आहुति
ॐ भुवः स्वाहा ।.......एक घृत आहुति
ॐ स्व: स्वाहा ।.......एक घृत आहुति
ॐ भूर्भुवः स्व: स्वाहा ।.......एक घृत आहुति
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अब इन मंत्रों से हवन सामग्री से आहूति दें
ऊं गं गणपतये नमः स्वाहा, ...... 3 आहुति दें।
ऊं भ्रं अष्टभैरवाय नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
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उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .
नवग्रह मंत्र :-
ऊँ घृणि सूर्याय नमः स्वाहा
ऊँ सों सोमाय नमः स्वाहा
ऊं अं अंगारकाय नमः स्वाहा
ऊँ बुं बुधाय नमः स्वाहा
ऊँ बृं बृहस्पतये नमः स्वाहा
ऊँ शुं शुक्राय नमः स्वाहा
ऊँ शं शनये नमः स्वाहा
ऊँ रां राहवे नमः स्वाहा
ऊँ कें केतवे नमः स्वाहा
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गायत्री मंत्र :-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् स्वाहा....3 आहुति दें।
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ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,......3 आहुति दें।
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,......3 आहुति दें।
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★ नीचे लिखे मंत्रों से भी 3-3आहुति दें।
ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा।
ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,
ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा
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माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा....... 108 आहुति ।
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हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, हवन सामग्री, (ऐच्छीक पंचमेवा, जायफल, बूरा) आदि डाल दें.
पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.
पूर्णाहुति मंत्र-
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।।
इसका अर्थ है :-
वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है , उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ , उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।
वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य , अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.
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★ उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,
★ फिर आरती करें.
★ अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.
★ माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।
★★★ हवन के अंत मे हाथ न तो झटके और न झाड़े, साफ सूखे कपड़े से आराम से पोंछ लें। उस कपड़े को भी न झाड़े वरना सारा हवन कर्म व्यर्थ हो जाएगा।
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