शनि द्वादशनाम स्तोत्र
कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यमः।
सौरि: शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥
एतानि द्वादश नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।
शनि पीडा न तस्य स्यात्सर्वत्र विजयि भवेत्।।
1. कोणस्थः - जो कोण में स्थित है
2. पिङ्गलः - जिनका रंग पीला या ताम्र है
3. बभ्रुः - जिनका रंग भूरा है
4. कृष्णः - जिनका रंग काला है
5. रौद्रः - जो क्रोधी स्वभाव के हैं
6. अन्तकः - जो अंत करने वाले हैं
7. यमः - जो न्याय के देवता हैं
8. सौरिः - सूर्य पुत्र
9. शनैश्चरः - जो धीरे-धीरे चलते हैं
10. मन्दः - जो धीमे हैं
11. पिप्पलादेन संस्तुतः - पिप्पलाद मुनि द्वारा स्तुत
12. कोणस्थः - जो कोण में स्थित है
इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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