*💎💎दूसरे के पहने हुए वस्त्र और जूते कभी नहीं पहनना चाहिए।*
*💎💎दूसरे की सवारी, शय्या,आसन, घर, बिना कुछ दिये उपयोग करने वाला पापी हो जाता है।*
*💎💎जो अमावस्या के दिन किसी के यहाँ भोजन करता है, उसका एक माह का पुण्य अन्नदाता को, जो उत्तरायण, या दक्षिणायन के दिन किसी का अन्न ग्रहण करें, तो छः महीने के, तथा जो सूर्य के मेष और तुला राशि में आने पर भोजन करें, वह तीन माह का, एवं चन्द्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण के दिन जो दूसरे का अन्न ले, वह बारह वर्षों का, तथा संक्रांति के दिन दूसरे का अन्न खाता है, वह एक माह के पुण्य से वञ्चित हो जाता है।*
*💎💎बिना निमन्त्रण के भी भोजन नहीं करना चाहिए, दूसरे के पकाये भोजन की रूचि नहीं रखनी चाहिए।*
*💎💎किसी के घर या तो बहुत प्रेम के कारण, या आपत्ति होने पर ही भोजन करना चाहिए*।
*💎💎जो बिना बुद्धि वाला केवल अतिथि सत्कार के लोभ से किसी का अन्न खाता है, वह अन्नदाता का पशु बनता है।*
*💎💎दूसरे की कोई भी वस्तु चाहे सरसों के दाने के बराबर ही क्यों न हो, उसका अपहरण करने पर मनुष्य पापी और नरकगामी होता है।*
*💎💎दूसरे की स्त्री का सेवन इन्द्र के ऐश्वर्य को भी नष्ट कर देता है, औरों की तो बात ही क्या है।*😊👇🏻👇🏻
*परान्नेन दग्धा जिह्वा, करौ दग्धा प्रतिग्रहात्*।
*मनो दग्धं परस्त्रीभिः, कार्यसिद्धिः कथं भवेत् ।।*
*भावार्थ 👉🏻दूसरों का अन्न खाकर जिनकी जिह्वा जल चुकी है, दान लेते -2 हाथ जल चुके, दूसरे की स्त्रियों के चिन्तन करके जिनका मन जल चुका हो, वह कैसे अपना या दूसरे के कार्य को सिद्ध कर सकते हैं।*
*कुलमिलाकर कार्य सिद्धि, विद्या सिद्धि के लिए परान्न से बचना चाहिए।*
*सियावर रामचंद्र की जय*🙏🏻🙏🏻🚩
*..........*✍🏻
💎💎💎⚜🕉⚜💎💎💎
*💎💎दूसरे की सवारी, शय्या,आसन, घर, बिना कुछ दिये उपयोग करने वाला पापी हो जाता है।*
*💎💎जो अमावस्या के दिन किसी के यहाँ भोजन करता है, उसका एक माह का पुण्य अन्नदाता को, जो उत्तरायण, या दक्षिणायन के दिन किसी का अन्न ग्रहण करें, तो छः महीने के, तथा जो सूर्य के मेष और तुला राशि में आने पर भोजन करें, वह तीन माह का, एवं चन्द्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण के दिन जो दूसरे का अन्न ले, वह बारह वर्षों का, तथा संक्रांति के दिन दूसरे का अन्न खाता है, वह एक माह के पुण्य से वञ्चित हो जाता है।*
*💎💎बिना निमन्त्रण के भी भोजन नहीं करना चाहिए, दूसरे के पकाये भोजन की रूचि नहीं रखनी चाहिए।*
*💎💎किसी के घर या तो बहुत प्रेम के कारण, या आपत्ति होने पर ही भोजन करना चाहिए*।
*💎💎जो बिना बुद्धि वाला केवल अतिथि सत्कार के लोभ से किसी का अन्न खाता है, वह अन्नदाता का पशु बनता है।*
*💎💎दूसरे की कोई भी वस्तु चाहे सरसों के दाने के बराबर ही क्यों न हो, उसका अपहरण करने पर मनुष्य पापी और नरकगामी होता है।*
*💎💎दूसरे की स्त्री का सेवन इन्द्र के ऐश्वर्य को भी नष्ट कर देता है, औरों की तो बात ही क्या है।*😊👇🏻👇🏻
*परान्नेन दग्धा जिह्वा, करौ दग्धा प्रतिग्रहात्*।
*मनो दग्धं परस्त्रीभिः, कार्यसिद्धिः कथं भवेत् ।।*
*भावार्थ 👉🏻दूसरों का अन्न खाकर जिनकी जिह्वा जल चुकी है, दान लेते -2 हाथ जल चुके, दूसरे की स्त्रियों के चिन्तन करके जिनका मन जल चुका हो, वह कैसे अपना या दूसरे के कार्य को सिद्ध कर सकते हैं।*
*कुलमिलाकर कार्य सिद्धि, विद्या सिद्धि के लिए परान्न से बचना चाहिए।*
*सियावर रामचंद्र की जय*🙏🏻🙏🏻🚩
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