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जुलाई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

श्री केशवाचार्य जी

 *(((( श्री केशवाचार्य जी ))))* . श्रीकृष्ण के पौत्र वज्रनाभ जी ने ब्रज में चार देवालय स्थापित किए थे। उनमें से एक है श्री हरिदेव जी। कालांतर मे मुग़ल आक्रमण के कारण यह विग्रह लुप्त हो गया था।   . श्री केशवाचार्य जी नाम के रसिक संत बिलछू कुंड पर भजन करते थे। "वृषभानु सुता श्री नंद सुवन" इस नाम का निरंतर जप करते थे।  . एक दिन भजन करते समय श्री ठाकुर जी ने उनके ध्यान मे प्रकट  होकर कहा - मैने जिस स्वरूप से इंद्र के मान का मर्दन किया है और गिरराज पर्वत को अपनी कनिष्ठिका के अग्र भाग पर धारण किया, वह मेरा स्वरूप बिलछू कुंड के बगल वाले खेत के कुंए के पास विराजमान है। उसे आप प्रकट करो।  . श्री केशवाचार्य जी ने ठाकुर जी से पूछा की क्या आप अकेले है ? तो ठाकुर जी बोले - हां ! हम अकेले है। . श्री केशवाचार्यजी बोले - तब तो आप वही पौढ़े रहो क्योंकि अकेले श्रीकृष्ण की सेवा हमे नही करनी। हमे तो श्री राधारानी के सहित ठाकुर जी चाहिए।  . ठाकुर जी बोले - अकेले क्यो नही चाहिए?  . श्री केशवाचार्यजी बोले - श्री राधारानी के बिना आपमे स्थिरता नही है। आप स्वभाव से चंचल है...

जाने कौन सा पूजन- अनुष्ठान किस कामना के लिए किया जाना चाहिए

 *🚩 जाने कौन सा पूजन- अनुष्ठान किस कामना के लिए किया जाना चाहिए ? 🚩* १ : बटुक भैरव स्त्रोत्र : इस स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र से महामारी राजभय अग्निभय चोरभय उत्पात भयानक स्वप्न के भय में घोर बंधन में इस बटुक भैरव का पाठ अति लाभदाई है | तथा हर प्रकार की सिद्धी हो जाती है | इस प्रयोग का कम से कम १०८ पाठ करना चाहिए | २ : श्री सूक्त प्रयोग : श्री सूक्त प्रयोग एक ऐसा प्रयोग है जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थिर रूप से निवास करती है | इसके ११०० आवृति [ पाठ ] कराने पर विशेष लाभ होता है | ३ : श्री कनकधारा स्तोत्र : यह स्तोत्र आद्य शंकराचार्य जी द्वारा रचित है जिसके पाठ से स्वर्ण वर्षा हुई थी | कनकधारा स्तोत्र के पाठ करवाने से घर ऑफिस व्यापार स्थल में उतरोत्तर वृद्धि होती रहती है कनकधारा में कमला प्रयोग से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है | ३ : श्री मद भागवत गीता : यह महाभारत के भीष्म पर्व से लिया गया है | इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मज्ञान दिया तथा कर्म में लगे रहने के विषय में बतलाया है | इस के पाठ करवाने से घर में शांति सुख व् समृद्धि आती है , तथा सभी दोष पाठ मात्र से न...

विवस्वत सप्तमी

  विवस्वत सप्तमी 12 जुलाई विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी के रुप में मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में विवस्वत सप्तमी तिथि 12 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है। सूर्य के अनेकों नाम हैं जिनमें से एक नाम विवस्वत भी कहलाता है। प्रत्येक वर्ष की सप्तमी में सुर्य के पूजन की तिथि के लिए भी अत्यंत शुभदायक मानी गई है।  विवस्वत सप्तमी महत्व 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ विवस्वत के संदर्भ को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित होती हैं वैदिक साहित्य में मनु को विवस्वत् का पुत्र माना गया है, एवं इसे 'वैवस्वत' नाम दिया गया है। सूर्य का संबंध इसके साथ जुड़ने कारण ही इस दिन सूर्य उपासना का भी बहत मह्त्व रहा है इस दिन विवस्वत मनु का पूजन होता है इस दिन मनु कथा का श्रवण किया जाता है वैवस्वत मनु के नेतृत्व में सृष्टि का सूत्रपात होता है इसी से श्रुति और स्मृति की परम्परा चल पड़ी विवस्वत से ही सूर्य वंश का आरंभ होता है जिसमें श्री राम का जन्म हुआ जो विष्णु के अवतार स्वरुप पृथ्वी पर आते हैं। विवस्वत सप्तमी के लाभ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰...

