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 नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय|

प्रचारे मैथुने चैव प्रस्रावे दन्तधावन।।17(उत्तरार्ध)

स्नानभोजनकाले च षटसु मौनं समाचरेत।

पुनर्दानं पृथकपाकं सामिषं पयसाsन्वितम।।18

दंतच्छेदनमुष्णं च सप्त शत्रुषु वर्जयेत।

स्नात्वा पुष्पं न गृह्णीयाद्देवायोग्यं तदीरितं।।19



मार्ग गमन(पैदल यात्रा करते समय या वाहन चलाते समय) मैथुन करते समय(स्त्री प्रसंग अर्थात संभोग करते समय) मल-मूत्र का त्याग करते समय दंतधावन करते समय स्नान करते समय और भोजन करते समय मौन धारण कर रहना चाहिए एक वार दान की गई वस्तु का पुनः दान करना(उसी वस्तु को किसी और को दुबारा दान करना) पृथकपाक (अपने लिए अलग से विशेष भोजन बनाना या एक ही समय मे अलग अलग लोगो को अलग अलग भोजन देना  मांसयुक्त भोजन में दूध दही या घृत का उपयोग करना या मांसयुक्त भोजन से साथ दूध दही या घी खाना तथा दूध और घी के बाद पानी पीना रात्रि में सोते हुए बीच मे पानी पीना और फिर सो जाना (रात्रि में निस्तार के बाद पानी पी सकते है) दांत से नाखून काटना बहुत गरम पानी पीना तथा स्नान के बाद पुष्प चयन(फूल तोड़ना) नही करना चाहिए।


              श्रीअग्निमहापुरण

  अध्याय-166,श्लोक-17 से19

             

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