*सूर्यग्रहण*
*दिनांक* *21 जून रविवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा जो कि *भारत में दिखेगा*। *अतः इस ग्रहण का नियम पालन आवश्यक होगा।*
*ग्रहण का स्पर्श(लगना): सुबह 10.09*
*ग्रहण का मोक्ष(छूटना): दोपहर 01.43*
*ग्रहण का सूतक(छाया):* *दिनांक 20 जून शनिवार को रात 10.09 से दूसरे दिन दोपहर 01.43 तक।*
*सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें*
*सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को विशेष रुप से करने की मनाही होती है तो कुछ कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय होता है। यदि आप कोई सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए मंत्र जाप करने हेतु ग्रहण काल सर्वोत्तम माना गया है।*
स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमं सुरार्चनम।
मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत।।
--- (ज्ये. नि.)
*अर्थात ग्रहण काल के प्रारंभ में स्नान और जप करना चाहिए तथा ग्रहण के मध्य काल में होम अर्थात यज्ञ और देव पूजा करना उत्तम रहता है। ग्रहण के मोक्ष होने के समय दान करना चाहिए तथा पूर्ण रूप से ग्रहण का मोक्ष होने पर स्नान करके स्वयं को पवित्र करना चाहिए।*
दानानि यानि लोकेषु विख्यातानि मनीशिभः।
तेषां फलमाप्नोति ग्रहणे चन्द्र सूर्ययोः।।
--- (सौर पुराण)
*अर्थात इस समस्त संसार में जितने भी दान दिए जाते हैं, कोई भी प्राणी उन सभी दानों का फल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण काल में दान करने से प्राप्त कर लेता है। वास्तव में दान करने की बहुत महिमा बताई गयी है।*
अन्नं पक्वमिह त्याज्यं स्नानं सवसनं ग्रहे।
वारितक्रारनालादि तिलैदम्भौर्न दुष्यते।।
---(मन्वर्थ मुक्तावली)
*सूर्य ग्रहण के दौरान भगवान सूर्य की पूजा विभिन्न सूर्य स्रोतों के द्वारा करनी चाहिए तथा आदित्य हृदय स्त्रोत्र आदि का पाठ करना काफी अच्छा परिणाम देता है। पका हुआ अन्न और कटी हुई सब्जियों का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वे दूषित हो जाती हैं। हालांकि घी,तेल, दही, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बा जैसी चीजों में पीलिया कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते हैं। यदि कोई सूखा खाद्य पदार्थ है तो उसमें कुशा रखने की आवश्यकता नहीं होती।*
चन्द्रग्रहे तथा रात्रौ स्नानं दानं प्रशस्यते।
*चाहे चंद्र ग्रहण हो अथवा सूर्य ग्रहण रात्रि के समय दौरान स्नान दान करना प्रशस्त माना गया है।*
न स्नायादुष्णतोयेन नास्पर्शं स्पर्शयेत्तथा।।
*ग्रहण काल के दौरान तथा ग्रहण की मौत के बाद गर्म जल से स्नान नहीं करना चाहिए। हालांकि बालकों, वृद्धों, गर्भवती स्त्री और रोगियों के लिए निषेध नहीं है।*
यन्नक्षत्रगतो राहुर्ग्रस्ते शशिभास्करौ।
तज्जातानां भवेत्पीड़ा ये नराः शांतिवर्जिताः।।
*किसी नक्षत्र में राहु चंद्र अथवा सूर्य को ग्रसित करता है ऐसे लोगों को विशेष रूप से पीड़ा होने की संभावना होती है।*
ग्रस्यमाने भवेत्स्नानं ग्रस्ते होमो विधीयते।
मुच्यमाने भवेद्दानं मुक्ते स्नानं विधीयते।।
सर्वगङ्गा समं तोयं सर्वेव्यास समद्विजाः।
सर्वभूमि समं दानं ग्रहणे चन्द्र -सूर्ययोः।।
*ग्रहण काल के दौरान शुद्ध जल किसी भी स्थान से लिया जाए वो श्री गंगा जल के समान निर्मल होता है। स्नान और दान करना सभी प्रकार से उचित होता है। सभी प्रकार के द्विज व्यास जी के समान माने जाते हैं।* *चंद्रग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण के अंत में दिया जाने वाला दान भी सर्व भूमि दान के बराबर माना जाता है।*
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