सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हनुमान जी की तस्वीर का मतलब

*हनुमानजी की 10 तस्वीर, सभी का महत्व है अलग-अलग :*

हनुमानजी के आपने बहुत सारे चित्र देखें होंगे। जैसे, हवा में उड़ते हुए, पर्वत उठाते हुए या रामजी की भक्ति करते हुए। आज हम आपको बताते हैं हनुमानजी के उन चित्रों के बारे में जिन्हें घर में लगाने से मिलता है अपार लाभ।

1. पर्वत उठाते हुए हनुमान का चित्र : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें साहस, बल, विश्वांस और जिम्मेदारी का विकास होगा। आप किसी भी परिस्थिगति से घबराएंगे नहीं। हर परिस्थिति आपके समक्ष आपको छोटी नजर आएगी और तुरंत ही उसका समाधान हो जाएगा।

2. उड़ते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपकी उन्नती, तरक्की और सफलता को कोई रोक नहीं सकता। आपमें आगे बढ़ने के प्रति उत्साह और साहस का संचार होगा। निरंतर आप सफलता के मार्ग पर बढ़ते जाएंगे।

3. श्रीराम भजन करते हुए हनुमान : इस चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते नजर आएंगे। यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें भक्ति और विश्वामस का संचार होगा। यह भक्ति और विश्वाुस ही आपके जीवन की सफलता का आधार है। इस चित्र की पूजा से जीवन के लक्ष्य को पाने में आ रहीं अड़चनें दूर होती है।

4. दास हनुमान : आपने श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हनुमानजी का चित्र देखा होगा। इन्हें रामदास हनुमान कहते हैं जो सदा रामकाज करने को आतुर रहते हैं। दास हनुमान की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है। धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण और सेवा होने से ही सफलता मिलती है। बैठक रूम में आप श्रीराम दरबार का चित्र लगा सकते हैं जिसमें हनुमानजी उनके चरणों में बैठे हुए हैं।

5. ध्यान करते हनुमान : इस मुद्रा में हनुमानजी अपने आंखें बंद किए हुए सिद्धासन या पद्मासन में ध्यान कर रहे हैं। मोक्ष या शांति के अभिलाशी को हनुमानजी का यह चित्र लगाना चाहिए।

7. रोद्र या शक्ति मुद्रा में हनुमान : यदि आपको लगता है कि आपके घर पर भूत, प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप हनुमानजी का शक्ति प्रदर्शन की मुद्रा में चित्र लगाएं। यह चित्र आप उत्तर की दीवार पर लगाएं जिससे उनका मुख दक्षिण की ओर हो। इसके लिए आप पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगा सकते हैं।

8. पंचमुखी हनुमान : वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्धि होती है। पंचमुखी हनुमान का चित्र द्वारा के भीतर या बाहर उपर की ओर लगाया जाता है। यदि भवन में गलत दिशा में कोई भी जल स्रोत हो तो इस दोष को दूर करने के लिए उस भवन में ऐसे पंचमुखी हनुमानजी का चित्र लगाना चाहिए, जिनका मुख उस जल स्रोत की ओर देखते हुए दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ हो।

9. आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान : हनुमानजी का ऐसा चित्र जिसमें वे अपने दाएं हाथ से आशीर्वाद दे रहे हों। इस चित्र को घर में लगाने से हनुमानजी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी। इससे घर में सुख, शांति और सौहार्द बना रहता है।

10. लाल हनुमान का चित्र : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में दक्षिण दीवार पर हनुमानजी का लाल रंग का चित्र लगाएं। ऐसा करने से अगर मंगल आपका अशुभ है तो वो शुभ परिणाम देने लगेगा साथ ही घर में यदि गृह कलह है तो वह दूर हो जाएगी और हनुमानजी का आशीर्वाद आपको मिलने लगेगा। साथ ही पूरे परिवार का स्वास्थय अच्छा रहेगा।

इसके अलावा हनुमान के और भी चित्र है जैसे राम और हनुमान के मिलन का चित्र, बाल हनुमान द्वारा सूर्य को निगलने के लिए जाने का चित्र, लंका दहन का चित्र, असुरों को मारते हुए हनुमानजी, छाती को फाड़ते हुए हनुमानजी, राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर विराजमान करके हवा में उड़ते हुए हनुमानजी, शंख बजाते हुए वीर हनुमानजी आदि अनेक चित्र हैं जिनका अलग अलग महत्व है। लेकिन घर में हनुमानजी का चित्र लगाने के पहले किसी वास्तुशास्त्री से जरूर संपर्क कर लेना चाहिए

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...