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हरसिंगार के औषधीय गुण व प्रयोग

हरसिंगार, पारिजात,रातरानी, शेफालिका,शिवली,मल्लिका,स्वर्ण मल्लिका 

यह एक दिव्य वृक्ष है,पुराणों के आधार पर ये पौधा भगवान श्री कृष्ण अपने साथ लाये थे इसके पुष्प से श्री हरि का श्रृंगार किया जाता है इस लिए इसे हरसिंगार कहा जाता है। यह इच्छा पूर्ति वृक्ष है साथ ही ये प्रेम का वृक्ष है। हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात नाम की राजकुमारी को सूर्य देव से प्रेम हुया व प्रेम स्वीकृत न होने पर प्राण त्याग दी जिस स्थान पर राजकुमारी का अंतिम संस्कार हुया वँहा इस दिव्य वृक्ष की उतपत्ति हुई जो सिर्फ रात को ही पुष्प खिलते हैं व सुबह जमीन पर गिरे मिलते हैं इसलिये इसे पारिजात नाम से जाना जाता है।
यह वृक्ष औषधि गुणों से परिपूर्ण है।

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे क्षारीय है

इसके पत्तों का जूस :-रक्त शुद्धि,मधुमेह,पाचनशक्ति, मलेरिया,अन्य बुखार, में रामबाण है।

पत्तो का लेप :- घाव, अस्थिभंग,चर्म रोग

तनाव :- इसके पुष्प की सूंघना

सुखी खाँसी :- पत्तो का रस शहद के साथ

बवासिर:- इसके बीज का चूर्ण पानी के साथ

बाल की हर समस्या :- फूलों का रस पीना

सूजन को कम करे:-  पुष्प का लेप

गठिया  :- पुष्प,तना, पत्तो का मिश्रित रस का सेवन

महिलाओं की मासिकधर्म की सभी समस्या:- इसके पुष्प की कली व काली मिर्च का सेवन

जब घुटने बदलने की नौबत आये तो विनती है एक बार इस दिव्य औषधी का उपयोग जरूर करें
5 6 पत्ते की चटनी रात को एक गिलास पानी मे उबाले जब पानी आधा रह जाये तो ढक कर रख दे सुबह इसे खाली पेट पिये बिना छाने 3 महीना लगातार करें अदभुत परिणाम है।

सम्भव हो तो इसके इस काढ़े बनाने की प्रक्रिया में पानी की जगह गौमूत्र का उपयोग करें व सुबह ही बनाये ताजे देशी गौमूत्र से
 अतिअद्भूत परिणाम है।

निरोगी हेतु महामन्त्र का पालन जरूर करें



मन्त्र 1 :- 

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें



मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये) 

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें



आयुर्वेद में आरोग्य जीवन हेतु 7000 सूत्र हैं आप सब सिर्फ इन सूत्रों का पालन कर 7 से 10 दिन में हुए बदलाव को महसूस कर अपने अनुभव को अपने जानकारों तक पहुचाये

स्वस्थ व समृद्ध भारत निर्माण हेतु।

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