आहार के नियम भारतीय 12 महीनों अनुसार

  आहार के नियम भारतीय 12 महीनों अनुसार 1:-चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में चने का सेवन करे क्योकि चना आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है। 2:-वैशाख (अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है। 3:-ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है। 4:-अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ ...

रवि पुष्य योग

रवि पुष्य योग   सिंहो यथा सर्व चतुष्पदानां, तथैव पुष्यो बलवानुडुनां । चन्द्रे विरुद्धोSस्यथ गोवरेSपी सिद्धयंति कार्याणि कर्तानि पुष्ये।। अर्थात: जैसे सिंह चौपायों में बलवान होता है ऐसे ही नक्षत्रो में पुष्य नक्षत्र बलवान होता है। चन्द्रमा भी विरोधी हो तो पुष्य नक्षत्र में कार्य नही बिगड़ता। पुष्य नक्षत्र अंतर्गत किया गया कार्य सिद्ध होता है। पुष्य नक्षत्र फलम: न योगीयोगं न च लग्नीलग्नम न, तारिका चन्द्र बलं गुरुश्च । न योगिनी राहुर्नबलिष्ठकालः, एतानि विघ्नानि हरंति पुष्यः ।। अर्थात: योगिनी अच्छी न हो, चन्द्रमा अच्छा ना हो, तारा अच्छा ना हो,भद्रा, राहु ये भी अच्छे ना हो परन्तु पुष्य नक्षत्र उस दिन हो तो इतने दोषों को दूर करता है पुष्य योग। पुष्य नक्षत्र वैदिक मंत्र- ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाददुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु । यददीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम।। तो आज पुष्य नक्षत्र का लाभ ले दान, जप, पूजा पाठ करें, शुभ कार्यों मंत्र पाठ, नया काम आदि आज से शुरू करें। ग्रह जनित पीड़ा की शांति और ग्रहों के शुभ प्रभाव बढ़ाने के जो उपाय में अक्सर लिखती रहती हूं आज इस शुभ योग में आप...

आषाढ गुप्त नवरात्रि विशेष

  आषाढ गुप्त नवरात्रि विशेष 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ आसाढ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि इस बार प्रतिपदा 06 जुलाई शनिवार से शुरू होंगी और 15 जुलाई सोमवार तक रहेगी। इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 10 दिन मनाया जाएगा। पुराणों की मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गे की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष। बता दें, अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन की महीने में मनाई जाती हैं, और अप्रत्यक्ष यानी कि गुप्त आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाती हैं। गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं करने शमशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं। नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं। माघ एवं आषाढ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती...

