सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कीवी फल के फ़ायदे

कीवी फल के फ़ायदे
Kiwi fruit benefits in hindi
रोग प्रतिरोधी क्षमता – विटामिन ई और एंटी ऑक्सीडेंट्स की मात्रा कीवी में ज्यादा होने के कारण इस से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाती है। शारीरिक कमजोरी को दूर कर के दिन भर की थकान को मिटाने का भी एक अद्भुत इलाज है कीवी और साथ ही ये स्फूर्ति बनाए रखता है, इसलिए इसे नाश्ते में ओट्स इत्यादि के साथ खाना लाभदायी होता है। विटामिन सी से भरपूर कीवी हमारे शरीर की आयरन सोखने में मदद करता है और यही कारण है कि अनीमिया के मरीजों के लिए कीवी एक उत्तम फल है। अनिद्रा के लिए कीवी बड़ी ही काम की चीज़ है क्यूंकि इस में मौजूद सेरोटिनिन आपको तनाव दूर कर के अच्छी नींद लाने में सहायक है।
गर्भावस्था में फायदेमंद (Kiwi fruit in pregnancy) -कीवी जैसा अद्भुत फल गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है, क्यूंकि गर्भावस्था में ज़रूरी तत्व फोलिक एसिड भी कीवी में पाया जाता है, ऐसा कहा जाता है कि  माता द्वारा गर्भावस्था में कीवी के सेवन से बच्चे के दिमाग़ के विकास में बहुत फायदा मिल सकता है।
ह्रदय रोग में लाभ – कीवी में मौजूद फाइबर और पोटैशियम दिल की बीमारियों को हमसे दूर रखते हैं, ह्रदय रोग में जब मरीज़ कम सोडियम लेने के साथ अपनी पोटैशियम लेने की आदत को बढ़ा लेता है, तो इस से बीमारी बढ़ने का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके अलावा कीवी बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करने में भी सहायक है तथा ये अच्छे कोलेस्ट्रोल को बनाता है और कोलेस्ट्रोल से होने वाली दिल की बीमारी का ख़तरा भी कम करता है। कहा जाता है कि कीवी के नियमित सेवन से खून में ट्राय ग्लिसरोइड की मात्रा घटती है और इस से शरीर में चर्बी जमने पर रोक लगती है तथा खून में थक्का जमने का ख़तरा भी कम होता जाता है.
डायबिटीज पर नियंत्रण – कीवी से खून में गलूकोज का स्तर नहीं बढ़ता और इसी कारण से कीवी का सेवन  डायबिटीज, दिल के रोग और वज़न कम करने में बहुत फायदेमंद है।
पेट की बीमारियों में फ़ायदा – आमतौर पर होने वाली पेट की छोटी मोटी बीमारियों के लिए तो कीवी मानो राम बाण इलाज है, जैसे की इस से पेटदर्द, दस्त, बवासीर वगेरह से भी आराम मिलता है। साथ ही इसका रेशा यानि फाइबर हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करते रहने में मदद करता है, और कब्ज़ के मरीज़ों के लिए तो कीवी अमृत समान है।
अस्थि रोगों एवं जोड़ों के दर्द में आराम– पोटैशियम नामक तत्व जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, वो भी कीवी में मौजूद है और इसीलिए इसे महिलाओं में ढलती उम्र में होने वाले अस्थिरोग ओस्टियोपोरोसिस के लिए फायदेमंद माना गया है।  साथ ही जोड़ों के दर्द और आर्थराइटिस जैसी समस्याओं के होने पर भी कीवी का उपयोग करने से बड़ा आराम मिलता है।
अन्य फ़ायदे – हमारी त्वचा में मौजूद कोलाजन को हमारी त्वचा स्वस्थ और सुन्दर बनाये रखने में विटामिन सी की बहुत ज़रुरत होती है और विटामिन सी की अधिकता की वजह से कीवी के सेवन से हमारी त्वचा काफी मुलायम और चमकदार हो जाती है। इस से शरीर की फैट  तो कम होती ही है, पर साथ में इस से हमारी त्वचा में मुलायम, चमकदार और झुर्रियों से रहित बनी रहती है और हम जवान बने रहते हैं. इस से बीमारियों के अलावा तनाव भी दूर होता है मुहांसे, सर्दी ज़ुकाम जैसी छोटी मोती तकलीफों से भी निजात मिलती है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...