🔴आषाढ़ गुप्त नवरात्र🔴
~जप, साधना और सिद्धि के दस दिन~
कल से आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू हैं इन दिनों गुप्त स्थान पर गुप्त जप करने का विधान कहा जाता है। तंत्र मार्ग और शाक्त सम्प्रदाय के लोग इस समय आंतरिक ऊर्जा की प्राप्ति व मंत्रों की सिद्धि के लिए, विशेषकर जप आदि करते हैं, दस महाविद्या के मंत्र जप के साधन के ये एक उत्तम समय है। जिस भी शक्ति का साधन कारण चाहें,चित्र की जगह माता के यंत्र का प्रयोग करें।
सकाम साधकों के लिए दुर्गासप्तशती का पाठ निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ है अथवा आप इसमें से अपनी समस्या या मनोकामना को सिद्ध करने वाला कोई एक मंत्र/श्लोक ले लें।
अगर कार्य मे बार बार बाधाएं आ रही हैं तो
◆सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।
हे सर्वेश्वरी – तीनों लोकों की माता! जब आप प्रसन्न होते हैं, तो आप सभी बाधाओं और परेशानियों को दूर करते हैं, और आपके आशीर्वाद से सभी (आंतरिक-बाहरी) शत्रु नष्ट हो जाते हैं।
◆ॐ सर्व-बाधा विनिर्-मुक्तो,
धन धान्यः सुतां-वितः।
मानुष्यो मत-प्रसादेन
भविष्यति न संशयः ।।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो आपको प्रणाम करता है उसका भविष्य सभी बाधाओं से मुक्त होगा और धन, भोजन, और संतान।
रोगनाश के लिए मंत्र-
◆रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा
तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥
अर्थ :- देवि! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर सभी अभीष्ट कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।
लड़को के शीघ्र विवाह के लिए मंत्र-
◆पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
अर्थ- हे देवी, मुझे मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।
इसके अलावा आप हनुमान चालीसा का यथाशक्ति नौ दिन पाठ करें, प्रतिदिन सुन्दरकाण्ड, बाहुक आदि का पाठ करें।
कलश स्थापना,अखंड दीपक आदि सम्भव नही हैं तो नित्य पूजा के समय सरसों तेल का दीपक लगाएं।
जपकाल- रात्रि
आसन - लाल अथवा जप पर निर्भर पर ऊनी आसान लें।
माला- जप पर निर्भर (रुद्राक्ष, स्फटिक, कमलगट्टे, हल्दी आदि)
जप का समय निश्चित रखें रोज़ समय न बदलें। कुछ भी कठिन न करें, वो जो आसानी से उपलब्ध है उसके साथ पूर्ण भावना और शुद्धता पूर्वक नियमानुसार जप करें। कम बोलें अच्छा और मधुर बोलें, सुपाच्य और केवल एक समय भोजन करें, फल आदि लेते रहें, पानी पीते रहें।
याद रखें दूसरे को अच्छा बुरा बोलने/कोसने में आप अपने पुण्यों/मंत्रजप से प्राप्त ऊर्जा का क्षय करते हैं इसलिए साधना काल मे मौन रहने का निर्देश दिया जाता है।
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