रविवार, 8 जनवरी 2017

नौ शास्त्रीय निषिद्ध बातें

शास्त्रों में कुछ नियम और मर्यादाये कही गई है जिनका यदि हम थोडा भी पालन करे तो जीवन में आने वाली छोटी-छोटी परेशानियो से हम बच सकते है तो आईये जाने ये बाते -
1. -जिसका कुल और स्वभाव नहीं जाना है, उसको घर में कभी न ठहराना चाहिए.
2. -लोभी जिस धन को धरती में अधिक नीचे गाड़ता है, वह धन पाताल में जाने के लिए पहले से ही मार्ग कर लेता है.और जो मनुष्य अपने सुख को रोक कर धनसंचय करने की इच्छा करता है, वह दूसरों के लिए बोझ ढ़ोने वाले मजदूर के समान क्लेश ही भोगने वाला है.
3. अनुपयोगी धन की गति -जो मनुष्य धन को देवता के, ब्राह्मण के तथा भाई बंधु के काम में नहीं लाता है, उस कृपण का धन तो जल जाता है,या चोर चुरा ले जाते हैं, अथवा राजा छीन लेता है.संचय नित्य करना चाहिये, पर अति संचय करना योग्य नहीं है.
4. ये चार बातें दुनिया में दुर्लभ -प्रिय वाणी के सहित दान, अहंकाररहित ज्ञान, क्षमायुक्त शूरता, और दानयुक्त धन, हैं.
5. जहाँ ये चार न हो -ॠण देने वाला, वैद्य, वेदपाठी और सुंदर जल से भरी नदी, ये चारों न हो, वहाँ नहीं रहना चाहिए.
6. इनके साथ मेल न करे -यह कहा है कि वैरी चाहे जितना मीठा बन कर मेल करे, परंतु उसके साथ मेल न करना चाहिये, क्योंकि पानी चाहे जितना भी गरम हो आग को बुझा ही देता है.दुर्जन विद्यावान भी हो, परंतु उसे छोड़ देना चाहिये, क्योंकि रत्न से शोभायमान सर्प क्या भयंकर नहीं होता है.
7.-इस संसार में अपना कल्याण चाहने वाले पुरुष को -निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता ये छः अवगुण छोड़ देने चाहिए.
8. छः प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी होते हैं-ईष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करने वाला, और पराये आसरे जीने वाला.
9. ये बहुत काल तक भी नहीं बिछड़ते हैं-अच्छी रीति से पका हुआ भोजन, विद्यावान पुत्र, सुशिक्षित अर्थात आज्ञाकारिणी स्त्री, अच्छे प्रकार से सेवा किया हुआ राजा, सोचकर कहा हुआ वचन, और विचार कर किया हुआ काम.

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