आषाढ़ गुप्त नवरात्र

 🔴 आषाढ़ गुप्त नवरात्र 🔴 ~जप, साधना और सिद्धि के दस दिन~ कल से आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू हैं इन दिनों गुप्त स्थान पर गुप्त जप करने का विधान कहा जाता है। तंत्र मार्ग और शाक्त सम्प्रदाय के लोग इस समय आंतरिक ऊर्जा की प्राप्ति व मंत्रों की सिद्धि के लिए, विशेषकर जप आदि करते हैं, दस महाविद्या के मंत्र जप के साधन के ये एक उत्तम समय है। जिस भी शक्ति का साधन कारण चाहें,चित्र की जगह माता के यंत्र का प्रयोग करें। सकाम साधकों के लिए दुर्गासप्तशती का पाठ निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ है अथवा आप इसमें से अपनी समस्या या मनोकामना को सिद्ध करने वाला कोई एक मंत्र/श्लोक ले लें। अगर कार्य मे बार बार बाधाएं आ रही हैं तो  ◆सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।  एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।। हे सर्वेश्वरी – तीनों लोकों की माता! जब आप प्रसन्न होते हैं, तो आप सभी बाधाओं और परेशानियों को दूर करते हैं, और आपके आशीर्वाद से सभी (आंतरिक-बाहरी) शत्रु नष्ट हो जाते हैं। ◆ॐ सर्व-बाधा विनिर्-मुक्तो,  धन धान्यः सुतां-वितः। मानुष्यो मत-प्रसादेन  भविष्यति न संशयः ।। इसमें कोई संदेह...

कलंक या बदनामी

 कलंक या बदनामी कलंक या बदनामी किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बुरा समय कहा जा सकता है। जीवन में कई बार आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे होते हैं, फिर भी जब समय चक्र की गति विपरीत होती है, तो आप इसके निशाने पर आ जाते हैं। आप किसी के बारे में अच्छा सोचते हैं और अच्छा करते हैं, लेकिन वही व्यक्ति आपके बारे में गलत धारणा बना लेता है। यह स्थिति डरावनी होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसी स्थितियों के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार ग्रह शनि है। आमतौर पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या में सबसे ज़्यादा प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के अनुसार वह साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में है, तो उसे अक्सर बिना किसी कारण के कलंक और बदनामी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कुंडली में कई अन्य ग्रह संयोजन भी ग्रहों की दोषपूर्ण स्थिति के कारण व्यक्ति को बदनामी का सामना करवा सकते हैं। ख़ास तौर पर प्रेम संबंधों में, बदनामी एक ऐसा विषय है जो अक्सर जीवन में तब सामने आता है जब दोष युक्त ग्रह स्थिति होती है।  ऐसे व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अपने ...

दुर्गा सप्तशती के किस पाठ को करने पर क्या मिलता है फल।

दुर्गा सप्तशती के किस पाठ को करने पर क्या मिलता है फल।  भगवती दुर्गा की पूजा एवं जप-तप के लिए नवरात्रि के 09 दिन बेहद शुभ माने गए हैं. मान्यता है कि शक्ति की साधना के लिए अत्यधिक फलदायी माने जाने वाले इन 09 दिनों में यदि कोई साधक देवी दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है तो उसके जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी कामना शीघ्र ही पूरी होती है. दुर्गा सप्तशती को शक्ति की साधना का पुण्यफल पाने का सबसे उत्तम माध्यम माना गया है. जिसका श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने पर साधक को भगवती दुर्गा से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती के किस पाठ को करने पर साधक को किस पुण्यफल की प्राप्ति होती है. दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय का फल हिंदू मान्यता के अनुसार दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय का पाठ करने पर मां भगवती की कृपा से साधक के सभी मानसिक कष्ट दूर होते हैं और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय का फल भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती का दूसरा पाठ करने से साधक को भूमि-भवन से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है. भगवती की कृपा से कोर्ट-कचहरी में ...

Secrets of Strength: What to Keep Hidden for a Successful Life

 This is a book written by Awneesh Dwivedi for personal life improvement in self help group. In the complex tapestry of human life, the ability to navigate challenges, manage personal affairs, and cultivate meaningful relationships often hinges on a subtle yet powerful principle: discretion. This book, "Secrets of Strength: What to Keep Hidden for a Successful Life," draws its inspiration from the ancient wisdom of Shukraniti, a revered text attributed to the sage Shukracharya. The teachings of Shukraniti offer timeless insights into the importance of keeping certain aspects of one's life private to enhance personal and professional success. In an era where transparency is often heralded as a virtue, and where social media encourages public sharing of every facet of life, the art of discretion can seem counterintuitive. Yet, the profound wisdom of Shukra reminds us that there is strength in what remains unspoken and unseen. By carefully guarding details about age, wealth,...