सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हनुमान जयंती और नरक चतुर्दशी

🔥 *"नरक - चतुर्दशी" एवं* 🔥
      🚩 *"हनुमान - जयंती" पर विशेष* 🚩

🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻
           
                             *कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाली पंच पर्व का दूसरा दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को "नरक चतुर्दशी" के नाम से जाना जाता है | आज के दिन भगवान श्याम सुंदर कन्हैया ने नरकासुर दैत्य का वध करके उसके कारागार से  सोलह हजार कन्या , युवती एवं नारियों को मुक्त कराकर एक नया जीवन प्रदान किया | प्राचीनकाल में नर्क से मुक्ति पाने के लिए महाराज रंतिदेव ने नरक चतुर्दशी का व्रत करके नर्क जाने से मुक्ति पाई , तभी से इस पृथ्वी लोक में नरक चतुर्दशी का व्रत किया जाने लगा | नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं | इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के समय उसी प्रकार दीए के प्रकाश पुंज से रात के तिमिर को दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को | यह दीपमालिकायें नरकासुर के वध की प्रसन्नता एवं आततायी के आतंक से छुटकारा मिलने की प्रसन्नता के उपलक्ष्य में सजाई जाती हैं | ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से तो मुक्ति मिलती ही है , साथ ही यदि स्नान के बाद भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण के मन्दिर जाकर दर्शन किया जाय तो रूप में निखार एवं तेज बढता है | इसीलिए इसे "रूपचौदस" भी कहा जाता है |आज के दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं |*

*आज मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त ,अनंत बलवंत हनुमंत लाल जी का जन्मोत्सव भी बड़ी धूमधाम से लोग श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाते हैं | हनुमान जयंती का पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा को भी मनाया जाता है | परंतु महर्षि वाल्मीकि के अनुसार बजरंगबली का जन्म कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी दिन मंगलवार को स्वाति नक्षत्र एवं मेष लग्न में हुआ | बाल्मीकि जी के इस कथन को वायु पुराण में भी समर्थन मिलता है वायु पुराण के अनुसार आज के ही दिन|  हनुमान जी का जन्म हुआ आज नरक चतुर्दशी का व्रत रहने के साथ ही हनुमान जी के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति से अनुराग रखते हुए व्रत करके उनका जन्म उत्सव मनाने पर मनुष्य को हनुमान जी की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है | तौंतीस करोड़ देवताओं में हनुमान जी को कलयुग का प्रत्यक्ष देवता माना जाता है |  जहां जहां भगवान की कथाएं होती है , जहां भगवान का नाम लिया जाता है हनुमान जी वहां पर बैठकर प्रेम से भगवान्नाम स्मरण का रसपान करते रहते हैं |  मनुष्य को हर प्रकार से अभय दान देने वाले अंजनी पुत्र महाबली हनुमान जी का पूजन श्रद्धा भक्ति के साथ करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं |  आज मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देख रहा हूं जगह - जगह पर हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है परंतु उनके बताए आदर्शो पर आज का मनुष्य कदापि नहीं चलना चाहते हैं | आज नौकरों के द्वारा मालिकों से विश्वासघात करना साधारण बात हो गयी है | सेवक का स्वामी के प्रति कैसा आचरण होना चाहिए यदि यह सीखना है तो हनुमान जी के चरित्रों को देखा जा सकता है |*

*नरकासुर का वध एवं हनुमंत लाल जी की जयंती के उपलक्ष्य में दीपदान करके खुशियाँ मनायें |*

🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥

सभी भगवत्प्रेमियों को *"आज दिवस की मंगलमय कामना*----🙏🏻

🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...