गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

Shiv Vandana

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं

विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं

चिदाकाश माकाश वासं भजेयम

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं

गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं

करालं महाकाल कालं कृपालं

गुणागार संसार पारं नतोहं

तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं .

मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं

स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा

लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा

चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं

प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं

म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं

प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि

प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं

अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम

त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम

भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी

सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी

चिदानंद संदोह मोहापहारी

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावत उमानाथ पादार विन्दम

भजंतीह लोके परे वा नाराणं

न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं

प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If u have any query let me know.

कुंभ महापर्व

 शास्त्रोंमें कुंभमहापर्व जिस समय और जिन स्थानोंमें कहे गए हैं उनका विवरण निम्नलिखित लेखमें है। इन स्थानों और इन समयोंके अतिरिक्त वृंदावनमें...